जाम में फंसने से होता है अरबों का नुकसान
ट्रैफिक जाम ना केवल हमारी सेहत के लिए, बल्कि पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक होते हैं. आइए जानें कि बहुत ज्यादा जाम से क्या क्या नुकसान होता है.
सब्र का इम्तिहान
ट्रैफिक जाम में फंसना भला किसे पसंद आता है. कुछ मिनट जाम में फंसना ही सर दर्द दे देता है, लेकिन कई बार तो घंटों जाम में ही बिताने पड़ जाते हैं. और ये जाम सिर्फ यात्रियों पर ही असर नहीं करते हैं, बल्कि इनके और भी कई बुरे असर होते हैं जिनकी ओर अकसर हमारा ध्यान नहीं जाता है.
उत्सर्जन
अगर जाम में फंसे हैं तो अपनी गाड़ी का इंजन बंद कर लें. बीस सेकंड के लिए इंजन बंद करने से भी आप ईंधन बचा सकते हैं. जर्मनी की तकनीकी जांच एजेंसी ट्यूफ के अनुसार एक घंटे जाम में एक लीटर ईंधन बर्बाद होता है. जितनी ईंधन की खपत होगी, उतना ही ज्यादा सीओटू उत्सर्जन भी होगा, जो जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है.
जर्मनी में रिकॉर्ड जाम
जर्मनी के ऑटोमोबाइल क्लब एडीएसी के अनुसार साल 2018 में देश भर में लगभग 7,45,000 जाम लगे. 2017 की तुलना में यह तीन फीसदी ज्यादा है. सबसे ज्यादा जाम कोलोन शहर में दर्ज किए गए. इतने जाम के कारण यात्रा का औसत समय एक तिहाई तक बढ़ गया.
घंटों बर्बाद
जीपीएस बनाने वाली कंपनी इनरिक्स के आंकड़े कुछ अलग हैं. इनके अनुसार जर्मनी में सबसे ज्यादा जाम देखा म्यूनिख ने. कंपनी के अनुसार म्यूनिख के लोगों ने औसतन साल में 51 घंटे जाम में बिताए. लेकिन मॉस्को और न्यूयॉर्क के सामने तो यह कुछ भी नहीं है, जहां लोग साल में 91 घंटे जाम में बिताते हैं. सबसे बुरा हाल लॉस एंजेलिस का है. वहां का आंकड़ा 102 घंटे का है.
सेहत पर असर
जाम में फंसने वालों को अकसर बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है. जब ट्रैफिक सामान्य रूप से नहीं चलता है, तो शरीर में स्ट्रेस पैदा करने वाले हार्मोन का रिसाव बढ़ जाता है. ऐसे में शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होने लगती है और ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है. अकसर जाम में फंसे रहने वालों में बर्नआउट की समस्या भी आम है. ऐसे में शरीर और दिमाग दोनों हीं थका हुआ महसूस करते हैं.
अरबों का घाटा
इनरिक्स के अनुसार 2017 में जाम के चलते जर्मनी की अर्थव्यवस्था को 80 अरब यूरो का नुकसान हुआ. जाम लगने के कारण माल निर्धारित समय से डिलीवर नहीं हो पाता है और ईंधन की अत्यधिक खपत होती है. कंपनी के ड्राइवर हों या निजी कार मालिक, नुकसान उठाना ही पड़ता है. इनरिक्स के आर्थिक मामलों के जानकार ग्रैहम कूकसन के अनुसार, "ट्रैफिक जाम आर्थिक विकास में बाधा बनते हैं और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं."
कार शेयरिंग से नुकसान
लंबे समय तक ऐसा माना जाता था कि अगर लोगों को कार शेयरिंग का मौका दिया जाए, तो वे अपनी गाड़ी छोड़ कर दूसरों के साथ सफर करेंगे और इससे सड़क पर कम गाड़ियां उतरेंगी. ऊबर जैसी कंपनियां इसी सिद्धांत के साथ शुरू हुईं. लेकिन वक्त के साथ इसका उलटा असर देखा गया. ट्रैफिक रिसर्चर ब्रूस शालर के अनुसार अमेरिका में खास कर लोगों ने ऊबर लेने के चक्कर में सार्वजनिक परिवहन ही लेना छोड़ दिया और जाम और भी ज्यादा बढ़ने लगे.
काबुल भी बेहाल
न्यूयॉर्क हो, दिल्ली या काबुल, हाल सब जगह बेहाल ही है. खास कर सर्दियों के मौसम में गाड़ियों से निकलने वाला धुआं स्मॉग में तब्दील होने लगता है. दक्षिण एशिया के कई देशों में तो इन दिनों सर्दी से राहत पाने के लिए लकड़ी भी जलाई जाती है, जो प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा देती है. रिपोर्ट: कार्ला ब्लाइकर/आईबी