डिजिटल दुनिया का कड़वा सच, जर्मनी की नौकरियां खतरे में
२ फ़रवरी २०१८एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार बढ़ता डिजिटलाइजेशन जर्मनी में रोजगारों को नष्ट कर रहा है. अगले पांच साल में 34 लाख रोजगार खत्म हो जाएंगे क्योंकि उन कामों की जिम्मेदारी रोबोट और अल्गोरिद्म ले लेंगे. जर्मनी में इस समय 3.3 करोड़ लोग सामाजिक कल्याण कोष में योगदान देने वाली नौकरियों में हैं. फ्रैंकफर्ट से प्रकाशित एक जर्मन अखबार ने आईटी संघ बिटकॉम के कराए एक सर्वे के हवाले से खबर दी है. 500 कंपनियों में किए गये इस सर्वे के मुताबिक 25 प्रतिशत कंपनियां डिजिटलाइजेशन के कारण अपने अस्तित्व पर खतरा महसूस कर रही हैं.
बिटकॉम के अनुसार इस समय संचार तकनीक के क्षेत्र में 20,000 लोग काम करते हैं जबकि 1990 के दशक में इस क्षेत्र में 200,000 नौकरियां थीं. बिटकॉम के अध्यक्ष आखिम बैर्ग का कहना है कि पिछले पंद्रह सालों में 90 प्रतिशत नौकरियां खत्म हो गई हैं. अब बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में भी इसी तरह का विकास होने का खतरा है. उनके अलावा रसायन और फार्मेसी उद्योग भी प्रभावित होंगे. अगले बीस सालों में मौजूदा पेशों में से आधे खत्म हो जाएंगे. लेकिन जर्मनी की मनहाइम रिसर्च इंस्टीट्यूट के टेरी ग्रिगोरी का कहना है कि अतीत में डिजिटलाइजेशन से नौकरियां कम नहीं हुई हैं, वे बढ़ी हैं. उनके अध्ययन के अनुसार पूरा काम निगलने के बदले कंप्यूटर भविष्य में खास जिम्मेदारियां पूरा करेंगी.
इस समय चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू-सीएसयू पार्टियां और सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी नई गठबंधन सरकार बनाने की बातचीत कर रही हैं और उनकी प्राथमिकता डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने की है. भावी आर्थिक नीतियों के बारे में इन पार्टियों का कहना है, "हम चाहते हैं कि इस संसदीय अवधि में जर्मनी भविष्य का गीगाबिट समाज बनने की दिशा में छलांग लगाए." इसका आधार पूरे देश में हर जगह ग्लास फाइबर वाला गीगाबिट ढांचा, 5जी मोबाइल फोन और इंटेलिजेंट नेटवर्क होगा. इसके लिए गठबंधन की पार्टियां 2025 तक यूएमटीएस और 5 जी के लाइसेंसों की बिक्री से होने वाली आय को इनके लिए बुनियादी ढांचा बनाने में निवेश करेगी.
जर्मनी इंडस्ट्री 4.0 को भी तेजी से प्रोत्साहित कर रहा है. डिजिटलाइजेशन के फायदे की ओर इशारा करते हुए जर्मन रेल के प्रमुख रिचर्ड लुत्स ने कहा है कि डिजिटलाइजेशन हो जाने के बाद जर्मन रेल के नेटवर्क पर 20 प्रतिशत ज्यादा रेलगाड़ियां चल पाएंगी. हालांकि डिजिटलाइजेशन में 10 से 15 साल लगेंगे और हजारों सिग्नल बॉक्स, जंक्शन को एक सिस्टम के तहत काम करना होगा. जर्मन रेल पूरी तरह सरकारी स्वामित्व में है.
एमजे/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)