जीडीआर से आजादी में भागने की कोशिशें
साम्यवादी पूर्वी जर्मनी किसी के लिए सपनों का देश था तो किसी के लिए जेल जैसा. कुछ लोगों ने तो वहां से भागने की ऐसी कोशिशें कीं, जिन्हें सिर्फ साहसिक ही कहा जा सकता है. जीडीआर से भागने की कुछ रोमांचक कोशिशें.
छोटी नाव से सागर पार
पूर्वी जर्मनी में हर कोई पश्चिम जाने के लिए दीवार गिरने का इंतजार नहीं कर रहा था. 1977 में ड्रेसडेन शहर का एक ट्रक ड्राइवर अपनी बीबी और बच्चों के साथ एक छोटी सी नाव में बाल्टिक सागर में निकल पड़ा. पंद्रह घंटे बाद एक मछुआरे ने उन्हें बचाया और अपनी बोट पर उन्हें लेकर पश्चिमी जर्मनी में ल्युबेक पहुंचा. ये लोग को सफल रहे लेकिन ऐसे प्रयासों में बहुत से लोग मारे गए.
दूसरा किनारा
1974 में जीवविज्ञानी कार्मेन रोहरबाख अपने ब्यॉयफ्रेंड के साथ बाल्टिक सागर में निकल पड़ीं, तैर कर पश्चिम जाने के लिए. साथ में एक रबड़ बोट भी थी. डेनमार्क पहुंचने से पहले ही एक सर्च लाइट ने उन्हें देख लिया और वे पकड़े गए. कार्मेन रोहरबाख को दो साल की जेल हुई. वह आज भी अपने शोध और किताब के लिए रोमांचक यात्राओं पर निकलती हैं.
तैरकर आजादी में
आक्सेल मिटबावर जीडीआर की राष्ट्रीय तैराकी टीम के सदस्य थे. भागने के लिए उन्होंने अपनी मांशपेशियों का इस्तेमाल किया. 19 साल की उम्र के आक्सेल 1969 में बाल्टिक सागर में तैर कर बोल्टेनहागेन से ल्युबेक पहुंचे. सीमा पुलिस ने सर्च लाइट को ऑफ कर रखा था. ठंड से बचने के लिए उन्होंने शरीर पर पेट्रोलियम की जेली रगड़ रखी थी.
समुद्र की राह
जीडीआर के उत्तर में स्थित बाल्टिक सागर से होकर करीब 5000 लोगों ने देश छोड़कर भागने की कोशिश की. कोई नाव से तो कोई एयर मैट्रेस लेकर, कोई तैर कर तो कोई पनडुब्बी की मदद से. कम से कम 174 लोग इस प्रयास में जान गंवा बैठे. लेखक बोडो मुलर के अनुसार दीवार बनने के बाद 901 लोग बाल्टिक सागर के रास्ते से भागे.
पाताल से निकले
देश से भागने के कुछ दूसरे क्लासिकल प्रयास भी हुए, जैसे कि यह महिला जिसे अक्टूबर 1964 में पश्चिम बर्लिन में एक सुरंग से बाहर निकाला जा रहा है. यह सुरंग उस टनल तक ले जाती थी जो पूरब और पश्चिम बर्लिन को जोड़ती थी और लोगों के भागने का रास्ता थी. पूर्वी जर्मन पुलिस द्वारा पकड़े जाने से पहले इस टनल से होकर 57 लोग भागे.
खिड़की का सहारा
सितंबर 1961 में इस महिला ने पहले खिड़की से अपने कुत्ते को बाहर निकाला, फिर अपना शॉपिंग बैग और फिर खुद पश्चिम बर्लिन के दमकल कर्मियों द्वारा लगाए गए नेट पर कूदी. हालांकि कुछ लोगों ने सीमा पर स्थित इस घर से कूदती महिला को वापस खींचने की भी कोशिश की. वह पिछवाड़े की खिड़की से आजादी में आने में कामयाब रही.
बूचड़खाना 14
ज्यादातर लोगों ने पैदल चलकर भागने की कोशिश की और इस तरह गोली से मारे जाने या बारूदी सुरंग पर पैर डालकर मरने का खतरा मोल लिया. सितंबर 1964 में पूर्वी जर्मनी के 14 लोगों को पूरब से पश्चिमी हिस्से में मीट की सप्लाई ले जा रहे एक रेफ्रिजरेटेड ट्रक से स्मगल किया गया. भागने वाले में वयस्कों के अलावा बच्चे भी थे.
धरती, समुद्र, पाताल और आसमां
जीडीआर छोड़कर भागने के सबसे साहसिक प्रयासों में हॉट एयर बैलून से भागने का प्रयास भी शामिल है. सितंबर 1979 में दो साहसिक परिवारों ने 2 से 15 साल के अपने चार बच्चों के साथ बैलून में भागने का प्रयास किया और कामयाब रहे. घर में बनाए गए बैलून में वे 2,500 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचे और पोसनेक से बवेरिया के नाइला पहुंचे.
प्रेरणादायक कहानियां
जर्मनी से भागने की कहानियों पर कई फिल्में बनी हैं. बैलून की मदद से भागने की ये कहानी ब्रिटिश अमेरिकी फिल्म नाइट क्रॉसिंग और 2018 की थ्रिलर बैलून बनाने की प्रेरणा बनी. माइकल हैरबिग की बैलून सितंबर में जर्मनी के सिनेमाघरों में रिलीज हुई है.