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दंगों में मोदी की भूमिका का दाग गहराया

४ फ़रवरी २०११

मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गुजरात दंगों का मामला एक बार मुश्किल बढ़ाता नजर आ रहे हैं. दंगों की जांच कर रही एसआईटी टीम ने मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं लेकिन कहा है कि मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है.

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तस्वीर: UNI

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेष जांच पैनल एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) ने कहा है कि मोदी ने दंगों के दौरान हिंसा की गंभीरता को कम पेश किया. नरेंद्र मोदी पर मानवाधिकार संगठन आरोप लगाते रहे हैं कि दंगों के दौरान उन्होंने दंगाइयों पर कार्रवाई करने में ढील बरती और पुलिस भी मूकदर्शक बनी रही. दंगों के बाद जांच के काम में कोताही बरती गई और जिन पुलिस अधिकारियों ने दंगाइयों पर कार्रवाई करने की कोशिश की उनका बाद में गलत ढंग से तबादला कर दिया गया.

Indien Gewalt Gericht 2002 2010
तस्वीर: AP

रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसक हमलों और जघन्य अपराधों के बावजूद राज्य सरकार का रवैया जैसा रहा उसकी अपेक्षा किसी ने नहीं की थी. न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक उसके पास एसआईटी की यह रिपोर्ट है जिसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने गुलबर्ग सोसाइटी, नरौदा पाटिया और अन्य स्थानों पर मुस्लिम विरोधी हिंसा पर उचित कार्रवाई नहीं की और यह बयान दिया कि हर क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है.

गुलबर्ग सोसाइटी में हुए दंगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी को मार दिया गया. उनकी पत्नी जकिया जाफरी ने मोदी और उनके प्रशासन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. अब एसआईटी की रिपोर्ट के निष्कर्षों से उन आरोपों को बल मिलता है.

"अल्पसंख्यक समुदाय के मासूम लोगों के मारे जाने को सही ठहराना और गोधरा के बाद हुई हिंसा की निंदा नहीं करने से संकेत मिलते हैं कि एक अहम घड़ी में उनका आचरण निष्पक्ष नहीं था. ऐसे समय में जब राज्य सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस रहा था." एसआईटी चेयरमैन के राघवन के मुताबिक हिंदू मुस्लिम समुदाय में जब भावनाएं उबाल पर थीं तब मोदी ने कई भड़काऊ बयान दिए.

Anhänger der indischen Volkspartei Bharatiya Janata feiern den Wahlsieg in der Provinz Gujarat
तस्वीर: AP

रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी के उस विवादास्पद फैसले पर भी सवाल उठाए गए हैं जिसमें दंगों के दौरान दो मंत्रियों को अहमदाबाद के पुलिस कंट्रोल रूम मे बैठने दिया गया. इससे उन आशंकाओं को बल मिलता है कि उन्हें पुलिस के काम में दखलअंदाजी करने के इरादे से बैठाया गया. गुजरात पुलिस पर यह भी आरोप लगाया गया है कि दंगों के दौरान वायरलेस बातचीत को नष्ट कर दिया गया.

रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि मोदी ने भेदभाव का परिचय देते हुए अहमदाबाद के उन इलाकों का दौरा नहीं किया जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम मारे गए. इसके विपरीत मोदी 300 किलोमीटर की दूरी तय कर गोधरा गए जहां कारसेवकों को जलाया गया था. मोदी पर तमाम सवाल उठाने के बावजूद एसआईटी ने कहा है कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है.

एसआईटी ने 600 पन्नों की अपनी रिपोर्ट मई, 2010 में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी. एसआईटी ने नरेंद्र मोदी से 10 घंटे तक पूछताछ की. यह पहली बार हुआ जब भारत में किसी मुख्यमंत्री से एसआईटी ने पूछताछ की. कुछ ही दिन पहले वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में करोड़ो रुपये का निवेश आकर्षित करने वाले नरेंद्र मोदी खबरों के केंद्र में रहे लेकिन गुजरात दंगों का अतीत एक बार फिर मोदी की अपनी छवि चमकाने की कोशिश को धुंधला कर सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए जमाल

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