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समाजजर्मनी

जर्मनी में एक करोड़ लोगों की आय घंटे में 12 यूरो से कम

२३ जुलाई २०२०

जर्मनी में चार में से एक कर्मचारी एक घंटे में बारह यूरो से कम कमाता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर देश में एक करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं. जर्मनी में न्यूनतम मजदूरी प्रति घंटे 9.35 यूरो है.

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Mindestlohn
तस्वीर: picture-alliance/P. Pleul

जर्मनी में न्यूनतम वेतन को 12 यूरो प्रति घंटा यानी करीब एक हजार रुपये करने की मांग हो रही है. फिलहाल यह 9.35 यूरो है. जर्मनी में वेतन और मजदूरी का फैसला नियोक्ता और ट्रेड यूनियनों के बीच बातचीत में होता है. इसकी वजह से भारत की ही तरह यहां भी राज्यों और शहरों में वेतन में फर्क हो सकता है. वेतन में वृद्धि तय करने में रहन सहन के खर्च अहम होता है और उसका आय पर भी असर पड़ता है. जर्मनी में भी कोरोना संकट का असर लोगों की कमाई पर पड़ा है. ऐसे में न्यूनतम वेतन को बढ़ाने पर बहस तेज हो गई है.

जर्मनी की ग्रीन पार्टी ने संघीय सांख्यिकी कार्यालय से मांग की थी कि वह देश में लोगों की आय के आंकड़े जारी करें. संसद में पेश किए गए इन आंकड़ों के अनुसार देश में एक करोड़ लोग प्रति घंटा 12 यूरो से कम कमा रहे हैं. पूर्वी जर्मनी में 36.7 प्रतिशत कामकाजी लोगों का यह हाल है, तो देश के पश्चिमी हिस्से में 24.7 फीसदी का. इन आंकड़ों के अनुसार जर्मनी में लोग औसतन प्रति घंटा 19.37 यूरो कमाते हैं. राज्यों के हिसाब से देखा जाए, तो सबसे कम औसत मेक्लेनबुर्ग वेस्ट पोमेरेनिया में है, जहां लोग प्रति घंटा 15.86 यूरो कमा रहे हैं. सबसे अच्छे हालात 21.90 यूरो प्रति घंटा के साथ हैम्बर्ग के हैं. 

Berlin | Hubertus Heil - Übergabe des Berichts der Mindestlohnkommission
जर्मन श्रम मंत्री हुबेर्टुस हाइलतस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Gateau

सबसे कम आय रेस्तरां में

आंकड़े दिखाते हैं कि गैस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में कामगारों की सबसे कम आय होती है. यहां लोग औसतन 10.99 यूरो प्रति घंटा कमाते हैं. यही वजह है कि रेस्तरां में काम करने वाले कर्मचारी ग्राहकों से मिलने वाली टिप पर बहुत निर्भर करते हैं. कोरोना संकट के बीच रेस्तरां बंद पड़े रहे और इस क्षेत्र में काम करने वालों को भारी नुकसान हुआ. इसके बाद 11.99 यूरो प्रति घंटे के साथ हॉर्टिकल्चर में काम करने वालों का नंबर आता है.

देश में न्यूनतम आय के लिए निर्धारित कमीशन ने इसी साल जून में प्रस्ताव दिया था कि 2022 तक मौजूदा 9.35 यूरो की न्यूनतम मजदूरी को बढ़ा कर 10.45 यूरो किया जाए. इसके लिए चार चरणों की एक योजना का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन अब देश के श्रम मंत्री हुबेर्टुस हाइल का कहना है कि वे इसे बढ़ा कर 12 यूरो करना चाहते हैं. बर्लिन में जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए से बात करते हुए उन्होंने कहा, "कमीशन ने जो सुझाव दिए हैं, सबसे पहले तो उन्हें अमल में लाना होगा. लेकिन मेरे लिए यह भी काफी नहीं है. मैं जल्द ही सुझाव दूंगा कि न्यूनतम मजदूरी को किस तरह 12 यूरो पर लाया जाए."

न्यूनतम मजदूरी का कानून

जर्मनी में 2015 में पहली बार न्यूनतम मजदूरी का कानून बनाया गया. तब 8.50 यूरो प्रति घंटे की दर तय की गई थी. महंगाई के बढ़ने के साथ साथ इसमें भी बदलाव किए गए. लेकिन हर बार बहस और चर्चा के कई दौर के बाद ही ऐसा मुमकिन हो पाया. जर्मनी में देश के प्रति व्यक्ति औसत आय के 60 फीसदी को गरीबी रेखा माना जाता है और उससे कम कमाने वालों को गरीब. महीने में करीब एक हजार यूरो से कम आय इस समय गरीबी रेखा के नीचे है.

गरीबी रेखा तय करने का पैमाना यहां भारत से काफी अलग है. जर्मनी में औसत आय का 60 प्रतिशत गरीबी रेखा माना जाता है तो भारत में रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए होने वाला खर्च. इसका फैसला सरकार करती है और ये शहरी और देहाती इलाकों में अलग अलग है. इस समय भारत में देहाती इलाकों में गरीबी रेखा 1059 रुपये मासिक है जबकि शहरों में 1286 रुपये है.

रिपोर्टः ईशा भाटिया (डीपीए)

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