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डगमगाती डगर पर डमी उम्मीदवार

१२ अप्रैल २००९

लोकसभा चुनाव में इस बार डमी उम्मीदवार का ज़िक्र बहुत हो रहा है है. फ़लां ने फ़लां को डमी उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया है और फ़लां की मदद के लिए फ़लां डमी उम्मीदवार बन गया है. पर चुनाव आयोग ने इस पर ख़ास नज़र लगा दी है.

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मिलते जुलते उम्मीदवार खड़े करने की कोशिशतस्वीर: UNI

किसी ज़माने में डमी उम्मीदवार किसी का वोट काटने के लिए खड़ा किया जाता था. किसी नामचीन उम्मीदवार के नाम से मिलते जुलते कंडीडेट को चुनाव में खड़ा किया जाता था ताकि वोटर मुग़ालते में आकर वोट ज़ाया कर दें और फ़ायदा किसी तीसरे को हो जाए.लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में डमी उम्मीदवारों की अलग भूमिका तय की गई है.

Kongresspartei Wahlkampfveranstaltung
चुनाव प्रचार का काम तेज़तस्वीर: UNI

चुनाव आयोग ने हर उम्मीदवार के ख़र्चों की हद तय कर दी है. यानी कोई भी प्रत्याशी अनाप शनाप ख़र्च करता पाया गया, तो उससे फ़ौरन जवाब तलब कर लिया जाएगा और उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई हो सकती है.

ऐसे में डमी उम्मीदवार बड़ा काम आ रहा है. चुनाव में खड़े ग़ैर-संजीदा क़िस्म के प्रत्याशी अपनी सीमा की रक़म किसी और उम्मीदवार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और उनकी गाड़ियों पर किसी और पार्टी के झंडे लहरा रहे हैं. चुनाव में वह खड़ा ज़रूर है लेकिन दरअसल मदद किसी और उम्मीदवार की कर रहा है.बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में यह रिवाज ख़ूब देखने को मिल रहा है.

यहां तक कि बड़े नेताओं ने तो अपने रिश्तेदारों को ही डमी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतार दिया है और उनके ज़रिए अपना उल्लू साध रहे हैं. उत्तर प्रदेश के एक बाहुबलि नेता ने अपनी पत्नी को इसी तरह मैदान में उतार दिया है.

Indische Wahlkommission Wahlkommissar Navin Chawla
चुनाव आयोग का कड़ा रूख़तस्वीर: AP

लेकिन इस चाल पर चुनाव आयोग की पैनी नज़र लग गई है. आयोग ने ऐसे उम्मीदवारों की मॉनीटरिंग की योजना बना ली है, जो डमी प्रत्याशी बनता दिख रहा है. माइक्रो यानी छोटे स्तर पर चुनाव आयोग के नुमाइंदे तैनात किए गए हैं, जो हर उम्मीदवार की गतिविधियों की जानकारी देंगे.बिहार के एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी ने बताया कि पटना और आस पास के निर्वाचन क्षेत्रों में डमी उम्मीदवारों पर ख़ास नज़र रखी जा रही है.

चुनाव प्रचार के दौरान निर्दलीय उम्मीदवारों की गाड़ियों पर रखे चुनाव प्रचार के कागज़ात की जांच की जाएगी और अगर उनमें किसी दूसरे उम्मीदवार की प्रचार सामग्री मिलती है तो दोनों ही प्रत्याशी फंसेंगे.

चुनाव आयोग हर चुनाव में उम्मीदवार के लिए ख़र्च की सीमा तय करता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी उम्मीदवार के साथ कितनी गाड़ियां चल सकती हैं. लेकिन ख़र्च बचाने और ज़्यादा से ज़्यादा गाड़ियों से प्रचार के चक्कर में दबंग और पैसे वाले उम्मीदवार दूसरे हथकंडे अपनाने की कोशिश करते हैं.

लेकिन इस बार चुनाव आयोग भी पूरी तरह सतर्क है और यह भी तय हो चुका है कि जिन छुटभैये उम्मीदवारों पर शक़ होगा, उनकी हरकतों की बाक़ायदा वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी.

- अनवर जे अशरफ़, पटना