तस्वीरों में मेक्सिको का शरणार्थी संकट
फोटो जर्नलिस्ट गिलेर्मो आरियास को प्रतिष्ठित "वीजा दे ओर" पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. देखिए उन तस्वीरों को जिनके कारण उन्हें यह पुरस्कार दिया गया.
अमेरिका चलो
2018 और 2019 में लगातार लाखों की तादाद में लोग मध्य अमेरिकी देशों से संयुक्त राज्य अमेरिका का रुख करते रहे. इन लोगों को उम्मीद है कि सीमा पार ये एक बेहतर जीवन जी सकेंगे. इन्हीं शरणार्थियों वाली अपनी इस फोटो श्रृंखला को गिलेर्मो आरियास ने नाम दिया है "कारवां".
बच्चों के साथ
आरियास फ्रांस की समचार एजेंसी एएफपी के लिए काम करते हैं. उनकी कई तस्वीरों में ऐसे परिवारों को देखा जा सकता है जो छोटे बच्चों के साथ सीमा पार करने जा रहे हैं. इन लोगों को उम्मीद होती है कि बच्चों के कारण अर्जी को आराम से स्वीकार कर लिया जाएगा. लेकिन अमेरिकी सीमा पर हकीकत इससे अलग है. वहां अकसर बच्चों को उनके माता पिता से अलग कर दिया जाता है.
मीलों का सफर
अमेरिका तक पहुंचना आसान नहीं. मीलों के इस सफर में कई हफ्ते लग जाते हैं. मेक्सिको के अलावा होंडूरास, निकारागुआ, ग्वाटेमाला और एल साल्वाडोर के लोग भी अमेरिका जाना चाहते हैं. कई बार तो इन्हें 2,000 किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय करना होता है. ये लोग अपने देशों के बुरे हालात और आपराधिक माहौल से भाग कर एक बेहतर जीवन की कामना में अमेरिका जाना चाहते हैं.
मेक्सिको पर बोझ
पिछले दो सालों में मेक्सिको पर हुई बेइंतहा चर्चा के बाद से वहां मध्य अमेरिकी देशों से आने वालों की संख्या और भी बढ़ गई है. लोगों को लगता है कि मेक्सिको के रास्ते अमेरिका पहुंचना शायद ज्यादा आसान है. इस तस्वीर में एक व्यक्ति मेक्सिको जाने वाले एक ट्रक पर बच्चे को चढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
शरणार्थियों की मदद
इस बीच मेक्सिको ने अपने नियमों में ढील दी है. अन्य देशों से आ रहे लोगों को मेक्सिको की सीमा पर चिकित्सीय सुविधाएं भी मिल रही हैं और बच्चों को शिक्षा भी. लेकिन इसके विपरीत अमेरिका दिन पर दिन और सख्त होता जा रहा है. बच्चों को अलग डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है. कई जगह इन केंद्रों में रह रहे लोगों के पास साफ पानी और साबुन जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं हैं.