1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ट्यूनिशिया के साए में मिस्र में उथलपुथल

२६ जनवरी २०११

राष्ट्रपति मुबारक के 30 साल के शासन के खिलाफ विशाल प्रदर्शन के बाद बुधवार को भी मिस्र में विरोध अभियान जारी है. ऐसा लगता है कि ट्यूनिशिया की ऐतिहासिक घटनाओं से सारा अरब जगत जाग उठा है.

https://p.dw.com/p/103u0
तस्वीर: AP

लोकतंत्र समर्थक युवा संगठन 6 अप्रैल अभियान ने जनता से अपील की है कि वे राजधानी काहिरा के केंद्र ताहिर चौक में इकट्ठा हों. बीस से तीस हजार तक पुलिसकर्मियों की उपस्थिति के बावजूद कल दसियों हजार लोग यहां जमा हुए थे. इसे गुस्सा दिवस का नाम दिया गया था और प्रदर्शनकारी मुबारक शासन के अंत की मांग करते हुए नारा लगा रहे थे - रोटी, आजादी और इज्जत की खातिर. हम ट्यूनिशिया के रास्ते पर चलेंगे.

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में दो विरोधियों और एक पुलिसकर्मियों की मौत हो गई है और बहुत से लोग लोग घायल हो गए हैं. मंगलवार रात को जारी एक विज्ञप्ति में गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देने का फैसला लिया था, और वे संघर्ष की स्थिति टालना चाहते थे. साथ ही कहा गया है कि अनेक प्रदर्शनकारी मुस्लिम ब्रदरहुड संगठन से जुड़े हुए थे, और उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हुए पुलिसकर्मियों पर ढेला फेंकना शुरू कर दिया.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता फिलिप क्राउली ने कहा है कि वॉशिंगटन मिस्र की घटनाओं पर नजर रखे हुआ है. उन्होंने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि मिस्र के अधिकारियों को शांति के साथ इन विरोधों का सामना करना चाहिए.

उधर, जर्मनी के विदेश मंत्री गीदो वेस्टरवेले ने कहा है कि मामला बातचीत और अहिंसा के जरिए ही शांत किया जा सकता है. पत्रकारों से बात करते हुए वेस्टरवेले ने कहा, "स्थिरता पाने का एकमात्र जरिए लोकतंत्र है. यह सबसे अच्छा तरीका है और यह मिस्र पर भी लागू हो सकता है. हम इसमें शामिल सारे लोगों से कहते हैं कि वह संयम से काम लें और हिंसा का प्रयोग न करें."

पेरिस में फ्रांस के विदेश मंत्री मिषेल आलियो मारी ने आज को एक वक्तव्य में कहा है कि फ्रांस को इन प्रदर्शनों के दौरान हुई लोगों की मौत पर अफसोस है और वह सभी देशों में लोकतंत्र की मांग का समर्थन करता है.

ट्यूनिशिया को एक पश्चिम समर्थक नरमपंथी देश समझा जाता था और माना जाता था कि वहां की जनता खुश और शांत है. इसके विपरीत मिस्र में लंबे समय से विरोध की सुगबुगाहट महसूस की जाती रही है, जिसे अब तक कड़े हाथों से कुचला जाता रहा है. लेकिन अब ट्यूनिशिया से चली आजादी की हवा लगभग सभी अरब देशों में हलचल पैदा कर रही है. विभिन्न देशों में ट्यूनिशिया की जनता के समर्थन में प्रदर्शन हुए हैं व हो रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उ भट्टाचार्य

संपादन: सचिन गौड़

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी