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ट्रंप के साथ अमेरिकी में धूम मचाने को तैयार मोदी

२० सितम्बर २०१९

अमेरिकी राष्ट्रपति को अपने साथ ला कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ह्यूस्टन की रैली में धूम मचाने की पूरी तैयारी की है. कश्मीर पर आलोचना से कंधे झाड़ कर प्रधानमंत्री भारतीय समर्थकों की रैली को संबोधित करेंगे.

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Frankreich G7-Gipfel in Biarritz | Donald Trump & Narendra Modi
तस्वीर: Reuters/C. Barria

कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर उसे दो हिस्सों में विभाजित करने का फैसला लेने के सात हफ्ते बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका संयुक्त राष्ट्र आम सभा में हिस्सा लेन अमेरिका आ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र में भाषण से पहले नरेंद्र मोदी ह्यूस्टन में भारतीय अमेरिकी समर्थकों को संबोधित करेंगे. इस रैली में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी मौजूद रहेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप की रजामंदी के लिए ट्वीट कर उनका आभार जताया है. मोदी ने लिखा है, "राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ह्यूस्टन की रैली में हमारे साथ आने का संकेत हमारे संबंधों की ताकत के साथ ही अमेरिकी समाज और अर्थव्यवस्था में भारतीय लोगों के योगदान को दिखाता है."

अमेरिका और भारत में हाल के दिनों में कारोबार और शुल्क को लेकर मतभेद रहे हैं लेकिन दोनों नेताओं ने पिछली मुलाकातों में एक दूसरे के प्रति निजी घनिष्ठता दिखाई है. "हाउडी मोदी" नाम से बुलाई गई रैली के लिए 50 हजार लोगों ने खुद को रजिस्टर कराया है. इस रैली में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी भाषण देंगे. 2014 में न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वेयर गार्डन में मोदी ने एक ऐसी ही बड़ी रैली की थी उसके बाद अब एक बार फिर वह भारतीय अमेरिकी समर्थकों को दिल लूटने की तैयारी में हैं. 

USA Trump und Modi im Weißen Haus
तस्वीर: Reuters/K. Lamarque

अमेरिका में करीब 40 लाख भारतीय अमेरिकी रहते हैं और अब यह दूसरे देशों की तरह ही अमेरिकी सत्ता के गलियारे में एक बड़ा खेमा बन गया है जो भारत से जुड़े मुद्दों पर अमेरिकी सांसदों को लामबंद करता है. भारतीय जनता पार्टी के विदेश मामलों के प्रमुख विजय चौथाईवाले ने ह्यूस्टन से समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ट्रंप का ह्यूस्टन की रैली में आने की सहमति हैरान करने वाली बात है लेकिन यह अमेरिका में भारतीय समाज की ताकत और हाल के कारोबारी तनाव के बावजूद ट्रंप के लिए दोनों देशों के रिश्ते की अहमियत को दिखाता है. विजय चौथाईवाले का कहना है, "रणनीतिक रिश्ते मजबूत हैं."

कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद वहां बीते साथ हफ्ते से कर्फ्यू जैसे हालात हैं. हजारों लोगों के पास संपर्क का कोई जरिया नहीं है, इंटरनेट, मोबाइल सब बंद हैं लोगों के जमा होने पर भी रोक है. इसे लेकर अमेरिका समेत कई देशों ने चिंता जताई है और लोगों से संयम बरतने को कहा है. उधर पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इस कदम की निंदा की है और प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि दुनिया के मुसलमानों में इस कदम की वजह से चरमपंथ की तरफ रुझान बढ़ेगा.

मोदी के समर्थक हालांकि मान रहे हैं कि ट्रंप ने रैली में शामिल होने की बात कह कर भारत को कूटनीतिक जीत दिला दी है. भारतीय अमेरिकी कारोबारी शलभ कुमार ने 2015 में रिपब्लिकन हिंदू कोएलिशन की शुरूआत की. यह संगठन रिपब्लिकन ज्यूइश कोएलिशन की तर्ज पर बनाया गया है. शलभ कहते हैं, "आखिरकार दोनों एक साथ मंच पर आ रहे हैं, यह बड़ी बात है खासतौर से कश्मीर के विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से. शायद अमेरिका की तरफ से मोदी के कदम पर यह सबसे बड़ी मुहर है, कि यह एक सही कदम है."

New York Narendra Modi Madison Square Garden Empfang 28.09.2014
मैडिसन स्क्वेयर गार्डन की रैली में मोदीतस्वीर: Reuters/Lucas Jackson

व्हाइट हाउस ने रैली में अमेरिकी राष्ट्रपति की मौजूदगी की पुष्टि करते हुए कहा है कि वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ दोनों देशों के ऊर्जा और कारोबारी रिश्ते को गहरा बनाने पर चर्चा करेंगे. नरेंद्र मोदी के घरेलू एजेंडे में हिंदू राष्ट्रवाद और कारोबार समर्थक नीतिया हैं. वो भारतीय अमेरिकी लोगों की बड़ी पसंद हैं. 2020 के लिए राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रैटिक पार्टी से उम्मीदवारी की कोशिश कर रहे लोगों में कमला हैरिस भी है जिनकी मां एक भारतीय अमेरिकी ब्रेस्ट कैंसर रिसर्चर थीं. इस दौड़ में तुलसी गाबार्ड भी हैं जो हिंदू और समोआ अमेरिकी हैं.

ट्रंप ने कुछ दिन पहले जब यह कहा कि वो कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ बातचीत में मध्यस्थ बनने के लिए तैयार हैं तो भारत में थोड़ी चिंता हुई थी क्योंकि भारत इस मामले में लंबे समय से तीसरे पक्ष के शामिल होने से इनकार करता है और जम्मू कश्मीर के दर्जे को भारत का अंदरूनी मामला मानता है. भारत ने कश्मीर में अशांति के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है. भारतीय अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल का कहना है कि वह ह्यूस्टन के स्टेडियम के बाहर विरोध प्रदर्शन के लिए जाएगा. उनका कहना है कि वो मोदी की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ हैं.

एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स)

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