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तकनीक से महिलाओं की नौकरियों पर ज्यादा खतरा

१५ मार्च २०१९

तेजी से तरक्की कर रही टेक्नॉलोजी से पुरुषों की तुलना में महिलाओं की नौकरियों पर ज्यादा खतरा मंडरा रहा है. लेकिन कैसे? पढ़िए इस बारे में हुई एक ताजा स्टडी क्या कहती है.

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Arbeitnehmer immer unzufriedener
तस्वीर: Fotolia/Pfluegl

अमेरिका के इंस्टीट्यूट फॉर वीमंस पॉलिसी रिसर्च (आईडब्ल्यूपीआर) का अध्ययन बताता है कि प्रशासनिक सहायक, ऑफिस क्लर्क, बुककीपर और कैशियर का 90 फीसदी से ज्यादा काम मशीनें संभाल सकती हैं. ये सभी ऐसे पद हैं जिन पर ज्यादातर महिलाएं होती हैं. आईडब्ल्यूपीआर में सीनियर रिसर्चर और अध्ययन की निदेशक चंद्रा शिल्डर्स कहती हैं, "हम पहले ही से देख रहे हैं कि इनमें से कुछ काम कंप्यूटरों ने संभाल लिए हैं."

अमेरिका के ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिक्स और रिसर्च डाटा के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा टेक्नॉलोजी के आधार पर विश्लेषण करें तो जिन लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, उनमें 58 प्रतिशत महिलाएं हैं. रिसर्चर कहते हैं कि एक तरफ महिलाएं ऐसे पदों पर काम कर रही हैं, जिनमें सबसे ज्यादा ऑटोमेशन की संभावना है, तो दूसरी तरफ महिलाओं के दबदबे वाले ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां ऑटोमेशन से नौकरियों पर ज्यादा खतरा नहीं है. इनमें बच्चों की देखभाल या फिर नर्सिंग का नाम खास तौर से लिया जा सकता है.

शिल्डर्स के मुताबिक ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिक्स का अनुमान है कि 2016 से 2026 के बीच नौकरियों में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बेघर महिलाओं के लिए नई नौकरियां पैदा की जा सकती हैं. ऑटोमेशन की वजह से बेरोजगार होने वाली महिलाओं को दूसरे पेशों से जुड़ी ट्रेनिंग दी जा सकती है. लेकिन किसी एक पेशे में दशकों बिताने वाली महिलाओं के लिए दूसरे पेशे को अपनाना एक बड़ी चुनौती होती है.

शिल्डर्स कहती हैं कि बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी भी आम तौर पर महिलाओं के कंधों पर आती है. ऐसे में नई ट्रेनिंग के लिए उनके पास कम ही समय बचता है.

रिसर्च में यह नहीं बताया गया है कि दफ्तरों में ऑटोमेशन का असर कब से दिखना शुरू होगा, लेकिन उन नौकरियों की पड़ताल जरूर की गई है जिनमें मौजूदा टेक्नॉलोजी के आधार पर ऑटोमेशन संभव है. शिल्डर्स कहती हैं, "अगर लोग टेक्नॉलोजी के आदी हो जाएंगे तो ऑटोमेशन की रफ्तार तेज होगी." वह कहती हैं कि चेक आउट मशीनों को लेकर पहले लोग बहुत सशंकित थे, लेकिन वे उन्हें बड़ी सहजता से इस्तेमाल कर रहे हैं.

एके/आईबी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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