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ट्रंप के पूर्व सहयोगी बोल्टन के चौंकाने वाले दावे

१८ जून २०२०

डॉनल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अपनी अप्रकाशित किताब में ट्रंप के खिलाफ कई चौंकाने वाले दावे किए हैं. अमेरिकी सरकार ने बोल्टन को किताब प्रकाशित करने से रोकने के लिए उनपर मुकदमा कर दिया है.

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USA John Bolton in Durham
तस्वीर: Reurtes/J. Drake

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने दावा किया है कि ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मदद मांगी थी. बोल्टन ने ट्रंप पर इसके साथ साथ और भी कई आरोप लगाए हैं जिनका जिक्र उन्होंने उनके द्वारा लिखी अपनी अप्रकाशित किताब "द रूम वेयर इट हैपेंड: ए व्हाइट हाउस मेमॉयर" में किया है. किताब के कुछ अंश अमेरिका के सभी प्रमुख अखबारों में छपे हैं. 

बोल्टन विदेश नीति के एक पुराने विशेषज्ञ हैं जिसकी वजह से ट्रंप ने उन्हें अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था, लेकिन ट्रंप ने उन्हें मतभेदों की वजह से सितम्बर 2019 में बर्खास्त कर दिया था. उन्होंने अपनी किताब में यह दावा भी किया है कि ट्रंप ने कुछ आपराधिक मामलों में जांच रुकवाने की इच्छा भी जाहिर की थी ताकि वो "अपनी पसंद के तानाशाहों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचा सकें."

चीन के राष्ट्रपति शी के साथ ट्रंप की बातचीत के बारे में बताते हुए बोल्टन ने लिखा है, "ट्रंप ने अचानक बातचीत को अमेरिका में आने वाले राष्ट्रपति चुनावों की तरफ मोड़ दिया और चीन की आर्थिक क्षमता की बात करते हुए सही से निवेदन कर दिया कि उनकी जीत सुनिश्चित करें." ये ट्रंप का उनके किसी भी पूर्व करीबी सहयोगी द्वारा सबसे नुकसानदेह चित्रण है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लीजियांग ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि चीन का अमेरिका के चुनावों या उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है.

USA Präsident Donald Trump und Sicherheitsberater John Bolton
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Smialowski

बोल्टन ने यह भी कहा कि वैसे तो ट्रंप प्रशासन चीनी सरकार द्वार मुस्लिम उइगुर अल्पसंख्यकों और दूसरे मुस्लिम समुदायों के लोगों के बड़ी संख्या में कैद रखे जाने की कड़ी आलोचना करता रहा है, लेकिन ट्रंप ने शी को जून 2019 में जापान के ओसाका में हरी झंडी दिखा दी थी. बोल्टन ने लिखा है, "हमारे अनुवादक के अनुसार ट्रंप ने कहा कि शी को उन शिविरों को बनाने के काम में आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि ट्रंप के अनुसार वो एक सही कदम था." 

ट्रंप ने भी बोल्टन पर पलटवार किया है और एक साक्षात्कार में उन्हें "झूठा" कहा है. एक और साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा कि बोल्टन ने अत्यंत गोपनीय जानकारी को अपनी किताब में शामिल कर कानून भी तोड़ा है. कुछ समीक्षकों का मानना है कि इन अंशों में जो आरोप हैं वो उन आरोपों से भी ज्यादा गंभीर हैं जिनकी वजह से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने पिछले साल उनके खिलाफ महाभियोग चलाया था.

बोल्टन के आलोचकों ने कहा है कि उन्होंने ने महाभियोग के पहले हाउस द्वारा बिठाई गई जांच में गवाही देने से मना कर दिया था. ट्रंप के महाभियोग का नेतृत्व करने वाले कैलिफोर्निया के डेमोक्रैट सांसद एडम शिफ्फ ने बोल्टन की निंदा करते हुए बताया कि उन्होंने उस समय कहा था कि अगर उनके नाम उपस्थिति-पत्र जारी हुआ तो वो मुकदमा कर देंगे. शिफ्फ ने ट्विट्टर पर लिखा, "इसकी बजाय, उन्होंने वो सब अपनी किताब के लिए बचा के रख लिया. हो सकता है बोल्टन एक लेखक हों, पर वो कोई देशभक्त नहीं हैं".

अमेरिकी सरकार ने बोल्टन को किताब प्रकाशित करने से रोकने के लिए उनपर मुकदमा कर दिया है और शुक्रवार को अदालत में सुनवाई की मांग की है. प्रकाशक साइमन एंड शुस्टर ने आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि किताब की "लाखों प्रतियां" बांटी भी जा चुकी हैं.

सीके/एए (रायटर्स)

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