जलवायु सम्मेलन: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कला
बॉन में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में सदस्य देशों के वार्ताकार कार्बन डाय ऑक्साइड घटाने के लक्ष्यों, फंडिंग और कदमों पर विचार कर रहे थे, तो कलाकारों और एक्टिविस्टों ने रचनात्मक तरीके से कार्रवाई की अपील की.
सब साथ साथ
सम्मेलन के मेजबान देश फिजी के प्रधानमंत्री फ्रांक बैनीमारामा ने 196 देशों के प्रतिनिधियों से अपील की, "हमें अपने लक्ष्यों को पाने के लिए साझा इच्छा के साथ मिलकर तैरना होगा." फिजी की इस नाव के पास से गुजरने वाले हर किसी को उन भावनाओं का यहां अहसास होता है.
तालानोआ, आदर के साथ बातचीत
जलवायु सम्मेलन में फिजी हर किसी को खुला दिमाग रखने को प्रेरित कर रहा है. बैनीमारामा ने कहा, "हम समझदारी और आदर की तालानोआ की भावना में वार्ताओं का नेतृत्व करना चाहते हैं." फिजी के मंडप में जाकर प्रशांत के खुले संवाद की परंपरा का अनुभव किया जा सकता है.
वैश्विक कारीगरी
जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर विकासशील देशों पर हो रहा है, खासकर उनके आदिवासियों पर. कॉप23 में प्रतिनिधियों का लक्ष्य ऐसे नियम बनाना है जो उन्हें जलायु के प्रकोप से बचा सकें. राइन पार्क में बना यह टिपी भी वैश्विक प्रयास है.
भालुओं का भविष्य
जलवायु परिवर्तन का असर जानवरों पर भी होता है. बाढ़, सूखा और तूफान उनके प्राकृतिक निवास को खत्म कर देता है. इसकी सबसे दिखने वाली मिसाल पोलर भालू हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बर्फ गल रही है और बर्फ में रहने वाले भालू विस्थापित हो रहे हैं.
पेड़ हमारे दोस्त
जलवायु के लिए पेड़ और जंगल भी महत्वपूर्ण होते हैं. हर साल वे लाखों टन कार्बन डाय ऑक्साइड सोखते हैं. वनों की रक्षा के लिए काम कर रहे जर्मन वन संगठन के कार्यकर्ता ये प्रोडेक्ट लेकर बॉन आये हैं. सम्मेलन के अंत तक इसे बढ़कर पूरा पेड़ बनना है.
खतरे में दुनिया
पेरिस जलवायु संधि का लक्ष्य ग्लोबल वॉर्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस पर रोकना है. ताजा आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक क्रांति के बाद से दुनिया का तापमान 1.1 डिग्री बढ़ गया है. लोग बाढ़ और सूखे की मार झेल रहे हैं. क्लाइमेट फोरम में उन्हें बदलाव के बारे में जानकारी मिलती है.
भारत और चीन
लंबे समय में अक्षय ऊर्जा को जीवाश्म ऊर्जा की जगह लेनी है ताकि CO2 उत्सर्जन कम हो सके. हर कंपनी इसे लागू करने के अपने नियम बना रही है. अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है, लेकिन वह अपने प्रयास तेजी से बढ़ा रहा है.
सड़कों पर समर्थन
जलवायु संरक्षक कोयले का इस्तेमाल तुरंत रोकने की मांग कर रहे हैं. बॉन जलवायु सम्मेलन से पहले और उसके दौरान बहुत से कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतर कर इसके लिए प्रदर्शन किया. राइन पार्क में बैनरों की तख्तियां लगाकर लोगों के विरोध को दर्शाया गया.
क्लाइमेट कॉस्ट्यूम
पर्यावरण संरक्षण के समर्थन में एक रैली में लोगों ने अलग अलग पोशाक और मुखौटे पहन रखे थे. विरोध के केंद्र में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भी थे जिन्होंने अपने देश को पेरिस संधि से बाहर निकाल लिया है. अमेरिका अब संधि से बाहर दुनिया का अकेला देश है.