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ज़मानत खारिज, मायाबेन का आत्मसमर्पण

२७ मार्च २००९

गुजरात दंगों का साया भाजपा को छोड़ता नज़र नहीं आता. गुजरात हाईकोर्ट से शुक्रवार को अग्रिम जमानत याचिका रद्द होने के बाद राज्यमंत्री मायाबेन कोडनानी व विहिप नेता जयदीप पटेल ने विशेष जांच दल के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.

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मोदी की मुश्किलेंतस्वीर: AP

आज प्रधानमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात में अपने लोकसभा क्षेत्र गांधीनगर से चुनाव अभियान की शुरुआत की और आज ही के दिन उनकी पार्टी को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ गया.

राज्य की बाल कल्याण मंत्री मायाबेन कोडनानी और विश्व हिन्दू परिषद् के नेता जयदीप पटेल की अग्रिम ज़मानत की अर्जी गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दी जिसके बाद कोडनानी ने अपने पद से इस्तीफा देकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात दंगों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. पटेल ने भी आत्मसमर्पण किया और एसआइटी ने दोनों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.

कोडनानी और पटेल पर फरवरी 2002 में नरोदा-पाटिया और नरोदा गाम बस्तियों में मुस्लिम-विरोधी हिंसा भड़काने का आरोप है. यहाँ एक सौ से अधिक लोग मारे गए थे. आत्मसमर्पण करने जाते हुए पटेल ने न्यायिक व्यवस्था में विश्वास व्यक्त किया और कहा कि वह निर्दोष हैं.

कोडनानी कई बार बुलाने पर भी जब एसआइटी अपने सामने हाज़िर नहीं हुईं तो उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया. यह एक विचित्र स्थिति थी कि किसी राज्य सरकार में मंत्री भगोड़ा हो. कोडनानी ने फरार रहते हुए ही निचली अदालत से अग्रिम ज़मानत ले ली.

Indien Varun Gandhi
वरुण की गिरफ़्तारी देने की योजनातस्वीर: AP

आज गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. आदेश सुनाते हुए जस्टिस डी एच वाघेला ने कहा कि एसआइटी द्वारा पेश सुबूतों से प्रथम दृष्टया सिद्ध हो गया है कि दंगों के समय कोडनानी और पटेल वहां मौजूद थे और उन्होंने हिंसा रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया. जस्टिस वाघेला ने कहा कि साम्प्रदायिक सद्भाव लोकतंत्र की विशिष्टता है और धार्मिक कट्टरपंथी किसी भी तरह से आतंकवादियों से बेहतर नहीं हैं.

गुजरात सरकार अपने प्रवक्ता जयनारायण व्यास ने कहा है कि हाईकोर्ट के आज के आदेश से मायाबेन कोडनानी दोषी सिद्ध नहीं होतीं. इस आदेश का सम्बन्ध केवल न्यायिक प्रक्रिया से है. उधर कांग्रेस नेता और केंद्रीय मंत्री कपिल सिबल का कहना है कि गुजरात के अपराध धीरे-धीरे देश की जनता के सामने उजागर होते जायेंगे और लंबे समय में बीजेपी को इससे बहुत नुक्सान होगा.

इसी बीच आज उत्तर प्रदेश में पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के उम्मीदवार वरुण गाँधी ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अग्रिम ज़मानत की याचिका वापस ले ली. अब उत्तर प्रदेश पुलिस साम्प्रदायिक घृणा फैलाने के आरोप में गैर-ज़मानती धाराओं के तहत दायर दो मामलों में उन्हें जब चाहे गिरफ्तार कर सकती है.

बीजेपी के प्रवक्ता बलबीर पुंज का कहना है कि पार्टी ने वरुण गाँधी को केवल यही सलाह दी है कि वह जो भी कदम उठाएं, कानून के दायरे में रहकर उठाएं. माना जर रहा है कि वरुण गाँधी पीलीभीत जाकर अपनी गिरफ्तारी दे सकते हैं ताकि चुनाव में उन्हें लोगों की सहानुभूति मिल सके. लेकिन सवाल यह है कि क्या उत्तर प्रदेश पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी ?

रिपोर्ट: कुलदीप कुमार, नई दिल्ली

संपादन: महेश झा