1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

टिटनेस अब भी अमेरिका में मौजूद है

११ मार्च २०१९

अमेरिका में छह साल का एक बच्चा टिटनेस के कारण मौत की कगार पर पहुंच गया था. ओरेगन के इस बच्चे को आपातकालीन टीका दे कर बचा तो लिया गया लेकिन संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ चिंता में पड़ गए.

https://p.dw.com/p/3EmN8
USA Kinderimpfungen | Work Well Clinic in Cedar Rapids, Iowa
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Wenig

ओरेगन में छह साल के एक बच्चे को दो महीने तक टिटनेस के कारण अस्पताल में रखा गया. उसे टिटनेस का टीका नहीं लगा था. अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इस मामले का ब्यौरा छापा है जिसके मुताबिक उसे खेतों में खेलने के दौरान गहरा जख्म हुआ. इसके बाद बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण वह मौत की कगार पर पहुंच गया था. उसे आपातकालीन टिटनेस के टीके की एक डोज दी गई. जिसके बाद उसकी स्थिति में सुधार हुआ. बच्चे के अभिभावकों ने दूसरा डोज लगाने से मना कर दिया.

2017 में पेडियाट्रिक्स टिटनेस का ओरेगन में यह पहला मामला था जो बीते 30 सालों में सामने आया. हालांकि इसने संक्रामक रोगों के विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया क्योंकि माना यही जा रहा था का 1940 के दशक में बड़े स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम के बाद टिटनेस लगभग अमेरिका में खत्म हो गया.

USA Kinderimpfungen | Children's Hospital in Portland, Oregon | Tod eines Kindes
प्रेस कांफ्रेंस में मरीज की जानकारी देतीं डॉ जुडिथतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/G. Flaccus

पोर्टलैंड में बच्चे का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने इस बच्चे और उसके परिवार के बारे में निजता से जुड़े कानूनों का हवाला दे कर ज्यादा जानकारी देने से मना कर दिया. पेडियाट्रिक इनफेक्सियस डिजीज की विशेषज्ञ डॉ जुडिथ गुजमान कॉटरिल ने इस बच्चे का इलाज किया था. डॉ जुडिथ ने पहली बार टिटनेस देखा.

जब बच्चा आपातकालीन वार्ड में आया तो उसकी मांसपेशियों की ऐंठन इतनी सख्त थी कि वह बात तक नहीं कर पा रहा था ना ही अपना मुंह खोल सकता था. उसे सांस लेने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा था. डॉक्टर जुडिथ ने बताया, "हमारे लिए उस बच्चे का ख्याल रखना बेहद मुश्किल हो रहा था, उसे तकलीफ में देखते और वो भी उस बीमारी से जिसकी रोकथाम हो सकती है."

टिटनेस के बारे में यह खबर ऐसे वक्त में आई है जब ओरेगन और वॉशिंगटन में जनप्रतिनिधि ऐसे कानून पर विचार कर रहे हैं जिससे नियमित वैक्सीन के लिए मिली गैरमेडिकल छूट खत्म हो जाए. तीन महीनों से पैसिफिक नॉर्थवेस्ट (प्रशांत से लगता उत्तरी अमेरिका का पश्चिमी इलाका) में खचरा की महामारी फैली हुई है. दक्षिण पश्चिम वॉशिंगटन में 70 से ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में आए हैं और इनमें ज्यादातर वैसे बच्चे हैं जिन्हें टीका नहीं लगा. इसके अलावा पोर्टलैंड, ओरेगन के मुट्ठीभर लोग भी इसके शिकार हुए हैं.

टिटनेस मीजल्स से थोड़ा अलग है क्योंकि इसकी चपेट में आने वाला अगर टीका नहीं लेता है तो उसे फिर यह बीमारी जकड़ सकती है. टिटनेस छींकने और खांसने से नहीं फैलता है बल्कि वातावरण में पाये जाने वाले बैक्टीरिया के बीजाणुओं से फैलता है. टिटनेस के बीजाणु मिट्टी में हर जगह फैले होते हैं. जब बगैर टीके के किसी शख्स का कोई गहरा जख्म होता है तो ये बीजाणु उस जख्म के जरिए घुसपैठ कर जाते हैं और उन बैक्टीरिया को जन्म देते हैं जिनसे टिटनेस की बीमारी होती है.

टिटनेस बैक्टीरिया एक विष का स्राव करते हैं जो रक्तप्रवाह में शामिल हो जाता है और वहां से तंत्रिका तंत्र में पहुंच जाता है. इसकी चपेट में आने के 21 दिन के भीतर बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं. मांसपेशियों में अकड़न, जबड़ों का जाम होना, निगलने और सांस लने में मुश्किलें आने लगती हैं. संक्रमित इंसान की मौत भी हो सकती है और अगर बच जाए तो वह बुरी तरह से अपाहिज हो सकता है. अमेरिका में हर साल करीब 30 लोग इससे संक्रमित होते हैं. इनमें से 2009 से 2015 के बीच 16 लोगों की मौत हो गई. बच्चों में यह कम होता है लेकिन 65 साल से ऊपर की उम्र के लोग इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं.

ओरेगन वाले मामले में बच्चे ने खुद को ही जख्मी कर लिया था और उसके परिजनों ने खुद ही उसके टांके लगा दिए. छह दिन बात उसके जबड़े जमने लगे और गर्दन और पीठ टेढ़ी होने लगी इसके साथ ही मांसपेशियों की जकड़न अनियंत्रित हो गई. जब उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो घरवालों ने पैरामेडिक्स को बुलाया और फिर उसे तुरंत ओरेगांव हेल्थ एंड सांस यूनिवर्सटी के बच्चों के अस्पताल में ले जाया गया. जब वह आया तो उसने पानी मांगा लेकिन वह मुंह नहीं खोल पा रहा था. अस्पताल में भर्ती होने के 45 दिन बाद उसने तरल पीना शुरू किया. बच्चे के इलाज पर 10 लाख डॉलर का खर्च आया. इसमें उसे विमान से अस्पताल ले जाने का खर्च शामिल नहीं है.

एनआर/एए (एपी)