जर्मनी में बूढ़े जोकरों की धूम
२० मई २०११उलरिके इन दिनों जर्मनी के ब्रेमेन शहर में शो में हिस्सा ले रही हैं. जब उलरिके से पूछा जाए कि उन्होंने 63 साल की उम्र में जोकर बनने की क्यों सोची तो वह कहती हैं, "मैं जोकर इसलिए बनी क्योंकि लोगों को हंसाकर मुझे अच्छा लगता है. जब आप हंसते हैं तो आजाद महसूस करते हैं. मेरे दोस्तों को लगा कि मेरा जोकर बनना अच्छा रहेगा हालांकि मेरा परिवार इसके लिए तैयार नहीं हुआ. लेकिन फिर मेरे बच्चे अपनी मां को जोकर के रूप में देखने के अभ्यस्त हो गए."
स्कर्ट, किचन एप्रेन और थोड़ा मेकअप लगाकर वह अपना शो करती हैं. इसमें उन्हें एक ऐसे घोड़े पर बैठने की मश्क्कत करनी पड़ती है जो उन्हें बैठने नहीं देता. उलटते पलटते वह लोगों को हंसने पर मजबूर कर देती हैं. इसके बाद वह कपड़े सुखाती और रेडियो पर गाने सुनती नजर आती हैं और आखिर में नाचने लगती हैं. उनकी यह अदा भी दर्शकों को लुभाती है.
अन्य पश्चिमी देशों की तरह जर्मनी में भी रिटायर लोगों की संख्या बढ़ रही है. जर्मनी में करीब एक करोड़ 70 लाख लोगों की उम्र 65 साल से ज्यादा है. यह जर्मनी की कुल जनसंख्या का 20 फीसदी है. ऐसे ही लोगों को साथ लेकर उलरिके ने क्लाउन्स 50 प्लस कंपनी में शामिल हुईं. इस कंपनी में शामिल सदस्यों की उम्र 60 से 79 साल है जिन्होंने दो साल की ट्रेनिंग ली हुई है. उलरिके का कहना है कि ट्रेनिंग थोड़ी मुश्किल जरूर है लेकिन फिर काम करने में मजा आता है.
किसी शो में कितने सदस्यों को शामिल होना है यह शो के हिसाब से ही तय किया जाता है. आमतौर पर एक साल में आठ से दस शो आयोजित किए जाते हैं. शो के लिए वह पूरे जर्मनी का दौरा करते हैं. लाल नाक, हाथ में छतरी लिए और रंग बिरंगे कपड़े पहन कर कंपनी के सदस्य जिंदगी के इस दौर में लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह