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कारोबार

जर्मनी ने 2019 में हथियार निर्यात का रिकॉर्ड बनाया

२७ दिसम्बर २०१९

जर्मन हथियार और सैन्य साजो सामान के निर्यात में लगातार तीन साल गिरावट के बाद इस बार रिकॉर्ड इजाफा हुआ है. 2019 में जर्मनी ने लगभग 8 अरब यूरो के हथियार बेचे. हंगरी उसके सबसे बड़े खरीददार के रूप में उभरा है.

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तस्वीर: picture-alliance/Ralph Zwilling - Tank-Masters.de

जर्मनी के आर्थिक मंत्रालय के अनुसार देश का हथियार निर्यात 2019 में जनवरी से लेकर मध्य दिसंबर तक 65 प्रतिशत बढ़ा है और उसने 7.95 अरब यूरो के आंकड़े को छुआ है.  वामपंथी और ग्रीन पार्टी के नेताओं ने सरकार से हथियारों के निर्यात का डाटा मांगा था जो जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए को भी मिला है.

आंकड़े दिखते हैं कि सरकार की तरफ से मंजूर हथियारों, वाहनों और युद्धपोतों के निर्यात ने 2015 के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है. 2015 के बाद लगातार तीन साल जर्मनी के हथियार निर्यात में गिरावट दर्ज की गई. आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल 5.3 अरब यूरो के निर्यात को इस साल छह महीने में ही पीछे छोड़ दिया गया.

आर्थिक मंत्री पेटर अल्टमायर ने निर्यात में इस तेज वृद्धि के लिए बैकलॉग को जिम्मेदार ठहराया है जो जर्मनी में 2017 में चुनावों के बाद सरकार गठन में कई महीने लग जाने की वजह से हो गया था. जर्मनी ने 2019 में जिन हथियारों की डिलीवरी की है उनमें से एक बड़ी संख्या हंगरी को गई है. जर्मनी ने हंगरी को 1.77 अरब यूरो के हथियार दिए जबकि इसके बाद 80 करोड़ यूरो के साथ मिस्र और 48.3 करोड़ यूरो के साथ अमेरिका का नंबर आता है.

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जितने भी हथियारों की डिलीवरी को मंजूरी दी गई, उनमें से एक तिहाई हंगरी को बेचे गए हैं. प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की दक्षिणपंथी और राष्ट्रवादी सरकार अपनी सेना का तेजी से आधुनिकीकरण कर रही है. जर्मन हथियारों के टॉप 10 खरीददारों में पांच देश ऐसे हैं जो ना तो यूरोपीय संघ का हिस्सा है और ना ही नाटो के. तीसरे देश कहे जाने वाले इन देशों को होने वाला जर्मन हथियारों का निर्यात 52.9 प्रतिशत से घटकर 44.2 प्रतिशत रह गया है.

इस बीच, इस बात को लेकर भी चिंताएं बढ़ रही हैं कि जर्मनी की तरफ से बेचे जा रहे हथियार यमन में ईरान समर्थित हूथी बागियों के खिलाफ इस्तेमाल हो रहे हैं. जर्मन सरकार 2018 में यमन संकट में शामिल पक्षों को हथियारों की बिक्री रोकने पर सहमत हुई थी. बाद में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब को हथियारों का निर्यात पूरी तरह रोक दिया गया था.

वहीं, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात उस सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन के संस्थापक सदस्यों में से शामिल हैं जो यमन में सत्ता से बेदखल किए गए राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूरी हादी की सरकार को बहाल करने के लिए लड़ रहा है. इस साल अगस्त में यूएई ने घोषणा कि वह यमन से अपने सैनिकों को हटाएगा. यूएई जर्मन हथियारों का नौवां सबसे बड़ा खरीददार है.

वामपंथी पार्टी की नेता सेविम दागदेलेन कहती हैं, "इतने बड़े आंकड़े दिखाते हैं कि निर्यात पर नियंत्रण करने की व्यवस्था काम नहीं कर रही है." ग्रीन पार्टी की विशेषज्ञ कात्या कोएल कहती हैं कि नियंत्रित निर्यात नीति की घोषणा के बावजूद हथियारों की बिक्री लगातार बढ़ रही है. उन्होंने कहा, "हमें हथियार निर्यात नियंत्रण कानून की जरूरत है, जो संघीय सरकार के लिए यह अनिवार्य बनाए कि वह अपने फैसलों पर विदेश और सुरक्षा नीति के औचित्य को साबित करे."

रिपोर्ट: निक मार्टिन/एके

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