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तीसरे टेस्ट में गेंदबाजों की होगी परीक्षा

१९ नवम्बर २०१०

न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे और आखिरी टेस्ट में जीत सुनिश्चित करने के लिए भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी गेंदबाजी की धार को पैना करने की कोशिश में हैं. लेकिन बारिश फेर सकती है उम्मीदों पर पानी. पहले दो टेस्ट ड्रॉ रहे हैं.

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तस्वीर: AP

तीसरा टेस्ट शनिवार से नागपुर में शुरू हो रहा है. अहमदाबाद और हैदराबाद में जीत से वंचित रह जाने की कसर भारत नागपुर टेस्ट में निकाल लेना चाहता है. लेकिन भारत में दो टेस्ट ड्रॉ करा लेने को जीत से कम नहीं समझ रहे कप्तान डेनियल वेटोरी की भी यही तमन्ना है. वह भी भारत को उसी की जमीन पर हराकर उसके गुरुर को तोड़ना चाहेंगे.

वहीं सचिन तेंदुलकर के पास मौका होगा 50 शतकों के रिकॉर्ड को पूरा करने का. घरेलू मैदान में समर्थकों के बीच इस महान रिकॉर्ड को बनाना उनके लिए यादगार मौका होगा और टेस्ट मैच में नजरें उन पर लगी रहेंगी.

Der indische Cricketstar Sachin Tendulkar
तस्वीर: UNI

दबाव मास्टर ब्लास्टर पर होगा और दो टेस्ट की तीन पारियों में वह सिर्फ 65 रन ही बना पाए हैं. इस सीरिज में वह अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में तो नजर नहीं आए हैं लेकिन ऐसा करना उनके लिए मुश्किल नहीं होना चाहिए क्योंकि 21 साल के अपने करियर में बार बार अपनी सर्वश्रेष्ठता साबित की है.

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कुछ और मना ही रहे हैं. वह पैवेलियन में बैठकर बरसात होते नहीं देखना चाहते हैं. वैसे शुक्रवार को मौसम कुछ बेहतर हुआ है और धूप भी निकली है लेकिन भारतीय टीम समय से प्रैक्टिस सेशन शुरू नहीं कर पाई.

टीम इंडिया के लिए मुश्किल उसकी गेंदबाजी का कमजोर होना है. जहीर खान चोट की वजह से मैच नहीं खेल पाएंगे और दबाव अब अनुभवी गेंदबाज हरभजन सिंह पर आ गया है. वैसे यह सीरीज हरभजन को गेंद से ज्यादा बल्लेबाजी के लिए याद रहेगी. वह अब तक दो शतक जमा चुके हैं और 295 रन ठोंक चुके हैं. परेशानी की बात यह है कि उनकी गेंदों का सामना करने में न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को ज्यादा मुश्किल पेश नहीं आई है.

जहीर की गैरमौजूदगी में पेस विभाग की जिम्मेदारी ईशांत शर्मा के कंधों पर होगी और उनका साथ श्रीसंत देंगे. इस सीरीज में प्रज्ञान ओझा ने अपनी गेंदबाजी से प्रभावित किया है और बल्लेबाजों को बांधे रखने का काम उन्होंने बखूबी किया है. बल्लेबाजी में धोनी का खराब दौर जारी है और टीम के लिए मिसाल कायम करने के लिए उनके बल्ले से रन निकलना जरूरी हो गया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: महेश झा

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