1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जी-20 में कई मुद्दों पर बेनतीजा चर्चा

१६ नवम्बर २०१५

तुर्की के अंताल्या में विश्व भर के 20 शक्तिशाली देशों से जुटे राज्य और सरकार प्रमुखों ने खुफिया जानकारी साझा करने, आतंकवादियों की फंडिग बंद करने और यूरोपीय सीमा सुरक्षा को सख्त करने में सहयोग पर सहमति जताई.

https://p.dw.com/p/1H6kz
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Walsh

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने तुर्की में हुए दो दिवसीय जी-20 सम्मेलन के समापन के अवसर पर आतंकवाद के मुद्दे पर कहा, "हम सब मानते हैं कि इस चुनौती का मुकाबला केवल सेना से नहीं हो सकता बल्कि इसके लिए कई तरह के कदम उठाने होंगे." दुनिया के 20 अमीर और विकासशील देशों के जमावड़े में कई सारे मुद्दों पर बातचीत हुई लेकिन किसी ठोस नतीजे की घोषणा नहीं हुई.

पेरिस हमलों की जिम्मेदारी लेने वाले गुट इस्लामिक स्टेट की फंडिंग रोकने का सुझाव देते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उनकी तेल की तस्करी का रास्ता बंद करना होगा. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस बाबत अगले साल की शुरुआत में एक डोनर कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की घोषणा की जिसमें सीरिया से निकल कर सुरक्षित ठिकानों की ओर भाग रहे लोगों की मदद के लिए अतिरिक्त धन राशि का इंतजाम किया जाएगा.

पेरिस में हुए जानलेवा हमलों के ठीक बाद फ्रांस ने आईएस के ठिकानों पर बमबारी तेज कर दी है. अमेरिका अपने नेटवर्क से मिली खुफिया जानकारी को फ्रांस से साझा कर रहा है और इसे और आगे बढ़ाने के बारे में सम्मेलन में अलग से चर्चा की गई. फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने इसमें हिस्सा नहीं लिया और देश में रहकर पेरिस हमले से जुड़ी कार्रवाई पर ध्यान देने का फैसला किया. रूस सीरिया में आतंकियों के ठिकानों पर हवाई हमले कर इस संकट में कूद चुका है. राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, "पेरिस की दुखदायी घटना दिखाती है कि इस बुराई से लड़ने के लिए हमें साथ आना ही होगा, जो कि हमें पहले ही करना चाहिए था."

करीब डेढ़ महीने पहले ही रूस ने सीरिया में आईएस के खिलाफ हवाई हमले शुरु किए थे. इस पर शक जताते हुए अमेरिका के नेतृत्व में लड़ रहे दूसरे पश्चिमी देशों के गठबंधन ने सीरिया के विद्रोही गुटों पर हमला बताया था. इस तरह पुतिन पर सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की मदद करने का आरोप था. पश्चिम असद को ही सीरिया संकट का मुख्य कारण और शांति बहाली के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा मानता आया है.

पिछले पांच सालों से असद शासन और विरोधी गुटों के बीच हिंसक संघर्षों में करीब 250,000 लोग मारे जा चुके हैं. इससे ना केवल सीरिया में आईएस और दूसरे कट्टरपंथी गुटों के लिए जगह बनी बल्कि वहां के गृह युद्ध से जान बचाकर भाग रहे लोगों के कारण यूरोप में भी अभूतपूर्व स्तर का शरणार्थी संकट खड़ा हो गया है.

आरआर/एमजे (एपी)