जिसने बदल दी 21वीं सदी
21वीं सदी का जिक्र आते ही अत्याधुनिक तकनीक से लैस दुनिया नजर आती है. इस सदी के दूसरे ही दशक में तकनीक ने ऐसी चीजें ईजाद की हैं जिनसे हमारी जिंदगी और आदतें बदल गई हैं. देखिए इन तस्वीरों में.
कृत्रिम हृदय
2001 में पहली बार एक कृत्रिम हृदय को सफलता पूर्वक मानव हृदय की जगह इस्तेमाल किया गया. यह बिना किसी बाहरी संपर्क के खुद-ब-खुद काम करने वाला पहला कृत्रिम हृदय था.
फेसबुक
4 फरवरी 2004 को लॉन्च की गई इस सोशल नेटवर्किंग साइट ने दुनिया भर में लोगों की जिंदगी और आदतें बदल डाली हैं. यूजर फ्रेंडली होने के चलते इसने दूसरी वेबसाइट्स को बहुत पीछे छोड़ दिया.
यू ट्यूब
यू ट्यूब भी एक ऐसी वेबसाइट है जिसके ऑनलाइन वीडियो प्लेटफॉर्म पर आप कुछ भी तलाश सकते हैं. पेपॉल कंपनी के तीन भूतपूर्व कर्मचारियों ने 2005 में ये वेबसाइट शुरू की जिसे बाद में गूगल ने खरीद लिया.
ह्यूमन रोबोट
सिंगापुर की वैज्ञानिक नादिया थाल्मन ने ऐसा रोबोट तैयार किया है जो हूबहू इंसानों से मेल खाता है. नदीन नाम के इस रोबोट का सॉफ्टवेयर उसे कई तरह के मनोभावों को जाहिर करने और पिछली बातचीत को याद करने में मदद करता है.
एप्पल आईफोन
एप्पल ने 2007 में अपने मशहूर आईफोन की शुरूआत की. स्मार्ट फोन की दुनिया में अपना लोहा मनवा चुके आईफोन के अब तक कई मॉडल आ चुके हैं और दुनियाभर में इसके तकरीबन 90 करोड़ से अधिक हैंडसेट बिक चुके हैं.
एंड्रॉयड
2008 में आए गूगल के ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड ने स्मार्ट फोन की दुनिया बदल दी. 2007 में आईफोन के आईओएस की धूम के बीच दूसरी कंपनियों को एंड्रॉयड ने सहारा दिया, जिसे गूगल ने मोबाइल ओएस एक रूप में विकसित किया था.
किंडल
2007 में एमेजन कंपनी की ओर से आए ईबुक रीडर किंडल ने लोगों की पढ़ने की आदत पर खासा असर डाला है. लोग अब किताबों के पन्ने ईबुक रीडर पर पलटने लगे हैं. उसका ईबुक रीडर के 80 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है.
बिन ड्राइवर की कार
2012 में गूगल ने प्रयोग के बतौर कैलिफार्निया में बिना ड्राइवर के खुद से ही चलने वाली कार लॉन्च की. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में गूगल की ये नई तकनीक दुनियाभर में यातायात का नजारा बदल सकती है.
गूगल ग्लास
गूगल ग्लास एक ऐसा चश्मा है जिसकी मदद से आप बिना कोई मशक्कत किए सारी मनचाही जानकारी अपनी आंखों के आगे तैरती पा सकते हैं. हालांकि अभी यह डिवाइस इतनी आम नहीं हुई है कि हर कोई इसे पहन सके.