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जर्मनी नहीं लगाएगा शरणार्थियों पर रोक: मैर्केल

१७ जुलाई २०१७

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने नाटो और तुर्की के साथ रिश्तों पर अपने रुख पर कायम रहने के साथ, जर्मनी आने वाले शरणार्थियों की तादाद पर किसी हाल में रोक न लगाने की बात कही.

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Deutschland | ARD-Sommerinterview mit Angela Merkel
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Sohn

जर्मन टीवी चैनल पर इस इंटरव्यू के साथ ही 24 सितंबर को होने वाले आम चुनाव (बुंडेसटाग) का प्रचार अभियान शुरु हो गया. सार्वजनिक चैनल एआरडी से बातचीत करते हुए चांसलर मैर्केल ने चुनाव में जीत हासिल करने का अपना इरादा जाहिर किया, "कोई नहीं कह सकता कि जीवन में क्या होगा, लेकिन मैं जरूर चाहती हूं कि मैं अगले चार साल और रहूं."

घरेलू मोर्चे पर विपक्ष ने मैर्केल के सामने शरणार्थी संकट और आर्थिक निवेश के सवाल पेश किये हैं. इसके अलावा तुर्की और नाटो के साथ संबंधों को लेकर उनके रुख पर भी विपक्ष घेरता रहा है. जर्मन संसद बुंडेसटाग चुनाव में उन्हें चुनौती देने वाले एसीपीडी नेता मार्टिन शुल्त्स ने इन मुद्दों को लेकर मैर्केल पर सवाल खड़े किये हैं. अक्सर मध्यमार्गी रवैया रखने वाली नेता मैर्केल ने इन सब मुद्दों पर अपने रुख का पुरजोर समर्थन किया.

मैर्केल की क्रिस्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन की सहयोगी पार्टी  सीएसयू की आपत्ति के बावजूद मैर्केल ने देश में प्रवेश करने वाले शरणार्थियों की संख्या पर कोई ऊपरी सीमा तय करने से इनकार किया. उन्होंने कहा, "मेरी स्थिति साफ है, मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगी." शरणार्थियों की संख्या कम करने के लिए उन्होंने उन हालातों को बदलने के लिए कदम उठाने और नियम बनाने की बात की, जिनके कारण लोग अपना देश छोड़ कर भागने को मजबूर हो जाते हैं. सीएसयू नेता हॉर्स्ट जेहोफर पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि जब तक मैर्केल शरणार्थियों की संख्या पर एक सालाना सीमा नहीं तय करतीं, वे उनकी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल नहीं होंगे.

डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए इसमें निवेश बढ़ाने की जरूरत पर विपक्षी उम्मीदवार शुल्त्स के बयान का समर्थन करते हुए मैर्केल ने कहा कि समस्या पैसे की कमी नहीं बल्कि इससे जुड़ी लंबी योजना प्रक्रिया है.

तुर्की के साथ चली आ रही तनातनी पर मैर्केल ने नाटो की अहम भूमिका बतायी. उन्होंने कहा कि इस रक्षा संधि के सदस्य होने के कारण दोनों ही देश इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में साथ हैं और इसे जारी रखने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जरूरी है, लेकिन तुर्की में स्थित नाटो बेस में तैनात जर्मन सैनिकों से जर्मन सांसदों को ना मिलने देने को लेकर उनकी सरकार तुर्की के साथ कोई समझौता नहीं करेगी.

आरपी/एनआर (डीपीए)