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समाज

सरकारी चैनल पर फेमिनिस्ट पोर्न की मांग

१५ जून २०१८

फिल्म "वीरे दी वेडिंग" में मास्टरबेशन वाले सीन पर खूब बवाल हुआ. जहां भारत में एक महिला की कामुकता को स्वीकारना अधिकतर लोगों के लिए मुश्किल है, वहीं जर्मनी में सरकारी चैनल पर "फेमिनिस्ट पोर्न" दिखाने पर बहस हो रही है.

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Pornhub Webseite
तस्वीर: Pornhub

अपने बाकी के दोस्तों की तरह फ्रांत्सी ने भी 13 साल की उम्र में पोर्न देखना शुरू कर दिया था और इससे फ्रांत्सी की सोच भी काफी प्रभावित हुई. आज वह 20 साल की हैं. अपने अनुभवों के बारे में वे बताती हैं, "पोर्न में महिलाएं इतनी लाउड होती हैं कि मुझे अकसर ये डर लगता था कि मेरा पार्टनर सोचता होगा कि सेक्स के दौरान मुझे मजा नहीं आ रहा. क्योंकि उसने भी तो पोर्न देखा ही होगा और वो उम्मीद करेगा कि मैं भी वैसे ही चिल्लाऊं." पोर्न फिल्मों में महिलाओं को जिस तरह से दर्शाया जाता है, उससे फ्रांत्सी को दिक्कत है. वह कहती हैं, "कुछ चीजें ऐसे दिखाई जाती हैं कि आपको लगता है, ये तो करना ही है. दरअसल लड़कियों के मुकाबले लड़कों की संतुष्टि को बहुत ज्यादा अहमियत दी जाती है."

और लड़कियों को इस तरह की दिक्कत से ना गुजरना पड़े, इसके लिए जर्मनी की एसपीडी पार्टी की युवा सदस्य फेमिनिस्ट पोर्न में निवेश करना चाहती हैं. पार्टी की युवा शाखा के बर्लिन पांको जिले की प्रमुख ने राज्य पार्टी अधिवेशन में इसके लिए प्रस्ताव दिया है. प्रस्ताव के अनुसार ये पोर्न फिल्में उचित परिस्थिति में बनाई जाएंगी और इनमें सबका ध्यान रखा जाएगा. और सबसे बढ़ कर, इन्हें सरकारी चैनल पर चलाया जाएगा. प्रस्ताव में कहा गया है, "मेनस्ट्रीम पोर्न सेक्सिस्ट और नस्लवादी विचारधारा को दिखाता है. उपभोक्ताओं पर इसका गहरा बुरा असर हो सकता है. युवाओं में अवास्तविक उम्मीदें जगती हैं और अपने शरीर और कामुकता को ले कर उनमें आत्मविश्वास की कमी होने लगती है."

एक रिसर्च के अनुसार जर्मनी में 18 साल से कम उम्र के लोगों में कम से कम 40 फीसदी ने इंटरनेट पर पोर्न देखा है. ऐसे में हिंसक और महिलाओं को वस्तु की तरह दिखाती हुई तस्वीरें युवाओं पर अपनी छाप छोड़ती हैं. कई बार वे उसी तरह पेश आना चाहते हैं, जैसा उन्होंने पोर्न में देखा. एसपीडी पार्टी की बर्लिन शाखा के अधिवेशन में प्रस्ताव रखने वाली पार्टी की युवा इकाई की फेरिके थोम का कहना है कि मेनस्ट्रीम पोर्न को स्कूलों में मिलने वाली सेक्स एजुकेशन की जगह नहीं लेनी चाहिए. वे कहती हैं कि इसकी भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता, "हमें दूसरे विकल्प बनाने होंगे और ये विकल्प मुफ्त में उपलब्ध होने चाहिए क्योंकि युवा पोर्न देखने के लिए पैसा नहीं खर् करेंगे. लेकिन अगर वे केवल कमर्शियल पोर्न ही देखेंगे, तो उन्हें अलग अलग तरह के शरीरों के बारे में जानकारी नहीं मिलेगी, उन्हें सहमति लेने और बात करने के बारे में पता नहीं चलेगा."

आम तौर पर पोर्न देखने के लिए 18 साल का होना जरूरी है. लेकिन महज तीन फीसदी पोर्न वेबसाइटें ही यूजर की उम्र पूछती हैं. दुनिया की सबसे लोकप्रिय पोर्न वेबसाइट पोर्नहब पर 2017 में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली वीडियो की जानकारी हैरान करने वाली है. व्यावसायिक पोर्न के विरोधियों का मानना है कि फेमिनिस्ट पोर्न के माध्यम से इस बुरे असर को रोका जा सकता है. इन प्रयासों का मकसद है कि युवा पोर्न देखें लेकिन बिना किसी हिंसक प्रवृत्ति के और महिलाओं के सम्मान के साथ.

पोरयेस नाम के फेमिनिस्ट पोर्न फिल्म अवॉर्ड्स की संस्थापक और एक्टिविस्ट लॉरा मेरिट एसपीडी की युवा शाखा के प्रस्ताव का स्वागत करती हैं. उनका कहना है, "अगर फेमिनिस्ट पोर्न में सार्वजनिक रूप से निवेश किया जाएगा, तो उसे कई मानदंडों का पालन करना होगा. वह नैतिक होगा." मेरिट जिस तरह के पोर्न की पैरवी करती हैं, उसमें किसी के साथ जोरजबरदस्ती नहीं की जाती. इसमें समलैंगिकों को भी जगह दी जाती है और विकलांगों को भी. यहां मोटे-पतले हर आकार के लोग होते हैं और हर नस्ल के भी. इसे सकारात्मक पोर्न के रूप में पेश किया जा रहा है. मेरिट कहती हैं, "समाज में मेनस्ट्रीम पोर्न भरा पड़ा है. आप चाहें या ना चाहें, वो है. इसलिए जरूरी है कि युवाओं को पता हो कि उनके पास और भी विकल्प हैं."

फेमिनिस्ट पोर्न का प्रस्ताव पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों के गले नहीं उतर रहा है. फेरिके थोम भी अपने प्रस्ताव के बारे में कहती हैं कि पार्टी में हर किसी को इसके लिए राजी कराना आसान नहीं होगा. चुनावों में एसपीडी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था. ऐसे में पार्टी अपनी पहचान पर काम कर रही है. ऐसा कोई भी कदम उसके लिए जोखिम भरा हो सकता है. लेकिन थोम के अनुसार पोर्न इस हद तक समाज में घुस चुका है कि उसे राजनीति से अलग रखना मुमकिन नहीं है. वहीं, फ्रांत्सी का कहना है कि उसे खुशी होगी अगर भविष्य में ऐसा पोर्न देखने को मिले जिसमें लड़कियां जोर जोर से चीख ना रही हों.

जेन पाउलिक/आईबी

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