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बच्चों को ज्यादा सब्जी

८ अप्रैल २०१४

हर दिन पांच या सात बार बच्चों को फल और सब्जी देना जरूरी है, लेकिन बच्चे हैं कि हरी सब्जियां खाते ही नहीं. मां बाप करें तो क्या करें.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

हर दिन कम से कम पांच बार फल और सब्जियां खाना सेहत के लिए अच्छा होता है, कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन का. क्योंकि इनमें कैलोरी कम होती हैं, पर विटामिन, खनिज, रेशे और सेहतमंद पदार्थ काफी मात्रा में होते हैं. अब यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं का कहना है कि पांच बार से काम नहीं चलेगा, सात बार ये खाना चाहिए. पौधों या हरी सब्जियों से मिलने वाला पोषण उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी और स्ट्रोक से बचा कर रखता है.

कितना खाएं

हालांकि रोजमर्रा में दिन भर में सात बार सब्जियां और फल खा पाना मुश्किल लगता है. कुछ तो व्यस्त दिनचर्या के कारण दोपहर का खाना भी नहीं खा पाते. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर दिन 400 ग्राम सब्जी और 250 ग्राम फल खाना चाहिए. और सब्जियां और अच्छी हैं क्योंकि उसमें चीनी और कम होती है. और अलग अलग तरह की सब्जियां खाना और जरूरी है, इसलिए दिन में सात बार सब्जी खाना सबसे अच्छा है.

बच्चों की मुश्किल

जर्मन न्यूट्रीशन सोसाइटी की आन्त्ये डाल कहती हैं, "चार से छह साल के बच्चों को कम से कम 200 ग्राम सब्जी और 200 ग्राम फल खाना चाहिए." लेकिन मां बाप जानते हैं कि ये कितना मुश्किल है. यूरोपीय संघ के छह देशों में जारी एक प्रोजेक्ट की समन्वयक सिल्वी इसांचोऊ बताती हैं, "सब्जियों में ऊर्जा कम होती है. बच्चे चाहते हैं ऐसा खाना, जो उन्हें खूब ऊर्जा दे. क्योंकि बढ़ने के लिए इसकी जरूरत होती है. और सबसे पहले हमें सीखना होता है कि हम उसके कड़वे से स्वाद को पसंद करें."

जर्मन बच्चों के खाने में नमक और बाकी स्वाद नहीं के बराबर होता है. उन्हें अक्सर बाजार में मिलने वाला बेबी फूड खिलाया जाता है जिसमें कोई नमक नहीं होता, फल वाले में बस हल्का सा मीठा स्वाद होता है. बहरहाल शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि छह महीने के शिशुओं से लेकर छह साल के बच्चों को सब्जी कैसे खिलाई जाए.

इसके लिए इकलौता फॉर्मूला है, धीरज. भले ही पहली दूसरी बार में बच्चे पसंद नहीं करें, लेकिन उन्हें खिलाना चाहिए. 18 महीने से दो साल के बच्चों में ये काम बहुत मुश्किल होता है. क्योंकि इस दौर में उनकी पसंद बदलती है. तो कुल मिला कर मां बाप को लगे रहना है. और कोशिश करनी है कि घर पर बनाई सब्जी हर बार अलग अलग स्वाद की हो ताकि बच्चे बोर न हों.

रिपोर्टः ब्रिगिटे ओस्टेराथ/एएम

संपादनः ए जमाल