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टैक्स कांड: स्विटज़रलैंड की जर्मनी को चेतावनी

१५ फ़रवरी २०१०

स्विटज़रलैंड के एक सांसद ने कहा है कि अगर जर्मन सरकार टैक्स चोरों के बारे में चुराई गई जानकारी को ख़रीदने की कोशिश करेगी तो वे जर्मनी के नामचीन जजों और नेताओं के नामों का ख़ुलासा कर देंगे.

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तस्वीर: picture-alliance / dpa/dpaweb

दक्षिणपंथी स्विस पीपल्स पार्टी के आल्फ्रेड हेर के मुताबिक उनकी पार्टी कोशिश करेगी कि इन लोगों का खुलासा करने के लिए क़ानूनों में कुछ बदलाव लाए जाएं. जिसके बाद जर्मन सरकार के अधिकारियों और नेताओं के नाम सार्वजनिक किए जा सकेंगे.

हेर का कहना है कि स्विटज़रलैंड के पास कुछ जर्मन नेताओं और जजों के नाम हैं जिन्होंने जर्मनी में टैक्स बचाने के लिए स्विटज़रलैंड में बैंक खाते खोले हैं. उन्होंने कहा, "अगर जर्मनी चुराई हुई बैंक जानकारी खरीदता है तो हम क़ानूनों में बदलाव की ओर काम करेंगे, ताकि जर्मनी में सरकारी पदों पर काम कर रहे सारे अधिकारियों के बैंक खातों को सार्वजनिक किया जा सके." हेर स्विट्ज़रलैंड के टैक्सपेयर्स फ़ेडरेशन के प्रमुख हैं.

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सीडी में टैक्स चोर के नामतस्वीर: picture-alliance/ dpa

उधर जर्मन चांसलर कार्यालय के प्रमुख रोनाल्ड पोफ़ाल्ला ने एक बयान में कहा है कि दोनों देशों को समझदारी से काम लेना चाहिए. हालांकि उन्होंने फ़ैसला जर्मन अधिकारियों पर छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि अगर अधिकारियों को इस जानकारी से टैक्स चोरों के बारे में पता चलता है तो जर्मन सरकार इसे हासिल करने से पीछे नहीं हटेगी.

हाल ही में जर्मन राज्य बाडेन व्युर्टेंबर्ग की सरकार को एक प्रस्ताव दिया गया था. इसके तहत जर्मन सरकार को उन लोगों की जानकारी दी जा सकती है जिन्होंने जर्मनी में टैक्स से बचने के लिए स्विटज़रलैंड में पैसे जमा किए. स्विस बैंकों से चुराई गई इस जानकारी को जर्मनी को 25 लाख यूरो में बेचा जा रहा है. वित्त मत्री वोल्फगांग शाएब्ले ने इस महीने की शुरुआत में कह चुके हैं कि यह जानकारी ख़रीदी जाएगी.

जर्मन अख़बार आउग्सबुर्गर आल्गेमाइने को उन्होंने बताया कि 2007 में भी इस तरह के मामले में जर्मन सरकार ने लिश्टेनश्टाइन को 50 लाख यूरो दिए थे.

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जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल और वित्त मंत्री वोल्फ़गांग शॉएब्लेतस्वीर: AP

आर्थिक मंदी के बाद यूरोप के कई देशों पर टैक्स बढ़ाने और टैक्स चोरों से निपटने का दबाव है और ज़ाहिर है इस स्थिति में वे अपने देशों के कर चोरों की पोल खोलना चाहते हैं. अमेरिका और स्विटज़रलैंड के बीच भी मशहूर स्विस बैंक यूबीएस बैंक को लेकर काफी तनाव चल रहा है.

इस बीच नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया औऱ बेल्जियम की सरकारों ने जर्मनी से अपील की है कि टैक्स चोरों की जानकारी ख़रीदने के बाद जर्मन सरकार उनसे भी सहयोग करे. इन तीनों देशों को लगता है कि स्विस बैंकों में उनके टैक्स चोरों के खाते भी हैं.

एक अनुमान के मुताबिक स्विटज़रलैंड के बैंकों में इस वक्त लगभग 6 लाख करोड़ (6 ख़रब) डॉलर जमा हैं. इस रक़म के अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से ग़ायब होने की वजह से आर्थिक मंदी और भयानक हुई. भारत समेत कई देश स्विस सरकार के रवैये से नाराज़ भी रहते हैं. इन देशों को अपने देश के कर चोरों की जानकारी स्विटज़रलैंड से नहीं मिल पाती है क्योंकि वहां के बैंक गोपनीयता क़ानून बहुत कड़े हैं.

स्विटज़रलैंड के बैंक अधिकारी अब भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लेकर असहयोग की मुद्रा में बैठे हुए हैं. जर्मनी के गोपनीय जानकारी ख़रीदने पर भड़के एक अधिकारी का कहना है," ये एक नए तरह की डकैती है. पहले डकैती बैंकों में जाकर होती थी, अब इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जा सकता है, डाटा को चोरी करके."

एक तरफ बैंक डाटा चोरों ने स्विज़रलैंड के बैंकरों के नाक में दम कर रखा है क्योंकि इससे बैंक जानकारी की गोपनीयता और सुरक्षा पर असर पड़ रहा है. दूसरी ओर स्विटज़रलैंड के बैंक विश्लेषक इस बात से परेशान हैं कि इस मुद्दे की वजह से स्विस निजी बैंकों को काफी नुक़सान होगा और शायद निजी बैंकों को पूरा ढ़ांचा ही लुढ़क जाए. यूरोप के कुछ देशों ने कर चोरों को वापस देश में लाने के लिए टैक्स राहतों का भी एलान किया है. पिछले साल नीदरलैंडस के टैक्स चोरों ने लगभग 2 अरब यूरो की रक़म डर के मारे सार्वजनिक, इसका एक तिहाई हिस्सा स्विटज़रलैंड की बैंकों में रखा गया था. इटली ने टैक्स राहत अभियान में तहत टैक्स चोरों से 100 अरब यूरो वसूले.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एम गोपालकृष्णन

संपादनः ओ सिंह