जर्मनी से पैदल सीरिया जाने निकले शांति दूत
२७ दिसम्बर २०१६बर्लिन के अब बंद हो गए टेंपलहोफ एयरपोर्ट से शुरु हुआ यह सिविल मार्च विरोध प्रदर्शन का माध्यम है. बर्लिन से चल कर युद्ध से तबाह हुए सीरिया तक जाने का लक्ष्य लेकर चले शांति दूत सीरिया में युद्ध रोकने की अपील कर रहे हैं. 26 दिसंबर को सफेद झंडों के साथ पैदल ही अपनी रैली शुरु करने वाले आयोजकों ने बताया कि वे हर दिन करीब 20 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे.
कैसे हो रहा है सिविल मार्च
शांति कार्यकर्ताओं के दल को जर्मनी से होते हुए चेक गणराज्य, ऑस्ट्रिया, स्लोवेनिया, क्रोएशिया, सर्बिया, मैसेडोनिया, ग्रीस और तुर्की पार करने में करीब साढ़े तीन महीने का समय लगेगा. कुछ लोग इस मार्च में कुछ दूरी के लिए ही शामिल होंगे और रास्ते में बाकी नए लोग भी शामिल हो सकेंगे. इसमें शामिल होने वाले लोगों को अपने सोने और खाने की व्यवस्था खुद करनी है.
तुर्की की सीमा पर पहुंचने के बाद वे सीरियाई शहर अलेप्पो जाने की कोशिश करेंगे. हाल ही में सीरिया के सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर सीरियाई सरकार ने फिर से कब्जा कर लिया है. इस शांति मार्च के आयोजकों ने वेबसाइट पर जारी अपने घोषणापत्र में लिखा है, "कुछ करने का वक्त आ चुका है."
अब जर्मनी में रह रहे सीरिया के 28 साल के जबेर जहीर अलजेर कहते हैं, "यह मार्च और यहां के लोग अपनी मानवता का परिचय दे रहे हैं. मैं भी इसमें मदद करना चाहता हूं. दुनिया के और लोगों को भी पता चलना चाहिए कि सीरिया में हालात बहुत बुरे हैं."
जर्मनी से मेडिकल मदद
जर्मनी के विकास सहयोग मंत्री गैर्ड मुइलर ने जर्मन दैनिक 'बिल्ड' से बात करते हुए बताया कि अलेप्पो के लोगों की मदद के लिए जर्मनी 1,000 मेडिकल कर्मियों को भेजेगा. मंत्री ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय असहाय होकर वहां हत्या और बमबारी होते देख रहा था, अब अलेप्पो के लोगों के लिए बड़े मानवीय ऑपरेशन चलाने की जरूरत है."
इस मकसद के लिए जर्मनी 1.5 करोड़ यूरो मुहैया करा रहा है, जिससे 1,000 डॉक्टर, नर्सें और ट्रॉमा साइकोलॉजिस्ट सीरिया में अगले 30 महीने तक रह कर लोगों की मदद कर पाएंगे. इसके अलावा इस प्रोग्राम में करीब 200 एक्सपर्ट्स को भी प्रशिक्षित किया जाएगा, जो मेडिकल प्रोफेशनल्स के लौटने के बाद बाकी सीरियाई लोगों की सदमे से उबरने में मदद करेंगे. यह धन जर्मनी के "कैश फॉर वर्क" प्रोग्राम से आएगा.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 1.35 करोड़ सीरियाई लोगों को मदद की जरूरत है. इनमें से करीब 90 फीसदी लोगों को मेडिकल मदद की जरूरत है. जर्मन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2012 से सीरिया में शुरु हुए संकट से अब तक जर्मनी ने मानवीय मदद पर करीब 1.5 अरब यूरो खर्च किए हैं. 2018 तक यह कुल सहायता राशि 2.3 अरब यूरो हो जाएगी. इसी के साथ जर्मनी विदेशी मदद पहुंचाने वाले देशों में तीसरा सबसे बड़ा दाता बन जाएगा.
आरपी/एमजे (एपी)