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समाज

तो क्या खुल गया स्टोनहेंज का राज?

३ अगस्त २०१८

शायद आपने फिल्मी गानों में इन रहस्यमयी पत्थरों को देखा हो. इंग्लैंड में प्राचीन पत्थरों की संरचना स्टोनहेंज की कहानी पांच हजार साल से चली आ रही है. आज भी रिसर्च हो रही है कि इन्हें कैसे बनाया गया होगा.

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तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/Tetra

इंग्लैंड के विल्टशायर में स्थित स्टोनहेंज मूल रूप से मिट्टी को खोदकर खड़े किए गए पत्थरों से निर्मित घेरा है. मौजूदा वक्त में सिर्फ अवशेष रह गए हैं, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं. ऐसा माना जाता है कि ‘स्टोनहेंज' इसके आसपास रहने वाली जनजातियों के नेता का नाम था और यहां कब्रिस्तान हुआ करता था. इसे दो प्रकार के पत्थरों-सारसेन्स और ब्लूस्टोन से मिलाकर बनाया गया था.

ये पत्थर इसलिए खास हैं क्योंकि इन्हें जोड़ने के लिए ऐसे जोड़ों का प्रयोग किया गया था जिनका प्रयोग सामान्यतः लकड़ी के काम में किया जाता है. ऐसा पांच हजार साल पहले होना बड़ी बात है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र क्रिस्टोफ स्नोएक ने हाल ही में की अपनी रिसर्च में दावा किया है कि इन पत्थरों को वेल्स से लाया जाता था, जहां ब्लूस्टोन मुख्यत: पाया जाता है. हो सकता है कि पत्थर लाने वाले मजदूरों की मौत हो गई हो या उन्होंने अपने जीवन के आखिरी दिन स्टोनहेंज के करीब बिताए हों.

स्नोएक ने लैब टेस्ट के दौरान पाया कि इन पत्थरों के अवशेष में स्ट्रोनटियम नामक तत्व है. यह इंसानी हड्डियों में पाया जाता है और 1000 डिग्री तक के तापमान को भी सह सकता है. स्नोएक के मुताबिक, ''शव को दफनाने के बाद डीएनए समेत शरीर के सारे ऑर्गेनिक मैटर नष्ट हो जाते हैं, सिर्फ इनऑर्गेनिक मैटर बचा रहता है. स्ट्रोनटियम इनऑर्गेनिक मैटर है जिसकी पड़ताल की जाए तो मालूम चल सकेगा कि हम पांच हजार साल पहले क्या खाते थे.''

धरोहरों को ऐसे संभाला जाता है

शोधकर्ताओं ने जांच में पाया कि स्टोनहेंज में दफन हुए लोगों में कम से कम 10 अलग-अलग इलाकों से आते होंगे. यह भी पता किया जा रहा है कि अंतिम क्रिया के दौरान इस्तेमाल होनी वाली लकड़ी स्टोनहेंज के इलाके की थी या वेल्स के जंगलों से आई थी. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि कुछ लोगों को स्टोनहेंज की साइट पर दफनाया गया. उससे पहले उनकी अंतिम क्रिया पश्चिमी ब्रिटेन में की गई होगी और यहां उनकी अस्थियों को लाया गया होगा.

रिसर्च से यह निष्कर्ष निकाला गया कि पश्चिमी वेल्स से न सिर्फ ब्लूस्टोन पत्थर लाए गए, बल्कि लोग भी आए और उन्हें स्टोनहेंज में दफनाया गया. अनुमान है कि स्टोनहेंज में 150 से 240 कब्रें खोदे गईं.

वीसी/आईबी (एएफपी)

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