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तालिबान ने निकाली पत्रिका, मकसद महिलाओं को जिहादी बनाना

१४ अगस्त २०१७

पाकिस्तान में तालिबान ने अंग्रेजी की एक पत्रिका शुरू की है जिसका मकसद महिला पाठकों को अपने संगठन में शामिल होने और जिहादी बनने के लिए प्रेरित करना है.

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Pakistan Fauenzeitschrift SuK der Taliban TTP - Ausschnitt
तस्वीर: SuK

पिछले दिनों पाकिस्तानी तालिबान ने महिलाओं को ध्यान में रखते हुए अपनी एक अंग्रेजी पत्रिका का पहला अंक निकाला. इसका नाम "सुन्नत ए खौला" रखा गया है जिसका अर्थ होता है खौला का रास्ता. खौला सातवीं सदी की एक महिला लड़ाका और पैगंबर मोहम्मद की अनुयायी थी. इस पत्रिका को तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने प्रकाशित किया है और इसके कवर पर एक महिला को दिखाया गया है जो ऊपर से लेकर नीचे तक ढकी हुई है.

पत्रिका में पाकिस्तानी तालिबान के नेता फजुल्लाह खोरासानी की पत्नी का इंटरव्यू छापा गया है, जिसमें वह 14 साल की उम्र में खोरासानी से शादी करने की बात कहती है. साथ ही वह कम उम्र में लड़कियों की शादी का समर्थन करती है. इंटरव्यू में तालिबान नेता की पत्नी का नाम प्रकाशित नहीं किया गया है.

पत्रिका के संपादकीय में साफ साफ लिखा गया है कि उसका मकसद महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में संगठन में शामिल होने के प्रेरित करना है. इसके मुताबिक, "हम इस्लाम की महिलाओं को आगे आने और मुजाहिदीन का साथ देने के लिए उकसाना चाहते हैं." पत्रिका में कई मुस्लिम जिहादियों के कॉलम भी छापे गये हैं.

पत्रिका में एक पाकिस्तानी महिला डॉक्टर के बारे में भी एक लेख है जिसमें बताया गया है कि कैसे उसने पश्चिमी शिक्षा छोड़ कर इस्लाम को अपनाया. इस लेख का शीर्षक है, "अज्ञानता से मार्गदर्शन तक की मेरी यात्रा".

Pakistan Taliban-Sprecher Ehsanullah Ehsan & Adnan Rasheed
तालिबान महिलाओं की शिक्षा का विरोध करने के लिए बदनाम रहा हैतस्वीर: Getty Images/AFP/H. Muslim

पाकिस्तान के एक रिटायर्ड ब्रिगेडियर और सुरक्षा विश्लेषक साद मोहम्मद कहते हैं, "अंग्रेजी में पत्रिका निकालना इस बात का सबूत है कि दकियानूसी सोच रखने वाले तालिबान जैसे संगठन भी सोशल मीडिया को तवज्जो दे रहे हैं." उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "इस पत्रिका के जरिये वे शायद मिडल क्लास और अपर मिडल क्लास की महिलाओं तक पहुंचना चाहते हैं."

कुछ इसी तरह की राय इस्लामाबाद में रहने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता उस्मान काजी की भी है. वह कहते हैं, "शायद तालिबान विदेशों में बसी पाकिस्तानी मूल की महिलाओं को आकर्षित करना चाहता है ताकि उनके जरिये उसे नयी भर्तियां करने और वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद मिले."

अब तक तालिबान को ऐसे संगठन के तौर पर ही देखा जाता रहा है जो इस्लाम के नाम पर महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधाएं पैदा करता रहा है और जो लोग उसके मत को नहीं मानते, उन हमले हुए हैं. लड़कियों की शिक्षा के लिए मुहिम चलाने वाली और बाद में नोबेल विजेता बनी मलाला यूसुफजई पर हमले को इसी संदर्भ में देखा जा सकता है. इसके अलावा सरेआम लोगों का सिर कलम करने, राजनेताओं की हत्या और अपहरण जैसे अपराधों के कारण भी तालिबान खासा बदनाम रहा है.

Malala Yousafzai wird UN-Friedensbotschafterin
मलाला युसूफजई पर तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा के समर्थन के कारण गोली चलाई थीतस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Gombert

इस सबके बावजूद मानवाधिकार कार्यकर्ता हुरमत अली शान कहते हैं कि तालिबान को महिलाओं के बीच अपने लिए संभावनाएं दिखायी पड़ती हैं. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब तालिबान ने कोई पत्रिका निकाली है. अतीत में जब पाकिस्तान में तालिबान का ज्यादा असर हुआ करता था, वह नियमित रूप से ऊर्दू और अंग्रेजी में पत्रिका निकालता था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को भर्ती के लिए आकर्षित कर सके. फेसबुक और ट्विटर पर भी वह सक्रिय रहा है, हालांकि अब उसके ज्यादातर सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिये गये हैं.

पाकिस्तान में अब सुरक्षा की स्थिति बेहतर हुई है, लेकिन तालिबान चरमपंथी अब भी हमले करने में सक्षम हैं. सुरक्षा विशेषज्ञ साद मोहम्मद कहते हैं, "हो सकता है कि नयी पत्रिका के जरिये तालिबान अपने कम होते प्रभाव को बढ़ाना चाहता हो. सेना के अभियानों की वजह से उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ा है."

रिपोर्ट: श्रीनिवास मजुमदारु, शामिल शम्स