तुर्की में गिरफ्तार पत्रकार की रिहाई की मांग
२२ मार्च २०१७जर्मनी के नये राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने पद और गोपनीयता की शपथ लेने के बाद पहले भाषण में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान से संयम बरतने की अपील की है. उन्होंने तुर्की में गिरफ्तार जर्मन पत्रकार डेनिस यूशेल की रिहाई की भी मांग की. राष्ट्रपति ने कहा, "खत्म कीजिए गंदी नाजी तुलना. आदर कीजिए कानूनी राज्य और मीडिया तथा पत्रकारों की आजादी का. डेनिस यूशेल को रिहा कीजिए."
फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने इससे पहले जर्मन राजधानी बर्लिन में देश के 12वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. संसद के संयुक्त अधिवेशन में बुंडेसटाग के अध्यक्ष नॉर्बर्ट लामर्ट ने उन्हें पद की शपथ दिलायी.
दो दिन पहले ही जर्मन राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास श्लॉस बेलव्यू में निवर्तमान राष्ट्रपति ने सैनिक सम्मान के साथ उनका स्वागत किया था. 61 साल के सोशल डेमोक्रैट श्टाइनमायर राष्ट्रपति चुने जाने से पहले देश के विदेश मंत्री थे. उप चांसलर जिगमार गाब्रिएल ने यह जिम्मेदारी संभाल ली है.
श्टाइनमायर ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में उप चांसलर समेत कई बड़े पद संभाले हैं. लेकिन 1998 से 2005 तक तत्कालीन चांसलर श्रोएडर के समय चांसलर कार्यालय के मंत्री के रूप में उनकी भूमिका सबसे ज्यादा यादगार मानी जाती है. इसके अलावा 2003 में आर्थिक और कल्याण सुधारों का एक पैकेज पास करवाने में भी श्टाइनमायर ने अहम भूमिका निभायी थी.
उस समय जर्मनी को "यूरोप का बीमार आदमी” कहा जा रहा था. कारण था कामगारों के करीब 11.6 फीसदी हिस्से का सामाजिक भत्तों पर जीना. यह माना जा रहा था कि बेरोजगारी का कोई इलाज नहीं है केवल उसका प्रबंधन ही किया जा सकता है. लेकिन तभी इस धारणा को नकारते हुए श्रोएडर ने हार्त्स समिति के सुझाये 'अजेंडा 2010' पैकेज की घोषणा की. अजेंडा 2010 ने जर्मनी के श्रम बाजार को क्रांतिकारी तरीके से बदल डाला. इसके बाद से जर्मनी एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरा, जहां रिकॉर्ड रोजगार के साथ और यूरोप में सबसे कम युवा बेरोजगारी दर है.
सार्वजनिक जीवन में श्टाइनमायर ने आमतौर पर कूटनीतिक रवैया ही दिखाया है लेकिन हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान उन्होंने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए डॉनल्ड ट्रंप को "नफरत का उपदेशक" कह डाला था.
उनकी पत्नी एल्के बुइडेनबेंडर देश की प्रथम महिला होंगी. राष्ट्रपति के समारोही पद पर पांच साल रहते हुए गाउक ने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया है. 77 साल के हो चुके गाउक राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार नहीं थे. उन्हें सैनिक सम्मान के साथ राष्ट्रपति भवन से विदाई दी गयी थी.
आरपी/एमजे (डीपीए)