ड्रेसडेन: बनते बनते बन रहा एक शहर
२२ जुलाई २००९
अपने घावों को आखिर कोई कब तक भरते रह सकता है या कोई घाव आखिर कब तक भर सकता है. ड्रेसडेन शहर को देखकर आप इन सवालों के जवाब में सौ की एक बात कह सकते हैं कि हर घाव चाहे कितना गहरा और ख़तरनाक हो आख़िरकार भर ही जाता है.
ड्रेसडेन ने अपनी जिजीविषा और जीवंतता की बदौलत अपने घाव ख़ुद भरे. युद्ध की विभीषिका से नष्ट शहर की थाती को पुनर्जीवित करना और उसका प्राचीन स्पंदन उसे लौटा देना एक बड़ा काम है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद के कई दशकों से ड्रेसडेन ऐसे ही महत्ती काम से गुज़र रहा है.
ड्रेसडेन में पुनर्निर्माण चल रहा था और आज भी शहर में ये काम जारी है. जर्मनी में फिर से बसाए जा रहे शहरों में ड्रेसडेन ही है जहां निर्माण कंपनियां और खड़ी हो रही बहुतेरी इमारतें आज भी दिख जाती हैं. कुछ जगहों पर तो चौक के चौक नए हो रहे हैं. 1990 में जर्मन एकीकरण के समय से कई अरब यूरो ड्रेसडेन के सिटी सेंटर के निर्माण और पुरानी इमारतों को बहाल करने में लगा दिए गए हैं. लेकिन धीरे धीरे ही सही, ड्रेसडेन का एक नया चेहरा प्रकट हो रहा है. प्रसिद्ध सेम्पर ऑपेरा जैसी ऐतिहासिक झलकियों वाला एक आधुनिक शहर. एल्बे नदी के तट से ड्रेसडेन की एक झलक देखो तो समझ में आता है इस शहर को एल्बे का वेनिस यूं ही नहीं कहते थे.
विनाश और पुनर्निर्माण
सैक्सोनी प्रांत के ड्रेसडेन शहर की तरह दूसरे विश्व युद्ध में पूरी तरह तबाह होने वाले जर्मन शहर कम ही थे. 1945 की फरवरी में हवाई हमलों में 35 हज़ार लोग मारे गए थे. सिटी सेंटर मलबे और राख में बदल गया था. नेस्तनाबूत सिर्फ मासूम जानें ही नहीं शहर की पहचना भी हुई. जैसे फ्राउएनकिर्शे नाम का मशहूर चर्च. युद्ध के बाद शहर के अधिकारियों को अपने नागरिकों के लिए फौरन रिहायश का इंतजा़म करना था लिहाज़ा इन ज़रूरतों के लिए ऐतिहासिक इमारतों को फिर ताकत देने का अभियान पीछे छूट गया. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. चार लाख सत्तर हज़ार की आबादी वाली, सैक्सोनी संघीय प्रांत की राजधानी ड्रेसडेन अपने प्रतीकों में फिर से ज़िंदा हो रही है.
50 साल से युद्ध के ख़िलाफ़ गवाही देता स्मारक फ्राउएनकिर्शे दोबारा खड़ा कर दिया गया है. नात्सियों ने यहूदियों के सिनेगॉग को भी नष्ट कर दिया था. युद्ध के पहले पांच हज़ार की यहूदी आबादी युद्ध पश्चात 250 की रह गई. इनके सम्मान में सिनेगॉग को फिर से बनाया गया है. यूनिवर्सिटी का भी कायापलट किया गया है. कंक्रीट और इस्पात से नया लेक्चर हॉल बनाया गया है. वास्तुशिल्प का ये कलात्मक नमूना है.
संस्कृति का पहरूआ ड्रेसडेन कल भी था आज भी है
बौद्धिकों और संस्कृतिकर्मियों के लिए ड्रेसडेन हमेशा से एक स्वप्न लोक रहा है. रोमानी दौर के डेविड फ्रीडरिश जैसे कलाकार और कार्ल मारिया फॉन वेबर जैसे संगीतज्ञों ने ड्रेसडेन को अपने रचनाधर्म की कर्मस्थली और अपना निवास बनाया है. मशहूर अभिव्यजंनावादी पेंटर ओस्कार कोकोश्का ड्रेसडेन कला अकादमी में पढ़ाते थे. ग्रट पालूचा ने 1920 के दशक में यहां अपना मुक्त नृत्य विद्यालय खोला था और ड्रेसडेन को आधुनिक नृत्य का केंद्र बना दिया था. कला और संगीत के शौकीनों, छात्रों, शोधकर्ताओं के लिए ड्रेसडेन में बहुत कुछ है. सालाना संगीत समारोहों से लेकर ओपन एयर सिने महोत्सवों तक. और तो और ड्रेसडेन अपने ख़ास डिक्सीलैंड जैज़ उत्सव के लिए भी मशहूर है.
ड्रेसडेन की सबसे प्रसिद्ध इमारत है द स्विंगर. वास्तुशिल्प की इस अनोखी इमारत को पुराने शहर की किलेबंदी के बीच की जगह में 1709-32 में बनाया गया था. इसका विशाल चौक देखने लायक है और ये घिरा है गैलरियों से जिनके अपने पवैलियन और द्वार हैं.
ड्रेसडेन की भव्यता विराटता और रहस्यपरक कलात्मकता की झलक दिखती है एल्बे नदी पर बने विशाल संस्पेंशन पुल में. इस पुल का नाम है ब्लाउअस वुंडर यानी नीला आश्चर्य. 1891-93 में इसका निर्माण किया गया था. इस पर नीला रंग किया गया है. इसका मुख्य धड़ा 464 फुट लंबा है और ये जुड़ता है नज़दीकी ख़ूबसूरत पहाड़ी स्पॉट लोश्चवित्ज़ से. एल्बे नदी के लहराते नीलेपन में इस पुल का व्यापक नीलापन आकाश की अनंत नीलिमा से मिलकर एक सुंदर जादू जगाता है. लगता है ड्रेसडेन ही वो जादू है.
शिव प्रसाद जोशी