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संगीत

युवा गायिका मैथिली ठाकुर की कहानी उन्हीं की जुबानी

४ मार्च २०१९

सोशल मीडिया पर अपनी गायकी की बदौलत प्रसिद्धि पा चुकीं मैथिली ठाकुर सुर्खियों में हैं. बिहार के मधुबनी की रहने वाली 18 साल की मैथिली ने पढ़ने-लिखने की उम्र में ही ऊंचाइयों की एक लकीर खींच दी है.

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Maithili Thakur
तस्वीर: Privat

ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी मैथिली वर्तमान में दिल्ली के द्वारका में अपने परिवार के साथ रहती हैं. मैथिली अपने हुनर से देश के विभिन्न राज्यों में संगीत का जौहर बिखेर रही हैं. मैथिली ने बताया कि संगीत सीखने में ज्यादा कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा. दादा-पिताजी से हर रोज सुबह-सुबह रियाज करने का मौका मिलता रहा. मैथिली कहती हैं, "ठंड में माता-पिताजी हमें जल्दी उठाकर रियाज के लिए प्रेरित करते थे. हर प्रतिस्पर्धा से पहले ठंडा खाने से हमें परहेज करने का सबक मिला. हालांकि, प्रतियोगिता के बाद हमने सब कुछ खाया-पीया."

18 वर्षीय मैथिली का मानना है कि "सोशल मीडिया अपनी बात कहने का सबसे अच्छा माध्यम है. बशर्ते, उसका सकारात्मक उपयोग किया जाए. हमारे अच्छे उपयोग का परिणाम आज आपके सामने है."

वह कहती हैं कि टैलेंट को हवा देने का सोशल मीडिया एक सशक्त जरिया है. उनके पास यूट्यूब पर भोजपुरी गानों की मांग ज्यादा आती है. मैथिली कहती हैं, "सोशल मीडिया पर प्रसिद्धि मिलना अच्छा लगता है. साथ ही जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है. अभी हम लोग जहां हैं, वहां बने रहने की चुनौती है. उस स्तर से नीचे न जाएं, इसके लिये हम प्रयास करते हैं. लोगों के कमेंट्स से मोटिवेशन मिलता है और हम लगातार प्रयास को प्रेरित होते हैं."

Maithili Thakur
तस्वीर: Privat

भाषाओं में अश्लीलता के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं में अश्लीलता है. शब्दों का चयन आपको खुद करना है. मैथिली का मानना है कि आप लोगों को जैसा परोसेंगे, वही उन्हें अच्छा लगने लगेगा. वे इसके लिए पुरानी परंपराओं और संगीत पर आधारित भोजपुरी गीत चुनती हैं. वे कहती हैं, "भोजपुरी में भिखारी ठाकुर जिंदा हैं. मैथिल में विद्यापति जी हैं. इन्होंने भाषा के लिए बहुत काम किया है. इनसे सीखने की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि पुराने संगीत में हर गाने का कुछ ना कुछ मतलब होता था, लेकिन आधुनिक गानों में वह छूट गया है. लोक गायन इन्हें बहुत पसंद है क्योंकि इन गानों में कुछ अर्थ रहता है.

मैथिली को संगीत की शिक्षा अपने पिता से मिली. उन्होंने कहा, "शुरू में हमें शास्त्रीय संगीत सिखाया गया. फोक से ही क्लासिकल संगीत निकला है. जैसे भोजपुरी और मैथिली किसी राग में बना हुआ है. संगीत को राग में बांध कर हम गाने का कोशिश करते हैं. क्लासिकल झलक दिखाने का प्रयास करते हैं. पहले, मैं सिर्फ क्लासिकल सिंगर थी. पिताजी की सलाह के बाद मैंने हर विधा में गाना शुरू किया. मैंने बॉलीवुड में हाथ आजमाया. गीत चर्चित हुए. पहचान भी मिली. लोग मुझे पसंद करने लगे. शास्त्रीय संगीत ही आधार है."

भाइयों के साथ अपनी सुपरहिट जोड़ी के बारे में मैथिली कहती हैं, "अपने भाई अयाची को बैठाकर रियाज करवाती हूं. मैं अपने दोनों भाइयों के बिना अधूरी हूं. दोनों के सहयोग से मुझे बल मिलता है. वैसे भी यूट्यूब पर मैं अपने भाई अयाची व ऋषभ के साथ लाइव परफॉर्मेंस देती हूं. अयाची की तालियां और ऋषभ का तबला मुझे शानदार संगत देता है."

लोकगायिका मैथिली ने पढ़ाई भी बहुत अच्छे से की है. एआरएसडी धौलाकुआं से पढ़ाई करने वाली मैथिली को हाईस्कूल में 90 प्रतिशत और 12वीं में 85 प्रतिशत अंक मिले. संगीत में ज्यादा रुचि की वजह से अब पढ़ाई कुछ कम हो रही है. वे बताती हैं कि अब कॉलेज में उन्बें सबका सपोर्ट मिलता है.

मैथिली ठाकुर ने को बचपन से ही संगीत का शौक था. तीन वर्ष की आयु में दादाजी से संगीत सीखना शुरू किया था. इसके बाद पिता रमेश ठाकुर ने इस विरासत को आगे बढ़ाया. वे कहती हैं, "मैं जो कुछ भी जानती हूं, पिताजी (रमेश ठाकुर) की देन है. पिताजी की प्रेरणा से हम इस मुकाम तक पहुंचे हैं. पिताजी ही हमारे गुरु हैं."

अपनी मां, भारती ठाकुर के बारे में बताते हुए मैथिली कहती हैं कि उन्हें संगीत सुनने में बहुत रुचि है. बचपन से मैथिली को मां का भी सहयोग मिला और संगीत सुनने और उसे सकारात्मक दिशा में ले जाने की प्रेरणा भी.

विवेक त्रिपाठी (आईएएनएस)

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