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समाज

जर्मनी आना चाहती हैं आसिया बीबी

शामिल शम्स
१२ नवम्बर २०१८

आसिया बीबी को अदालत ने भले ही बेगुनाह करार दिया हो लेकिन उनके लिए बिना डर के जीना अब भी मुमकिन नहीं है. आसिया बीबी ने जर्मनी आने की इच्छा जताई है. लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा?

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Pakistan Unruhen wegen Freilassung Christin Blasphemie ASWJ
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Qureshi

आसिया बीबी के वकील सैफुल मलूक ने जर्मन अखबार "बिल्ड" से बातचीत में कहा है कि बीबी अपने परिवार के साथ जर्मनी आना चाहती हैं. 31 अक्टूबर को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आसिया बीबी के हक में फैसला सुनाया था और उन्हें ईशनिंदा के आरोप से बरी किया था. खबरों के अनुसार बीबी अभी भी पाकिस्तान में ही है. बीबी के वकील सैफुल मलूक फैसले के एक दिन बाद ही नीदरलैंड्स के लिए रवाना हो गए. उन्होंने कट्टरपंथियों से अपनी जान पर खतरे का अंदेशा जताया है. 

पाकितान में ईशनिंदा के मामले नए नहीं हैं लेकिन आसिया बीबी के मामले ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी. 2015 में बीबी की बेटी ने पोप फ्रांसिस से मुलाकात की और उन्होंने वैटिकन में बीबी के लिए प्रार्थना भी की. कई यूरोपीय देश बीबी और उसके परिवार को अपने यहां रखने के लिए तैयार हैं लेकिन अब तक यह साफ नहीं है कि उसे पाकिस्तान छोड़ने की इजाजत कब मिल सकेगी.

डॉयचे वेले के इस्लामाबाद संवादाता हारून जंजुआ का कहना है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार हर मुमकिन कानूनी जरूरत को पूरा कर लेना चाहती है और उसके बाद ही बीबी देश से बाहर आ सकेगी. उनके अनुसार बीबी को फिलहाल सरकार ने सुरक्षा मुहैया कराई हुई है और किसी सुरक्षित जगह पर रखा है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले दिन ही एक पुनर्विचार याचिका दायर कर दी गई थी. अदालत आने वाले दिनों में इस पर सुनवाई करेगी और उससे पहले बीबी का देश के बाहर निकलना मुमकिन नहीं है. जानकारों को उम्मीद है कि अदालत इस याचिका को खारिज नहीं करेगी, बल्कि एक बड़ी बेंच के सामने सुनवाई के लिए भेजेगी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तान में हिंसा भड़क गई थी. ऐसे में इमरान खान की सरकार ने कट्टरपंथियों के साथ एक समझौता किया ताकि खून खराबे को रोका जा सके. इसके लिए खान की काफी आलोचना भी हुई. हाल ही में इमरान खान ने मीडिया को आश्वासन दिया है कि जहां तक कानून व्यवस्था की बात है, तो किसी भी तरह की ढील नहीं बरती जाएगी. उन्होंने कहा, "मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सरकार अदालत के फैसले का समर्थन करती है और हम किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे."

इससे पहले बीबी के वकील ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा था कि खान ने सिर्फ दिखावे के लिए कट्टरपंथियों के साथ समझौता किया था. उन्होंने कहा, "कट्टरपंथियों को यह मुद्दा खत्म करने का एक तरीका चाहिए था और खान ने उन्हें वो दिया लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं था कि सरकार ने उनके आगे घुटने टेक दिए थे."

मलूक ने डॉयचे वेले को बताया कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामलों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, "पाकिस्तान में ईशनिंदा के लगभग सभी मामले झूठे होते हैं. लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं. अगर किसी के खिलाफ ईशनिंदा का आरोप है भी, तो उसकी बिना किसी डर के निष्पक्ष रूप से सुनवाई होनी चाहिए."

पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में कई ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों की ईशनिंदा के आरोप में हत्या की जा चुकी है. अगस्त 2012 में डाउन सिंड्रोम से पीड़ित एक बच्ची पर कुरान के पन्ने फाड़ने का इल्जाम लगाया गया था. बच्ची को फौरन हिरासत में ले लिया गया था और कई महीनों की जद्दोजहद के बाद उसे छोड़ा गया था. इस मामले के बाद आसपास के इलाके में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा भी भड़क उठी थी. 2013 में बच्ची का परिवार देश छोड़ कर कनाडा चला गया.

इसी तरह 2014 में एक ईसाई जोड़े पर कुरान का अपमान करने का आरोप लगाया गया और उन्हें भट्टी में डाल कर जिंदा जला दिया गया. सितंबर 2017 में एक ईसाई पुरुष को मौत की सजा सुनाई गई क्योंकि वह कथित तौर पर व्हाट्सऐप पर ईशनिंदनीय संदेश फैला रहा था. पाकिस्तान में इस तरह के मामलों का कोई अंत ही नहीं है.

आसिया बीबी: एक गिलास पानी के लिए मौत की सजा

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