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डॉयचे बान और सीमेंस चलाएंगे हाइड्रोजन से ट्रेन

२५ नवम्बर २०२०

जर्मन रेल कंपनी डॉयचे बान और सीमेंस मोबिलिटी ने हाइड्रोजन से चलने वाले रेल इंजन को विकसित करने का फैसला किया है. दोनों कंपनियां आने वाले दिनों में पर्यावरण की रक्षा के लिए स्थानीय रूटों पर डीजल इंजन को हटाना चाहती हैं.

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Siemens Mireo Plus H
तस्वीर: Siemens AG

दोनों कंपनियों की तरफ से की गई संयुक्त घोषणा में कहा गया है कि सीमेंस कंपनी ने जो प्रोटोटाइप तैयार किया है वह इलेक्ट्रिक रेलकार मिरेओ प्लस पर आधारित है. कंपनियों ने उम्मीद जताई है कि 2024 में इस तकनीक से चलने वाली ट्रेन और फिलिंग स्टेशन का परीक्षण शुरू हो जाएगा. यह फिलिंग स्टेशन 15 मिनट में हाइड्रोजन ट्रेन को यात्रा के लिए तैयार कर देगा. इन ट्रेनों की गति पारंपरिक डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेन जितनी ही होगी.

हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन के इंजन में ईंधन सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच बैटरी की मदद से हुई प्रतिक्रिया के जरिए बिजली पैदा करते हैं. इस प्रतिक्रिया में बिजली के अलावा केवल भाप और पानी ही बाकी बचता है. ट्रेनों को इसी बिजली की मदद से चलाया जाता है. डॉयचे बान बोर्ड की सदस्य साबीना जेशके का कहना है, "हम ट्रेनों में डीजल ट्रेन जितनी ही जल्दी ईंधन भर सकेंगे, यह सच्चाई है और इससे पता चलता है कि पर्यावरण के लिहाज से बेहतर परिवहन संभव है."

जर्मन रेल कंपनी 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करना चाहती है. इसका मतलतब है कि मौजूदा 1,300 डीजल इंजनों को हटाना होगा. जेशके ने कहा, "हम जीवाश्म ईंधन का उपयोग शून्य के स्तर पर लाना चाहते हैं.. उसके बाद हम एक भी पारंपरिक डीजल इंजन नहीं चलाएंगे." जर्मन रेल नेटवर्क के करीब 39 फीसदी हिस्से में पटरी के ऊपर बीजली की तारें नहीं हैं. ऐसे रूट पर रेल चलाने के लिए ट्रेनों के इंजन में ही डीजल जैसा ईंधन भरना होता है. 

Spatenstich für erste Wasserstofftankstelle für Passagierzüge
एल्सटॉम पहले ही चला चुकी है हाइड्रोजन से ट्रेनतस्वीर: alstom.com

जर्मनी के ट्यूबिंगन इलाके में परीक्षण के लिए करीब 600 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग पर एक साल तक अक्षय ऊर्जा से चलने वाली रेल चलाने का फैसला किया गया है. सीमेंस की यह ट्रेन एक साल में करीब 330 टन कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन रोकेगी. डॉयचे बान का कहना है कि इस ट्रेन की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटे होगी.

हाइड्रोजन से ट्रेन चलाने के मामले में सीमेंस अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी एल्स्टॉम से पिछड़ गई है. एल्सटॉम ने दुनिया का पहली हाइड्रोजन ट्रेन 2018 में जर्मनी के लोअर सैक्सनी इलाके में शुरू की. करीब 100 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग पर पहले डीजल की ट्रेन चलती थी. फ्रेंच कंपनी को इसके बाद जर्मनी से 41 ट्रेनों के ऑर्डर मिल चुके हैं. इसी साल सितंबर में इस कंपनी ने ऑस्ट्रिया में भी अपनी सेवा शुरू कर दी है. 

कोरोना वायरस के दौर में मिले प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के रूप में जर्मनी ने ग्रीन हाइड्रोजन को विकसित करने के लिए 9 अरब यूरो के फंड की घोषणा की है. इसकी मदद से 2038 तक कोयले का इस्तेमाल पूरी तरह बंद करने की योजना है. 

एनआर/आईबी (डीपीए, एएफपी)

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