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जीत कर भी दबाव में हसीना

७ जनवरी २०१४

बांग्लादेश में विपक्षी नेता खालिदा जिया ने आरोप लगाया है कि देश में लोकतंत्र की हत्या कर दी गई है. एकतरफा चुनाव के बाद दोबारा चुनाव की मांग उठ रही है. प्रधानमंत्री हसीना जीत को सही बता रही हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

विपक्षी नेता जिया को दो हफ्तों तक उनके घर से निकलने नहीं दिया गया. उन्होंने एक बार फिर से मांग की है कि बांग्लादेश में एक कार्यवाहक सरकार को जिम्मा संभालना चाहिए और दोबारा चुनाव कराए जाने चाहिए, "मैं सरकार से अपील करती हूं कि इस चुनाव को रद्द किया जाए, सरकार सत्ता छोड़े और विपक्ष के साथ एक निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए सहमति बनाए और यह चुनाव पार्टीरहित सरकार की देखरेख में हो."

उनका कहना है, "पांच जनवरी को हुए षडयंत्रकारी चुनाव से न सिर्फ सरकार के प्रति लोगों का उठता भरोसा दिखता है, बल्कि यह भी पता चलता है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव बिना पार्टीरहित सरकार और भरोसेमंद चुनाव आयोग के संभव नहीं है." विपक्ष ने शेख हसीना को 48 घंटे का वक्त दिया है कि वह चुनावों को रद्द घोषित करें. इस मीयाद में विपक्ष ने आम हड़ताल की अपील की है.

उत्साहविहीन चुनाव

रविवार को हुए चुनाव के दौरान हिंसा में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई. यह बांग्लादेश के इतिहास का सबसे खूनी चुनाव है. इस दौरान विपक्षी समर्थकों ने कई चुनाव केंद्रों में आग लगा दी. विपक्ष ने इस चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था. लिहाजा नतीजों को लेकर किसी तरह का उत्साह नहीं था. सत्ताधारी अवामी लीग की नेता शेख हसीना और उनके समर्थकों ने लगभग सारी सीटें जीत ली हैं. चुनाव से पहले ही इसकी विश्वसनीयता पर शक पैदा हो गया था क्योंकि वोटिंग से पहले ही 153 उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया था. बांग्लादेश में संसद की 300 सीटें हैं.

सोमवार को प्रेस के सामने आकर प्रधानमंत्री हसीना ने दावा किया कि उनकी जीत सच्ची है और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि विपक्षी नेता खालिदा जिया और उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और दूसरे 20 विरोधी दल चुनाव में हिस्सा लेते हैं या नहीं.

लेकिन जिया ने चुनाव के बाद वहां कम मतदान को "धीमी क्रांति" का नाम दिया और कहा कि अवामी लीग को नैतिक आधार पर सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है, "लोकतंत्र की हत्या में आम लोगों ने हिस्सेदारी नहीं की."

अमेरिका की मांग

पश्चिमी देशों ने बांग्लादेश में अपने पर्यवेक्षक तक नहीं भेजे थे. अमेरिका ने चुनावों के बाद दोबारा मतदान की सिफारिश की है और कहा है कि इससे लोगों की इच्छाशक्ति का पता लग सकेगा. अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मेरी हार्फ ने कहा, "आधी से ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं हुआ और बाकी की जगहों पर सिर्फ सांकेतिक विरोध था. इसकी वजह से अभी हुए चुनाव की विश्वसनीयता कम है और यह बांग्लादेश के लोगों की इच्छाशक्ति नहीं दिखाता." हार्फ ने कहा कि वह सत्ताधारी और विपक्षी नेताओं से अपील करेंगी कि वे मिल कर एक नतीजे पर पहुंचें कि किस तरह देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जा सकते हैं.

Kombobild Khaleda Zia und Sheikh Hasina
विपक्षी पार्टी की नेता बेगम खालिदा जिया ने मांग की है कि देश में कार्यवाहक सरकार की निगरानी में फिर से चुनाव हों.तस्वीर: Getty Images/AFP/FARJANA K. GODHULY

इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी दोनों पक्षों से सार्थक बातचीत की अपील की है जिसमें "सभी पार्टियां शामिल हों." उधर, ब्रिटेन में पाकिस्तानी मूल की सामुदायिक मामलों की मंत्री सैयदा वारसी ने कहा है, "एक परिपक्व और अच्छे लोकतंत्र की पहचान है कि वह शांतिपूर्ण, भरोसेमंद चुनाव कराए, जिसमें वोटरों की सही इच्छाशक्ति का पता चल सके."

लेकिन हसीना ने साफ कर दिया है कि विपक्ष के बायकॉट का मतलब यह नहीं है कि उनके चुनावों पर किसी तरह का सवाल उठता है, "लोगों ने इस चुनाव में हिस्सा लिया और दूसरी पार्टियों ने भी लिया." यह पूछे जाने पर कि अगर इस कदम के बाद उनकी सरकार पर अंतरराष्ट्रीय पाबंदी लगती है, तो उन्होंने कहा, "हमने कौन सा अपराध किया है."

चारों तरफ से उठ रही मांग के बावजूद इस बात के संकेत बहुत कम हैं कि शेख हसीना अपनी प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया के लिए किसी तरह की रियायत बरतेंगी और अगर दोबारा चुनाव होते हैं, तो वह हसीना को भारी पड़ सकते हैं. जानकारों का कहना है कि राजनीतिक गतिरोध की वजह से बांग्लादेश में आने वाला वक्त बहुत मुश्किल हो सकता है. 1971 में आजाद होने के बाद यह देश के इतिहास का सबसे खूनी दौर रहा है, जिसमें पिछले साल अक्टूबर से 180 लोगों की जान जा चुकी है.

एजेए/एमजे (एएफपी)

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