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ट्रंप का फेक न्यूज अवार्ड और मीडिया

महेश झा
१८ जनवरी २०१८

मीडिया से परेशान राजनीतिज्ञों की सूची लंबी है. लेकिन डॉनल्ड ट्रंप लोकतांत्रिक दुनिया के पहले राष्ट्रपति हैं जिसने मीडिया के खिलाफ अपने अभियान को फेक न्यूज के साथ जोड़ दिया है.

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USA - Präsident Trump im Interview mit Reuters im Weißen Haus
तस्वीर: Reuters/K. Lamarque

राजनीतिज्ञों के लिए मुश्किलें पैदा करने वाली मीडिया को भारत में प्रेस्टीट्यूट कहकर बदनाम किया गया है तो राष्ट्रपति ट्रंप ने फेक न्यूज के नाम से अभियान ही छेड़ दिया है. मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता रहा है. लेकिन यह पहला मौका है जब स्वतंत्र मीडिया के चैंपियन अमेरिका के राष्ट्रपति ने ही मोर्चा खोल रखा है और वह भी नामी मीडिया संस्थानों के खिलाफ. बुधवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने उनके विचार में गलत रिपोर्टिंग के लिए पहला फेक न्यूज अवार्ड दिया.

इस सूची में चार बार अंतरराष्ट्रीय टीवी चैनल सीएनएन का नाम है. हालांकि यह नहीं बताया गया है कि यह सूची किस आधार पर तैयार की गई है. पहले नंबर पर न्यू यॉर्क टाइम्स में कॉलम लिखने वाला पॉल क्रगमन का नाम है जिन्होंने ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही दावा किया था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था उनके शासन में बेहतर नहीं होगी. वहीं ट्रंप का कहना है वह उफन रही है. कुछ आंकड़े उनका समर्थन भी करते हैं. अमेरिकी शेयर बाजार का डाव जोंस सूचकांक नए रिकॉर्ड पर है और बुधवार को ही तकनीकी कंपनी एप्पल ने ट्रंप की धमकी और करों में छूट के मद्देनजर विदेशों में रखी अपनी संपत्ति वापस लाने की घोषणा की है. साथ ही वह अमेरिका में 20,000 नए रोजगार बनाएगी.

कैसा है ट्रंप और "फेक न्यूज" का रिश्ता?

खबरों, संभावनाओं और विश्लेषणों को एक ही डिब्बे में रखने वाले पॉपुलिस्ट नेता सिर्फ अमेरिका में ही नहीं हैं. यूरोप और पूरी दुनिया में उनकी तादाद बढ़ती जा रही है. और इसके नतीजे में पत्रकारों का काम मुश्किल हुआ है और खतरे बढ़े हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि पत्रकारों की सुरक्षा पर लक्षित संगठन सीपीजे ने राष्ट्रपति को वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता को कमजोर करने में योगदान के लिए पुरस्कार दिया है. 2017 में दुनिया भर में 262 मीडियाकर्मियों को गिरफ्तार किया गया जिसमें से 21 को फेक न्यूज के प्रसार के आरोप में हिरासत में लिया गया. जर्मन दैनिक डी वेल्ट के रिपोर्टर डेनिस यूचेल को तुर्की ने पिछले कई महीनों से बिना किसी आरोप के गिरफ्तार कर रखा है.

राष्ट्रपति ट्रंप की अपनी रिपब्लिकन पार्टी में भी उनके कदमों का विरोध हो रहा है. रिपब्लिकन सीनेटर जेफ फ्लेक ने कहा है कि 2017 ऐसा साल था जब वस्तुपरक, प्रायोगिक और सबूतों पर आधारित सत्य को सबसे ज्यदा नुकसान पहुंचाया गया और वह भी देश के सबसे शक्तिशाली इंसान द्वारा. प्रभावशाली सीनेटर जॉन मैक्केन ने वाशिंगटन पोस्ट के लिए लिखे गए एक लेख में प्रेस पर ट्रंप के हमलों की निंदा की है और राष्ट्रपति से हमले रोकने की अपील की है. मैक्केन का कहना है कि विदेशी सरकार प्रमुख मीडिया को दबाने के लिए ट्रंप के रवैये का सहारा ले सकते हैं. इसी हफ्ते ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के एक सलाहकारी दल ने इंटरनेट में फेक न्यूज पर चर्चा शुरू की है. डिजिटल संरचना के लिए जिम्मेदार कमिसार गाब्रिएल का कहना है कि नेट पर गलत खबरों का चिंताजनक तेजी से प्रसार हो रहा है, जो लोकतंत्र तथा मीडिया की छवि को खतरे में डाल रहा है. उन्होंने गलत सूचनाओं का पता करने और उसके प्रसार को रोकने की प्रक्रिया का विकास करने की मांग की है. 40 विशेषज्ञों से बना कार्यदल यूरोपीय संघ द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों की सूची तैयार करेगा.