डायबिटीज से डरें नहीं लड़ें
14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है. भारत में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं और चीन के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा डायबिटीज के मरीजों का देश बन गया है. जानिए, यह बीमारी भारतीयों को किस तरह चपेट में ले रही है.
भारत में तेजी से बढ़ रहे मरीज
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक डायबिटीज एशिया की बड़ी सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरी है. भारत में इस समय सात करोड़ लोग मधुमेह की समस्या से पीड़ित हैं और लगभग 7.7 करोड़ लोगों में प्री-डायबिटीज के लक्षण दिख रहे हैं. 2035 तक यह आंकड़ा 10.9 करोड़ तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है.
बदलती जीवनशैली जिम्मेदार
पिछले दो दशकों में भारतीयों की जीवनशैली में कई तरह के बदलाव आए हैं. खानपान का वैश्वीकरण, ध्रूमपान और शारीरिक मेहनत न करने से डायबिटीज और हृदय रोग के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. इन दो दशकों में डायबिटीज का फैलाव दोगुना हो गया है और अनुमान है कि अगले दो दशकों में मधुमेह के मामले में 170 से 200 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है.
मोटापा कम करना जरूरी
टाइप-1 डायबिटीज आनुवांशिक होता है और यह बच्चों और युवाओं में देखने को मिलता है. वहीं टाइप-2 डायबिटीज ज्यादातर जीवनशैली से जुड़ा है. मोटापा टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को 80-85 फीसदी तक बढ़ा देता है. टाइप-2 डायबिटीज की संभावना उन लोगों में 80 गुना ज्यादा होती है, जिनकी बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 22 से कम है.
हृदय रोग से मौत के लिए जिम्मेदार
भारत में डायबिटीज संबंधित हृदय रोग के कारण सबसे अधिक मौतें होती हैं जो कि एचआईवी/एड्स, मलेरिया और टीबी के कारण होने वाली मौतों के कुल आंकड़े से भी अधिक है. भारत में हर दस सेकेंड में डायबिटीज संबंधी कारण से एक व्यक्ति की मौत होती है. 2005 से 2015 के बीच मधुमेह और हृदय संबंधी रोगों के कारण राष्ट्रीय आय में 336.6 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है.
दूसरी बीमारियों की जनक
करीब 20 फीसदी डायबिटीज के रोगियों में रेटिना से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं जो कई बार नेत्रहीन बना सकती हैं. लंबे समय से मधुमेह के रोगी रहे 50 फीसदी लोग डायबेटिक न्यूरोपैथी (नर्व की बीमारी) के शिकार हो जाते हैं जिसके कारण संवेदनहीनता, न ठीक होने वाला फुट अल्सर और मर्दों में नपुंसकता हो सकती है. डायबेटिक फुट के कारण पैर काटे जाने के मामले में भारत दुनिया में शीर्ष पर है.
मोटे हो रहे बच्चे
भारत के एक तिहाई स्कूली बच्चे सामान्य से अधिक वजन के या फिर मोटे हैं जबकि अधिकांश महानगरों के 40 से 50 फीसदी स्कूली बच्चे इस स्थिति के शिकार हैं. स्कूल की कैंटीनों में फास्टफूड और चिप्स-कोल्डड्रिंक्स जैसे स्नैक्स पर रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से कोई गाइडलाइंस नहीं बनाई गई हैं.
कैसा हो आहार?
डायबिटीज के रोगी को फाइबर से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए जो ब्रेड या फलों से मिल सकता है. कार्बोहाइड्रेट के अतिरिक्त सेवन से बचना चाहिए. फलों में सेब, नाशपाती, अनार, पपीता, किवी और तरबूज खाया सकता हैं और आम, चीकू, केला, अंगूर और स्ट्रॉबेरी का सेवन नुकसानदेह हो सकता है. ड्राईफ्रूट्स में अखरोट और पिस्ता फायदेमंद है, वहीं किशमिश और खजूर से बचना चाहिए.
रोज खुद के लिए 30 मिनट
चाहे कितनी भी भागदौड़ वाली जिंदगी क्यों न हो, डायबिटीज के मरीजों को खुद के लिए 30 मिनट निकालने चाहिए. इस दौरान तेज चलना, एक्सरसाइज या योग करना फायदेमंद हो सकता है. जिन्हें डायबिटीज नहीं है, उन्हें भी खुद के लिए आधा घंटा निकालना चाहिए जिससे वे डायबिटीज के खतरे से बच सकें.
...और मीठा खाना न भूलें
डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से होती है, लेकिन मीठे से ज्यादा परहेज किया जाए तो परेशानी और बढ़ जाती है. शुगर लेवल अगर बहुत नीचे गिर जाए तो रोगी को चक्कर आ सकता. लिहाजा डायबिटीज से लड़ने के दौरान हमेशा कुछ मीठा जैसे बिस्किट या टॉफी अपने पास रखें. जब लगे कि शुगर लेवल बहुत गिर रहा है तो उसे खा लें.