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'जी20 के दौरान पुलिस की कार्रवाई रही सही'

१० जुलाई २०१७

जर्मन सरकार ने जी20 सम्मेलन के दौरान दंगाइयों पर पुलिस की कार्रवाई को उचित ठहराया है. मंत्रियों ने मांग की है कि दंगा करने वाले वामपंथी अतिवादियों के बारे में जानकारी यूरोप भर में साझा की जाये.

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G20 Gipfel in Hamburg | Angela Merkel mit Polizisten
तस्वीर: Reuters/P. Stollarz

जर्मनी के हैम्बर्ग में 7 और 8 जुलाई को हुए जी20 देशों के सम्मेलन के दौरान विरोध प्रदर्शनों, हिंसा, आगजनी, लूट और पुलिस के साथ झड़पों की खबरें आती रहीं. सम्मेलन के खत्म होते होते 411 विरोध प्रदर्शकारी हिरासत में लिये जा चुके थे और करीब 500 पुलिसकर्मी घायल थे. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने उस "हर एक" पुलिसकर्मी को धन्यवाद दिया है, जो हैम्बर्ग में तैनात 21,000 पुलिसकर्मियों के दल में शामिल था.

मैर्केल के प्रवक्ता श्टेफेन जाइबर्ट ने चांसलर की ओर से कहा कि हैम्बर्ग में जी20 आयोजन "सफल साबित हुआ." उन्होंने आगे कहा कि मैर्केल ने करीब 18 लाख की आबादी वाले उत्तरी जर्मनी के शहर हैम्बर्ग को आयोजन स्थल के रूप में चुनने के फैसले को सही ठहराया है. गृह मंत्री थोमस दे मिजियेर ने दंगे करने वाले "एनार्किस्ट्स" को "नीच, हिंसक, आपराधिक चरमपंथी" और "नवनाजियों और इस्लामी कट्टरपंथियों" जैसा बताया.

दे मिजियेर ने भी पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया. उन्होंने लोगों पर पानी की तेज बौछार और पेपरस्प्रे के इस्तेमाल को भी सही बताया लेकिन आगे विस्तार से इस पूरे प्रकरण की समीक्षा किये जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि जर्मन प्रशासन ने वामपंथी-कट्टरपंथियों पर उतनी सख्ती नहीं की, जितनी दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों पर की गयी. इसके साथ ही दे मिजियेर ने कहा कि वामपंथी अतिवादियों पर भी और प्रभावी तरीके से नियंत्रण किये जाने की जरूरत थी.

जर्मनी के न्याय मंत्री हाइको मास ने जर्मन दैनिक बिल्ड से बातचीत में कहा, "कट्टरपंथ को लेकर हमारे पास पूरे यूरोप में पर्याप्त डाटाबेस नहीं है." उन्होंने बताया कि हैम्बर्ग में गड़बड़ी करने वाले बहुत से लोग जर्मनी के भी बाहर से पहुंचे थे. मास ने कहा कि ऐसा डाटाबेस "प्रशासन को बेहतर नजर रखने और ऐसे लोगों को सीमा पर ही रोक पाने में मदद देगा."

हैम्बर्ग के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी एंडी ग्रोटे ने बताया कि एक विशेष पुलिस आयोग का गठन हुआ है जो जी20 के दौरान हुए अपराधों की जांच करेगा. पुलिस आयोग ने सम्मेलन के दौरान जनता द्वारा उपलब्ध कराये गये साक्ष्यों को छांटना शुरु भी कर दिया है. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जाँ क्लोद युंकर ने भी साफ कहा कि "हर पुलिस अधिकारी ने अपनी जान खतरे में डाल कर काम किया - उन्हें इसके लिए मान्यता मिलनी चाहिए, आलोचना नहीं." 

शिखर सम्मेलन के दौरान 9 पत्रकारों का प्रत्ययपत्र वापस ले लिया गया. जर्मन सरकार के प्रवक्ता श्टेफेन जाइबर्ट के अनुसार इसकी वजह सुरक्षा चिंता थी. फैसला जर्मन प्रेस कार्यालय, जर्मन अपराध कार्यालय और गृह मंत्रालय ने मिलकर लिया. सुरक्षा चिंता से 32 पत्रकार प्रभावित थे, लेकिन उनमें से 23 मीडिया सेंटर पर आये ही नहीं. शिखर सम्मेलन के दौरान पुलिस ने आने जाने के गेट पर पत्रकारों का पहचान पत्र देखा और उसे दो पेज वाली अपनी लिस्ट से मिलाया.

श्टेफेन जाइबर्ट ने बताया कि सम्मेलन में 4800 पत्रकारों और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि रजिस्टर्ड थे. जाइबर्ट ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के लिए पत्रकार होने की शर्तों और मौके के अनुरूप जर्मन अपराध कार्यालय की सुरक्षा जांच जरूरी होती है. जर्मन सरकार ने निजता कानून का हवाला देकर एकल मामलों की कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन गृह मंत्रालय ते एक प्रवक्ता ने कहा है कि पहचान पत्र वापस लेने की वजह संबंधित लोगों की रिपोर्टिंग की आलोचना नहीं थी.

आरपी/एमजे (डीपीए)