1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

तनाव के बीच ईरान ने लॉन्च किया सैन्य सैटेलाइट

२२ अप्रैल २०२०

कई महीनों के नाकाम प्रयासों के बाद ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने अंतरिक्ष में एक सैन्य उपग्रह प्रक्षेपित किया है. अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु डील खत्म होने के बाद जारी तनातनी में यह ईरान का ताजा पैंतरा है.

https://p.dw.com/p/3bGLK
Iran Trägerrakete mit Satellit
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Iranian Defense Ministry

ईरान के ताकतवर सुरक्षा बल रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने बताया है कि महीनों की कोशिशों के बाद बुधवार को एक सैन्य उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया है. फारस की खाड़ी में अमेरिकी युद्धपोत को लेकर पैदा तनाव के एक हफ्ते बाद ईरान ने यह उपग्रह छोड़ा है.

गार्ड्स की सेपाहन्यूज वेबसाइट ने लिखा, "इस्लामी गणराज्य ईरान के पहले सैटेलाइट को सफलतापूर्वक इस्लामी रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर ने कक्षा में स्थापित कर दिया है." वेबसाइट ने आगे लिखा है, "यह कदम एक महान सफलता होगा और इस्लामी ईरान के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में नया घटनाक्रम होगा."

गार्ड्स ने कहा है कि पृथ्वी के धरातल से 425 किलोमीटर की ऊंचाई पर उपग्रह एक कक्षा में पहुंच गया है. दो चरणों वाला यह लॉन्च ईरान के केंद्रीय रेगिस्तान में हुआ. यह पहला ऐसा सैटेलाइट है जिसे ईरान ने अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है.

ये भी पढ़िए: कौन हैं 'ईरान के रक्षक' रेवोल्यूशनरी गार्ड्स

गार्ड्स का कहना है कि सैटेलाइट को गास्ड यानी "संदेशवाहक" नाम के एक सैटेलाइट कैरियर के जरिए छोड़ा गया है. यह ऐसा सिस्टम है जिसके बारे में अब तक नहीं सुना गया है. ईरान के इस दावे की अभी स्वतंत्र स्रोतों से पुष्टि नहीं हो पाई है और गार्ड्स की तरफ से भी इसकी पुष्टि के लिए कोई तस्वीर या फुटेज जारी नहीं की गई है.

सैटेलाइट भेजने की लगातार कोशिशें

पिछले महीनों में ईरान ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजने की कई बार कोशिशें कीं. इनमें सबसे ताजा कोशिश फरवरी के मध्य में की गई थी जब जफर1 नाम के संचार उपग्रह को प्रक्षेपित करने की कोशिश नाकाम रही. 2019 में भी दो बार की गई ऐसी कोशिशें नाकाम रहीं. इसके अलावा लॉन्चपैड रॉकेट में धमाका हो गया और इमाम खोमैनी स्पेस सेंटर में आग भी लग गई जिसमें तीन रिसर्चर मारे गए. इसी सेंटर से ईरान का अंतरिक्ष कार्यक्रम चलता है.

सैटेलाइट लॉन्च को ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव की ताजा कड़ी माना जा रहा है. हाल के सालों में मध्य पूर्व के ताकतवर देश ईरान ने एक एक कर उन सभी पाबंदियों को तोड़ दिया है जो 2015 में हुए परमाणु समझौते के तहत उसके लिए निर्धारित की गई थीं. 2018 में अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही डॉनल्ड ट्रंप ने परमाणु करार से बाहर निकलते हुए ईरान पर सभी प्रतिबंध बहाल कर दिए. वैसे ईरान संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षकों को अब भी अपने परमाणु स्थलों पर जाने दे रहा है.

ये भी पढ़िए: किसके पास, कितने एटम बम

संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के खिलाफ

अमेरिका का कहना है कि ऐसा कोई भी सैटेलाइट लॉन्च संयुक्त राष्ट्र के उन प्रस्तावों के विपरीत है जिनमें ईरान से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलेस्टिक मिसाइल से जुड़ी गतिविधियों से दूर रहने को कहा गया है. अमेरिका और यूरोपीय देशों को डर है कि इस तरह के सैटेलाइट लॉन्च के जरिए ईरान को परमाणु क्षमताएं विकसित करने में मदद मिल सकती है.

माना जाता है कि अभी ईरान इसमें सक्षम है कि इतने छोटे परमाणु हथियार विकसित कर सके जिन्हें बैलेस्टिक मिसाइल ले जा सकें. लेकिन पिछले एक दशक में ईरान का अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ा है. उसने ना सिर्फ कई सैटेलाइट लॉन्च किए हैं बल्कि एक बंदर को भी अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश की.

USA Pope Army Airfield | Konflikt mit dem Iran, Irak | Fallschirmjäger, Abreisevorbereitungen
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा हैतस्वीर: picture-alliance/Zuma Press/Timothy L. Hale

ईरान दावा करता रहा है कि वह परमाणु हथियार बनाने की महत्वाकांक्षा नहीं रखता. लेकिन रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की तरफ से सैटेलाइट लॉन्च किए जाने के बाद इस दावे पर सवाल उठते हैं. रिवोल्यूशनरी गार्ड्स को ईरान में सबसे ताकतवर सैन्य बल माना जाता है जो सीधे देश के सर्वोच्च नेता की निगरानी में काम करता है.

यह अभी साफ नहीं है कि क्या ईरान में हुए इस सैटेलाइट लॉन्च से राष्ट्रपति हसन रोहानी की सरकार वाकिफ है. राष्ट्रपति रोहानी ने बुधवार को कैबिनेट के सामने 40 घंटे का भाषण दिया और उसमें कहीं भी सैटेलाइट लॉन्च का जिक्र नहीं था.

एके/एमजे (एपी, एएफपी)

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी