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जीने के लिए तैर रहे हैं ध्रुवीय भालू

२ मई २०१२

पोलर बीयर यानी ध्रुवीय भालू तैर कर काफी लंबी दूरी तय कर सकते हैं. उत्तरी ध्रुव पर पिघलती बर्फ के कारण उन्हें अपनी जीवन शैली बदलनी पड़ रही है.

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तस्वीर: AP

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उत्तरी ध्रुव के भालुओं पर जांच से इस बात का पता लगाया है. जांच के लिए उन्होंने भालुओं की गर्दन में एक मशीनी कॉलर फिट किया ताकि कंप्यूटर की मदद से उन पर नजर रखी जा सके. लेकिन इस रिसर्च के लिए केवल मादा भालुओं को ही चुना जा सका क्योंकि नर की गर्दन इतनी मोटी होती है कि उनमें कॉलर लगाना मुश्किल हो रहा था. जीपीएस वाले इन कॉलर के जरिए देखा जा सकता था कि भालू कितनी देर में कहां तक पहुंच सकते हैं.

इस रिसर्च को कनाडा के जर्नल ऑफ जूलॉजी में प्रकाशित किया गया है. रिसर्च के लिए अलास्का के ब्यूफोर्ट समुद्र में 52 भालुओं को चुना गया. साल 2004 से 2009 के बीच इन पर नजर रखी गई. इस दौरान उत्तरी ध्रुव पर बर्फ पिघलती रही. इनमें से एक तिहाई भालुओं ने तैर कर करीब 50 किलोमीटर का सफर तय किया. कई भालुओं ने 155 किलोमीटर का सफर तय किया और एक मादा भालू तैरती हुई 354 किलोमीटर पार कर गई. इन भालुओं के तैरने का समय एक से 10 दिन के बीच रहा.

जिन मादा भालुओं पर शोध किया गया, उनमें से अधिकतर के बच्चे साथ थे. वैज्ञानिकों ने पाया के 10 में से छह भालू लम्बे समय बाद भी अपने बच्चों के साथ ही तैर रही थीं. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के एंथनी पगानो ने लिखा है, "इस रिसर्च से पता चलता है कि कुछ बच्चे भी तैर कर लंबी दूरी तय कर सकते हैं. बाकी चार मादा भालुओं की बात करें तो हम ठीक तरह कह नहीं सकते कि उन्होंने अपने बच्चों को तैरते वक्त कहीं खो दिया या उनका क्या हुआ."

शोध में कहा गया है कि यह अच्छी बात है कि ध्रुवीय भालू अपनी जीवन शैली बदल रहे हैं और खुद को माहौल के अनुसार ढाल रहे हैं. पर साथ ही वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि ऐसा करके वे अपनी शक्ति बर्बाद कर रहे हैं. यूएसजीएस की वैज्ञानिक कारेन ओकले का कहना है कि इस रिसर्च से ध्रुवीय भालू की पूरी प्रजाती के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है क्योंकि रिसर्च बहुत कम भालुओं पर किया गया है, "यह बहुत रोमांचक है कि वे इतनी लंबी दूरी तक तैर सकते हैं और उनके बच्चे भी. लेकिन क्या तैरने की कोशिश करने वाले सभी बच्चे जीवित रह पाते हैं, अभी हम इस बारे में कुछ नहीं जानते"

साथ ही शोध में यह भी कहा गया है कि इस बारे में यकीन से नहीं कहा जा सकता कि क्या भालुओं में तैराकी की प्रतिभा एक बदलाव है या वे ऐसा पहली भी करते आए हैं, क्योंकि इस दिशा में पहले कभी कोई रिसर्च नहीं हुआ है. लेकिन अगर ऐसा है तो कहा जा सकता है कि भालुओं ने खुद को बचाने के लिए रास्ता ढूंढ निकला है. गौरतलब है कि 2008 में ध्रुवीय भालुओं को लुप्त होने वाले जानवरों में शामिल किया जा चुका है.

आईबी/एजेए (रॉयटर्स)