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कैंसर के इलाज और देखभाल में निवेश की जरूरत

४ फ़रवरी २०२०

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2040 तक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कैंसर के मामले 81 फीसदी तक बढ़ जाने की आशंका जताई है. ऐसा इसलिए है कि रोकथाम और देखभाल में यह देश कम निवेश कर रहे हैं.

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Krebs Arzt Diagnose Symbol
तस्वीर: Fotolia/ Alexander Raths

इस समय करीब 1.8 करोड़ लोगों को कैंसर की बीमारी होती है. आने वाले दशकों में इसके दोगुना बढ़ने का खतरा है. 2018 में 1.81 करोड़ लोग कैंसर से पीड़ित हुए और इसकी वजह से करीब 96 लाख लोगों की मौत हो गई. डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर की बीमारी में तेजी की वजह सिर्फ जीवनदर में वृद्धि नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट कहती है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने अपने सीमित संसाधनों को कैंसर की बजाय संक्रामक रोगों से निपटने और बाल स्वास्थ्य में सुधार करने पर लगाया हुआ है. साथ ही उसका कहना है कि इन देशों में अक्सर कैंसर से होने वाली मौत भी अधिक होती है. रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ की सहायक महानिदेशक रेन मिंगहुई के मुताबिक, "अमीर और गरीब देशों में कैंसर सेवाओं के बीच अस्वीकार्य असमानताओं से निपटने के लिए यह हमारे लिए जगने का समय है." वह कहते हैं, "अगर लोगों के पास प्राथमिक देखभाल और रेफरल सिस्टम होगा तो कैंसर की पहले ही पहचान हो जाएगी, प्रभावी ढंग से इलाज और उपचार हो पाएगा. कहीं भी किसी के लिए कैंसर मौत की सजा नहीं होनी चाहिए."

विश्व कैंसर दिवस के मौके पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले दशक तक 25 अरब डॉलर के निवेश से 70 लाख लोगों को कैंसर से बचाया जा सकता है. डब्ल्यूएचओ के आंद्रे इलबावी कहते हैं, "कैंसर को नियंत्रित करना महंगा नहीं होना चाहिए." डब्ल्यूएचओ की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में कैंसर के मामले 2040 तक 60 फीसदी तक बढ़ने की आशंका है, साथ ही रिपोर्ट में कहा गया कि तंबाकू का इस्तेमाल 25 फीसदी कैंसर से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है.

डब्ल्यूएचओ के साथ काम करने वाली संस्था अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की निदेशक एलिसबेटे वीडरपास कहती हैं कि उच्च आय वाले देशों में कैंसर का बेहतर इलाज होने से साल 2000 से 2015 के बीच इससे मरने वालों की संख्या में 20 फीसदी की कमी आई है लेकिन गरीब देशों में यह दर सिर्फ पांच फीसदी है. उनके मुताबिक, "हम चाहते हैं कि सभी को बराबर लाभ मिले." रिपोर्ट कहती है कि कैंसर को हमेशा से अमीर देशों की बीमारी कहा जाता है लेकिन ऐसा नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर पांच में से एक शख्स को अपने जीवन में कैंसर होने की आशंका रहती है.

हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. इस साल विश्व कैंसर दिवस की थीम है "आई एम एंड आई विल." कैंसर दिवस का मकसद रोग की पहचान, रोकथाम और बचाव के लिए लोगों को जागरुक बनाना है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018 में कैंसर के कुल 11,57,294 नए मामले सामने आए हैं. वहीं भारत में आमतौर पर पांच तरह के कैंसर पाए जाते हैं जिनमें स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, गर्भाशय का कैंसर और अमाशय का कैंसर है. दूसरी ओर इंडियन कैंसर सोसायटी के मुताबिक भारत में अगले 10 सालों में करीब डेढ़ करोड़ लोगों को कैंसर हो सकता है. इनमें से 50 फीसदी में कैंसर लाइलाज होगा.

एए/एमजे (एएफपी)

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