झारखंड में बीजेपी, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी शीर्ष पर
केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के करीब 7 महीने बाद दो राज्यों में हुए चुनावों में पार्टी ने झारखंड में बहुमत प्राप्त कर लिया है तो जम्मू-कश्मीर में पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है. जम्मू-कश्मीर त्रिशंकु विधानसभा की ओर.
मोदी लहर या सत्ता विरोधी लहर
झारखंड में बीजेपी अपनी सहयोगी आजसू के साथ सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच गई है. बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान किसी नेता को सामने पेश नहीं किया बल्कि नरेंद्र मोदी के बल पर चुनाव लड़ा और उसे मनचाहा परिणाम भी मिला. अलग राज्य बनने के बाद झारखंड अब तक प्रगति के हाइवे पर दौड़ नहीं पाया है. 14 साल में 9 मुख्यमंत्री आए लेकिन विकास के मामले में सब फिसड्डी साबित हुए.
वंशवाद को हां या ना
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और उसके पास बीजेपी या कांग्रेस किसी से हाथ मिलाने का विकल्प है. हालांकि कोई फैसला लेने से पहले पीडीपी को सैकड़ों बार सोचना पड़ेगा. क्योंकि एक ओर पीडीपी का बीजेपी के साथ वैचारिक मतभेद है तो दूसरी ओर राज्य की जनता ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार को नकार दिया है.
बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने पहले के चुनावों के मुकाबले काफी बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि पार्टी मुस्लिम बहुल घाटी में एक भी सीट पाने में कामयाब नहीं हो पाई है, उसे जो भी जीत मिली है वह जम्मू क्षेत्र में मिली है. लेकिन प्रांत में पहली बार दूसरे नंबर पर आकर बीजेपी के नेता गदगद जरूर महसूस कर रहे हैं.
धूल में कांग्रेस
लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद भी कांग्रेस संभलती नहीं दिख रही है. दोनों राज्यों में कांग्रेस चुनाव के पहले साथ सत्ता में थी लेकिन दोनों ही जगह उसने अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया. जहां झारखंड में कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल के साथ करार किया तो वहीं जम्मू-कश्मीर में अकेले चुनाव लड़ा.
बीजेपी गदगद
झारखंड और जम्मू-कश्मीर के नतीजों से उत्साहित बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि 2014 बीजेपी के लिए अप्रत्याशित कामयाबी का साल है. शाह ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने अब तक हर चुनाव में कामयाबी का शिखर हासिल किया है. बीजेपी अध्यक्ष ने झारखंड में अच्छी सरकार देने का वादा किया है.
कांग्रेस की भूमिका
जम्मू-कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में किसी भी दल को अकेले सरकार बनाने के लिए जरूरी 44 सीटें नहीं मिली हैं. राज्य की जनता ने लगातार तीसरे विधानसभा चुनावों में किसी एक पार्टी पर भरोसा नहीं जताया है. कांग्रेस 12 सीटों के साथ फिर से किंग मेकर की भूमिका निभा सकती है. वह 2002 से 2008 तक पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार में थी. इसके बाद उसने 2014 तक नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया.