तालाबंदी: जब थम सी गई जिंदगी
भागती-दौड़ती जिंदगी जब अचानक एक वायरस की वजह से थम जाती है तो बहुत अलग अहसास होता है. क्या गांव और क्या शहर, सभी की रफ्तार अचानक थम गई. तस्वीरों के जरिए डालिए एक नजर "कोरोना लॉकडाउन" के असर पर.
सोशल डिस्टैंसिंग
दिल्ली में बेघरों के कैंप में खाने का इंतजार कर रहे लोगों ने अपनी जगह सफेद गोलाकार में चप्पल रख दी है. बेघरों के लिए सरकार ने खाने और रहने की व्यवस्था की है.
भोजन और दूरी
भोजन के लिए कतार में लगे लोग सामाजिक दूरी का पालन करते हुए. भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में वायरस को काबू करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.
खाने का इंतजार
कैंपों में रह रहे प्रवासी मजदूर अचानक फंस गए हैं. एक ओर कोरोना का डर तो दूसरी ओर घर वापस न लौट पाने की चिंता. उन्हें लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार है.
संक्रामक रोगाणु से मुक्ति?
मुंबई की सड़कों को संक्रामक वायरस से मुक्त करने के लिए सफाई कर्मचारी ब्लोअर का इस्तेमाल करते हुए. इस ब्लोअर के जरिए ऐसे केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है जिससे वायरस नष्ट हो सके.
संकट में मिली छत
प्रवासी मजदूर और बेघरों के रहने के लिए दिल्ली के खेल परिसर को अस्थायी रूप से आश्रम में तब्दील कर दिया गया है. यहां लोगों को रहने और खाने-पीने की सुविधा दी जा रही है.
प्रवासी मजदूरों की चिंता
पिछले दिनों हजारों प्रवासी मजदूर दिल्ली से अपने गांव लौट गए थे. जब लोगों के पैदल ही घर निकल पड़ने पर विवाद बढ़ा तो राज्य सरकार ने उनके रहने और खाने का इंतजाम किया.
सुस्त जिंदगी
तालाबंदी की वजह से लोग अपने घरों में ही रह रहे हैं. जिनको जरूरी काम के लिए बाहर नहीं जाना होता है वह इसी तरह से अपनी खिड़की से बाहर देख अपना समय काटते हैं.
मास्क का साथ
भारत में कोरोना वायरस के फैलाव से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल हो रहा है. चेन्नई में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के दफ्तर में कर्मचारी मास्क बनाते हुए. यह मास्क पुलिसकर्मियों में बांटे जाएंगे.
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