'जो सोता है वो पाता है'
क्या काम के तनाव के कारण आप पूरी नींद नहीं ले पाते? अच्छी सेहत के लिए अपने खाने पीने के साथ नींद पर भी ध्यान दें और कम से कम आठ घंटे जरूर सोयें.
नई तकनीक ने छीन ली नींद
टीवी, सेलफोन और लैपटॉप की कीमत में अब नींद भी जुड़ गई है. हर इंसान की जरूरत बनते जा रहे ये गैजेट लोगों से उनकी नींद छीन रहे हैं. तकनीक का विकास लोगों को उनकी दैनिक जिंदगी की जरूरी चीजों से दूर ले जा रहा है.
बच्चों में कमी और बुरी
किशोरों को औसतन सवा नौ घंटे की नींद लेनी चाहिए लेकिन ज्यादातर पढ़ने वाले बच्चे सप्ताह के कामकाजी दिनों में औसतन साढ़े सात घंटे की नींद ही ले पा रहे हैं. अगर बच्चों का स्कूल में प्रदर्शन सुधारना है तो उनके कमरे से मोबाइल और कंप्युटर जैसी चीजें बाहर निकालनी होगी.
'पॉवर नैप' की ताकत
दोपहर बाद की झपकी तो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. इससे मूड के साथ साथ काम की गुणवत्ता सुधरती है. शोध बताते हैं कि जो लोग खाने के बाद नियमित रूप से झपकी लेते हैं उनको हार्ट अटैक का खतरा कम होता है.
जादुई होती है झपकी
हल्की नींद से तनाव में रहने वाले तंत्रिका तंत्र को भी आराम मिलता है. इसका मतलब ये हुआ कि दिल की धड़कन भी कम हो जाती है. नाड़ी की गति धीमी हो जाती है. ब्लड प्रेशर और शरीर का तापमान भी कम हो जाता है.' झपकी लेना तरोताजा होने का सबसे कारगर तरीका है.
मोटापे का घर
कई शोध बताते हैं कि एक रात न सोने पर एक स्वस्थ इंसान के शरीर में ऊर्जा की खपत में 5 से 20 फीसदी तक की कमी आ जाती है. कई दूसरे अध्ययनों में देखा गया है कि पांच घंटे तक या उससे कम सोने वालों में वजन बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है.
घेर लेंगी बीमारियां
एक रात न सोने पर एक स्वस्थ इंसान के शरीर में ऊर्जा की खपत में 5 से 20 फीसदी तक कमी आ जाती है. ठीक से नींद न आने पर अगली सुबह ही ब्लड शुगर, भूख नियंत्रित करने वाले हार्मोन घ्रेलीन और तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कोर्टिजोल की मात्रा बढ़ जाती है.
गोलियों का भरोसा नहीं
लंबे समय तक नींद की गोलियों का इस्तेमाल जानलेवा साबित हो सकता है. इन दवाओं के अधिक इस्तेमाल से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है.