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जर्मनी के एक तिहाई गरीब बच्चे बड़े हो कर भी गरीब रहते हैं

६ नवम्बर २०१९

करीब 20 साल के विस्तार में किए गए एक रिसर्च से पता चला है कि जर्मनी के गरीब घरों के बच्चों का पूरा जीवन इस कुचक्र में ही बीत जाता है. यानी बहुत से बच्चे बड़े हो कर भी गरीब बने रहते हैं.

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Deutschland Grenzkontrolle Flüchtlinge
तस्वीर: Imago/Eibner Europa

हालांकि उचित सहयोग और संसाधन मिले तो उनमें से कई बड़े होने पर गरीबी से अपना पीछा छुड़ाने में कामयाब हो जाते हैं. बुधवार को प्रकाशित इस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक गरीबी में पलने वाले 3 में से दो बच्चे बड़े होने पर इसके चंगुल से आजाद हो जाते हैं. हालांकि अपने मां बाप का घर छोड़ने के बाद केवल 50 फीसदी बच्चे ही ऐसा कर पाते हैं. यह रिसर्च फ्रैंकफर्ट इंस्टीट्यूट फॉर सोशल वर्क एंड पेडेगोगी ने जर्मन समासेवी संस्था आरबाइटवोलफार्ट के लिए किया है. 

रिसर्च में पता चला कि छात्रों को गरीबी से बाहर निकालने में पढ़ाई अहम भूमिका निभाती है. इसके साथ ही छोटे परिवारों में पलने वाले बच्चों के लिए घर के बाहर से मिलने वाला सहयोग भी अहम भूमिका निभाता है. आर्बाइटवोलफार्ट का कहना है, "बच्चों की गरीबी बड़े होने पर भी अपने आप से कायम रहे ऐसा नहीं होता है. परिवार के भीतर और बाहर सहयोग का ढांचा और संसाधन गरीबी से बाहर निकालने में अहम हैं, खासतौर से उन बच्चों के लिए जिन्हें पूरे बचपन में यह सहयोग मिलता रहा हो." रिसर्च रिपोर्ट में इसका दूसरा पहलू भी सामने आया है. वह यह है कि जिन बच्चों को आर्थिक मुश्किलें नहीं झेलनी पड़तीं उनके वयस्क होने पर गरीब होने की आशंका बहुत कम रहती है.

Symbolbild Altersarmut in Deutschland
तस्वीर: Getty Images

रिसर्च के लिए सबसे पहले 6 साल की उम्र वाले  900 बच्चों का सर्वे किया गया. ये वो बच्चे थे जो खुद से डेकेयर सेंटर में 1999 में जा रहे थे. पिछले साल उनमें से 200 बच्चों की फिर से तलाश की गई और तब पता चला कि हर तीन में से एक बच्चा अब बड़ा हो कर भी गरीबी में जी रहा था.

पिछले दशक में आर्थिक असमानता को जर्मनी में काफी अहमियत दी गई. इस साल कई ऐसे रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित हुए हैं जिनसे पता चलता है कि पूरे देश में बेघर और गरीब लोगों की संख्या बढ़ गई है. खासतौर से बुजुर्ग इनकी चपेट में सबसे ज्यादा आए हैं. कुछ दिन पहले भी आई एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बीते सालों में असमानता बढ़ाने में दो दशकों की टैक्स नीति की भी बड़ी भूमिका है. द इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च यानी डब्ल्यूएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक अमीर परिवारों को शीर्ष टैक्स दरों में कमी और विरासत के टैक्स में हुए सुधारों का फायदा मिला है जबकि गरीब परिवार उच्च अप्रत्यक्ष करों के कारण ज्यादा बोझ झेलने के लिए विवश हुए हैं.

एनआर/एमजे(डीपीए)

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