जर्मनी भी आया अल क़ायदा के निशाने पर!
१९ जनवरी २००९अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को जर्मन दूतावास के सामने आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी. अफ़ग़ानिस्तान में फ़िलहाल जर्मनी के क़रीब 3500 सैनिक तैनात हैं. और ये नैटो संगठन की वहां मौजूद तीसरी सबसे बड़ी सेना है. वीडियों में कहा गया है कि ब्रिटेन ने दूसरी सबसे बड़ी टुकड़ी अफ़ग़ानिस्तान भेजी थी और उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ा. यदि जर्मनी इतना बेवकूफ है कि उसे लगता है कि वह हमसे बच सकता है तब जर्मन संसद में नेता गलत सोच रहे हैं.
फिलहाल जर्मनी का संघीय अपराध निरोधक दफ्तर अल क़ायदा के इस नए इंटरनेट वीडियो जांच कर रहा है कि यह वीडियो कितना विश्वासनीय है. वीडियो में काली पगड़ी बांधकर और काले रूमाल से अपने चेहरे को ढांपे एक व्यक्ति जर्मन में बात कर रहा है जिसकी वजह से देश में आशंका और भी बढ़ गई है. उस नक़ाबपोश व्यक्ति ने जर्मन सरकार से अफ़ग़ानिस्तान से अपने सभी सैनिक तुरंत वापस बुलाने की मांग की है. आतंकवाद से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ मिशाएल लुएदेर्स कहते हैं कि, " न सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान के मामले में लेकिन मध्य पूर्व में भी जर्मन सरकार पर आरोप लगे हैं कि वह एक ही पक्ष लेती है. और इसकी वजह से जर्मनी पर अब आतंकवादियों की नज़रें हैं."
अधिकारियों का कहना है कि जिस आदमी ने 30 मिनट के इस वीडियो में यह संदेश दिया है उसने 2007 के शुरू में जर्मनी छोडकर पाकिस्तान- अफग़ानिस्तान सीमा पर बने कैंपों में प्रशिक्षण लिया है. यह भी माना जाता है कि उसके अल कायदा के बड़े कमांडरों के साथ अच्छे संबंध हैं. क्योंकि उस आदमी ने जर्मनी के आंतरिक मामलों में भी टिप्पणी की है. ऐसा लगता है कि उसने जर्मनी के सभी क्षेत्रों में कदमों पर नज़र रखी है. अधिकारियों का यह भी मानना है कि इस वीडियो के साथ इस आशंका को बल मिला है कि जर्मनी भी आतंकवाद के चपेट में आ सकता है.
आतंकवाद से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ मिशाएल लुएदेर्स कहते हैं कि ख़तरा यह नहीं है कि इस्लामी ताक़तें जर्मनी में आतंकवादी हमले करने के लिए आएंगे. ख़तरा यह है कि देश के भीतर या यूरोप में जो उग्रवादी मुसलमान है वह अपने बलबूते इस संदेश की वजह से ऐसा कर सकते हैं. कहा जाता है कि वीडियो का एक हिस्सा अक्टूबर 2008 में रिकॉर्ड किया गया है जबकि दूसरा हिस्सा नया है. इस्लामी वेबसाइटों का मूल्यांकन करने वाली अमेरिकी संस्था इंटेल सेंटर का कहना है कि शायद ये नया वीडियो किसी यूरोपीय देश को किसी आतंकी गुट से मिला अब तक का सबसे स्पष्ट संदेश है.