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दक्षिण ध्रुव से फुटबॉल वर्ल्ड कप का मजा

१० जून २०१०

प्रेम का, खेल के प्रति प्रेम का भी, मज़ा तभी है, जब उसमें पागलपन का भी पुट हो. फ़ुटबॉल के कुछ ऑस्ट्रेलियाई दीवाने विश्व कप के समय अंटार्कटिका की बर्फ से घिरे होंगे, पर विश्व कप का आंखों देखा हाल सुनना नहीं छोड़ेंगे.

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तस्वीर: AP

अंटार्कटिका दुनिया के दक्षिणी ध्रुव को कहते हैं. दक्षिणी ध्रुव तो वैसे ही बहुत ठंडी जगह है. नहले पर दहला यह है कि वहां इस समय सर्दियों का मौसम है. कोई एक दर्जन फुटबॉल प्रेमी, कुछ तो फुटबॉल खिलाड़ियों जैसे कपड़ों में, दक्षिणी ध्रुव के पास के ऑस्ट्रेलिया के केसी वैज्ञानिक शोध स्टेशन पर जमा होंगे और इंटरनेट पर विश्वकप की रेडियो कमेंट्री सुनेंगे.

दक्षिणी ध्रुव प्रदेश पर सबसे तेज़ बर्फीली हवाएं चलती हैं. वह उत्तरी ध्रुव प्रदेश से भी ठंडी जगह है. लेकिन, सौभाग्य से इस समय वहां वैसी ठंड नहीं है, जैसी होनी चाहिए. "आज बहुत ठंड नहीं है, शून्य से केवल 10 डिग्री सेल्सियस नीचे का तापमान है," कहना है स्टेशन के बिजलीसाज मार्क बेकर का. बेकर ने टेलीफ़ोन पर बताया, "उम्मीद है कि कुछ फ़ैन सभी खेलों का आंखों देखा हाल सुनेंगे. तीन चार तो वाकई बड़े ही कट्टर फ़ुटबॉल फ़ैन हैं, बाक़ी इतने जोशीले नहीं हैं."

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तस्वीर: Alfred-Wegener-Institut/Simon/Simon

केसी स्टेशन के फुटबॉल प्रेमी वहीं काम करने और उसकी देख रेख करने वाले लोग हैं. स्टेशन, बर्फ के साम्राज्य वाली एक नितांत वीरान सुनसान जगह पर स्थित है. उससे सबसे नज़दीकी जगह, जहां आदमी के दर्शन हो सकते हैं, 1000 किलोमीटर दूर का एक दूसरा वैज्ञानिक शोध स्टेशन है.

इस वीरानगी की एकरसता में विश्वकप से जो सरसता आ जाएगी, इस समय उसी का सबको अधीरता से इंतज़ार है. केसी स्टेशन के ऑस्टेलियाई कर्मचारी बाक़ी दिनों में पास की समुद्री खाड़ी पर की मोटी बर्फ पर गोल्फ खेल कर मन बहलाते हैं. लेकिन तभी, जब बाहर 100 किलोमीटर से भी तेज़ गति की बर्फीली हवाएं न चल रही हों. वहां देखते ही देखते किसी भी समय हवा आंधी तूफान में बदल जाती है.

रिपोर्टः एएफपी/राम यादव

संपादनः ए जमाल