कोरोना से जूझते जर्मनी के लिए निर्णायक शनिवार
२० मार्च २०२०जर्मनी में कोरोना को रोकने के लिए और वायरस के प्रसार की गति को धीमा करने के लिए क्या कदम उठाए जाएं, इस पर बहस चल रही है. बड़े पैमाने पर वायरस का टेस्ट किए जाने के कारण दक्षिण कोरिया को आदर्श मना जा रहा है तो जर्मनी ने अलग रास्ता चुना है. ये मौसम यूं भी वायरस और इंफ्लुएंजा का मौसम है. हर किसी को थोड़ी खांसी थोड़ा जुकाम है. अक्सर डर भी लगता है कि कहीं कोरोना तो नहीं. लेकिन हर कोई जिसे कोरोना की आशंका है, जर्मनी में टेस्ट नहीं करवा सकता. टेस्ट महंगे तो हैं ही, लेकिन दूसरी समस्या है कि जर्मनी में बड़े पैमाने पर कोरोना टेस्ट करने की क्षमता नहीं है, हालांकि इस बीच उसे बेहतर बनाया जा रहा है. रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट के निर्देश के अनुसार यदि मरीज को वायरस के लक्षण हों और वह कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में रहा हो, या मरीज को बुखार हो और वह पिछले 14 दिन में कोरोना प्रभावित इलाके में रहा हो, तो उसका टेस्ट किया जाता है.
लेकिन कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. 20 मार्च को 18500 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं और उसके साथ डॉक्टरों की चिंता भी बढ़ रही है. फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर देश को पूरी तरह बंद किए जाने जैसा कोई कदम उठाने के बदले स्थानीय स्तर पर फैसले लिए जा रहे हैं. संक्रमण के ढेर सारे मामलों के कारण दो शहरों में लॉकडाउन के बाद अब जर्मनी के दक्षिणवर्ती प्रदेश बवेरिया ने आज राज्यबंदी की घोषणा कर दी. द्वितीय विश्व युद्ध क बाद ये पहला मौका है जब जर्मनी में ऐसा कदम उठाया गया है. लोकतांत्रिक जर्मनी में ज्यादातर फैसले आम सहमति से किए जाते हैं, लोगों की भागीदारी के साथ. इसलिए प्रतिबंधों से ज्यादा यहां आत्म अनुशासन पर ध्यान दिया जाता है. मीडिया पर किसी तरह के प्रतिबंध के बदले आचार संहिता है, फिल्मों को सेंसर नहीं किया जाता बल्कि सिर्फ सर्टिफिकेट दिया जाता है कि उसे किस उम्र के लोगों को दिखाया जा सकता है. यही हाल कोरोना के समय में लोगों के बाहर निकलने पर है.
जब दुनिया भर में ये उम्मीद की जा रही थी कि जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल 15 साल के अपने शासन काल में राष्ट्र के नाम अपने पहले आपात संबोधन में देश में तालाबंदी की घोषणा करेंगी तो वे लोगों से एकजुटता दिखाने की अपील कर रही थीं. उन्होंने लोगों से घर में रहने, सावधान रहने और आत्मीय जनों से नजदीकी दिखाने के बदले उनकी और अपनी सुरक्षा के लिए उनसे दूर रहने की अपील कर रही थीं. दूसरी ओर स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर छुट्टियों में भेजे गए लोग घर में अलग थलग रहने के बदले दोस्तों के साथ पार्टी मना रहे हैं, कैफे में कॉफी पी रहे हैं. जर्मनी में कोरोना पार्टियां हो रही हैं, बच्चों को लेकर मां बाप बागों में, पार्कों में जा रहे हैं. जाड़ों के बाद अचानक मौसम भी अच्छा हो गया है, आखिर वे करें क्या? बच्चे भी घर में बंधकर तो रहना नहीं चाहते.
लेकिन लोगों के इस बर्ताव का असर शायद ये हो रहा है कि कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.आंकड़े हर दिन तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वायरस से मरने वालों की तादाद भी बढ़ रही है. फिर इटली की नजीर लोगों की आंखों के सामने हैं. इस बीच इटली में चीन से भी ज्यादा मौतें हुई हैं. हर दिन करीब 500 लोगों की मौत ने ऐसी हालत पैदा कर दी है कि सेना को लाशों को कब्रगाह तक पहुंचाने के लिए अपनी गाड़ियां निकालनी पड़ी. कोई भी वैसी स्थिति का सामना नहीं करना चाहता. बीमारों के इलाज के मामले में प्रति दस हजार लोगों पर जर्मनी के अस्पतालों में करीब 39 बिस्तर हैं. ये अनुपात अच्छा है लेकिन यदि अचानक गंभीर रूप से बीमार लोगों की संख्या बढ़े तो स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ बहुत बढ़ जाएगा और अस्पताल मरीजों की सही देखभाल करने की हालत में नहीं रहेंगे.
इस बीच इटली से बीमारी की पहली तस्वीरें आ रही हैं. कोरोना वायरस की बीमारी असल में फेफड़े की बीमारी है. वह सांस लेने को मुश्किल बना देती है. जिन लोगों की मौत हो रही है, उनकी मौत दम घुटने से हो रही है. बहुत ही दयनीय स्थिति में हो रही है. जिनका इलाज हो पा रहा है, उन्हें भी निहायत एकाकीपन का सामना करना पड़ रहा है. अकेले एक कमरे में मौत से जूझते हुए स्वस्थ होने का इंतजार, कोई अच्छी कल्पना नहीं है. जो लोग स्वास्थ्य अधिकारियों और सरकारी पदाधिकारियों की अपील पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, वे अपनी और दूसरों की जिंदगी को मुश्किल में डाल रहे हैं और डॉक्टरों तथा नर्सों की भी जिंदगी मुश्किल कर रहे हैं.
जर्मनी ने अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर देशबंदी का फैसला नहीं किया है. बवेरिया की सरकार की राज्यबंदी की घोषणा के बाद दूसरे प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों पर दबाव बढ़ गया है. बवेरिया के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर ने यही दलील दी है कि सामाजिक संपर्क से बचने यानि सोशल डिसटेंसिंग की अपील का कोई असर नहीं हुआ है. रविवार को चांसलर अंगेला मैर्केल देश के 16 प्रांतों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करने वाली हैं. प्रेक्षक बताते हैं कि देश के लॉकडाउन का फैसला वीकएंड में लोगों के व्यवहार पर निर्भर करेगा. यदि वे शुक्रवार की शाम और शनिवार को संयम दिखाते हैं और घर से बाहर नहीं निकलते हैं, तो संभव है कि सरकार को कर्फ्यू लगाने और लोगों को उनके घरों में बंद करने का फैसला ना करना पड़े. शनिवार का दिन कोरोना वायर से खिलाफ संघर्ष में जर्मनी के लिए निर्णायक दिन है.
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