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जर्मनी में बढ़ते मच्छर

१९ जुलाई २०१३

कम सर्दी और हवा में बढ़ती नमी से जर्मनी में मच्छर बढ़ रहे हैं. ना सिर्फ घरेलू बल्कि बाहर के मच्छर भी दिख रहे हैं और अपने साथ खतरनाक बीमारियां ला रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/ Birgit Betzelt/actionmedeor

विदेशी मच्छरों की ज्यादा किस्में जर्मनी आ रही हैं और अपने साथ बैक्टीरिया और वाइरस भी ला रही हैं. ज्यादातर मच्छर सैलानियों और बिजनेस ट्रैवलरों के साथ जर्मनी पहुंच रहे हैं. हालांकि वे कम समय जीते हैं और सर्दियों में मर जाते हैं, विशेषज्ञों का कहना है कि जर्मनी में सर्दियां कम हो रही है, जिसकी वजह से मच्छरों की तादाद और बढ़ेगी. सेंकेनबर्ग प्रकृति शोध संस्थान के स्वेन क्लिम्पेल का कहना है, "कुछ इलाकों में औसत तापमान बहुत ऊंचा है और वह नम भी हो रहा है, जो मच्छरों के लिए बहुत ही आदर्श तापमान है." लेकिन सिर्फ विदेशी कीड़े ही वैज्ञानिकों को परेशान नहीं कर रहे हैं. घरेलू मच्छर भी तापमान में हो रहे अंतर को बहुत ही लाभदायक पा रहे हैं और हर साल कई पीढ़ियां पैदा कर रहे हैं.

खतरनाक खोज

क्लिम्पेल और हैम्बर्ग के बैर्नहार्ड नॉख्त ट्रॉपिकल मेडिसिन संस्थान के एगबर्ट टानिष इस समय मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों पर रिसर्च कर रहे हैं. उन्होंने जर्मनी में एशिया की झाड़ियों में होने वाले मच्छरों के अलावा टाइगर मच्छर और पीला बुखार पैदा करने वाले मच्छरों की शिनाख्त की है.12 साल से चल रहे एक व्यापक सर्वे में रिसर्चरों ने जर्मनी में 55 स्थानों से 75,000 मच्छर इकट्ठा किया है. उन्होंने मच्छरों की 50 स्थानीय और विदेशी किस्में पाई हैं.

Anopheles Mücke
मलेरिया फैलाने वाला मच्छरतस्वीर: picture-alliance/dpa

मसलन जर्मनी में पाया गया एशियाई टाइगर मच्छर डेंगी बुखार के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है. एगबर्ट टानिष बताते हैं, "हमने पाया है कि कुछ इलाकों में बाहरी मच्छर हैं, जिन्होंने इस इलाके को अपना घर बना लिया है. इसके अलावा कुछ दूसरी किस्में हैं जो कभी कभार दिखती हैं." उन्होंने पहली बार जर्मनी में मच्छरों में डिरोफिलेरिया परजीवी कीड़े भी पाए हैं. यह परजीवी अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी यूरोप में पाया जाता है. यह कुत्तों और लोमड़ियों के दिल में पाया जाता है. यदि कोई मच्छर किसी संक्रमित जानवर का खून चूसता है तो यह अपने दूसरे शिकार को भी संक्रमित कर देता है. इंसानों के लिए यह इतना खतरनाक नहीं है क्योंकि कीड़े जल्दी मर जाते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे पहले कि समस्या स्वास्थ्य के लिए गंभीर बन जाए, इस पर नजर रखना जरूरी है.

सेक्स का सवाल

Malaria Kind
मलेरिया पीड़ित बच्चातस्वीर: Getty Images

नर मच्छर आम तौर पर नुकसानदेह नहीं होते. वे पौधों का रस पीते हैं और उनकी दिलचस्पी सिर्फ मादा मच्छरों का स्नेह जीतने में होती है. नर मच्छर इंसानों को काटते भी नहीं. स्वेन क्लिम्पेल कहते हैं, "आप उन्हें उनके घने एंटीना से पहचान सकते हैं." हालांकि उनका मानना है कि एकमात्र अच्छा मच्छर मृत मच्छर होता है. नर मच्छरों के विपरीत मादा मच्छर इंसान का खून चूसती है और उसका वजन दोगुना हो जाता है. उसका हर डंक दो से पांच मिलीलीटर होता है, जो उन्हें अंडा देने के लिए पर्याप्त प्रोटीन देता है. और इस तरह नई पीढ़ियां पैदा होती रहती है.

एक के बाद एक लोगों का खून चूसने की प्रक्रिया में मच्छर वाइरस, परजीवी या कीड़ों को इंसान के खून में पहुंचाते हैं. इसके साथ वे मलेरिया, सोने की बीमारी, डेंगी या चिकुनगुनिया जैसी बीमारियां भी शरीर में पहुंचाते हैं. सबसे ज्यादा संक्रामक मच्छर एशिया, अफ्रीका या लैटिन अमेरिका के होते हैं, जो गर्म और नम इलाके हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि जर्मनी में तापमान में वृद्धि होने से यहां पाए जाने वाले मच्छरों में संक्रामक एजेंट तेजी से बढ़ेंगे. क्लिम्पेल कहते हैं, "अगले 10 से 50 वर्षों में यूरोप में और खासकर जर्मनी में खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए संक्रामक बीमारियां बढ़ेंगी."

रिपोर्ट: यूडिथ हार्टल/एमजे

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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