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जर्मन विदेश मंत्री पर भारत में लॉबिइंग के आरोप

७ मार्च २०१८

जर्मनी के विदेश मंत्री जिग्मार गाब्रिएल पर डिफेंस कंपनी राइनमेटाल के लिए भारत में लॉबिइंग करने का आरोप लगा है. भ्रष्टाचार के आरोपों में इस कंपनी को भारत ने ब्लैकलिस्ट किया है.

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München MSC 2018 | Außenminister Sigmar Gabriel
तस्वीर: Reuters/R. Orlowski

जर्मन रेडियो एआरडी, स्टर्न मैगजीन और न्यूज पोर्टल द प्रिंट ने कुछ गोपनीय दस्तावेजों के देखने के बाद जिग्मार गाब्रिएल पर जर्मन कंपनी के लिए राजनयिक लॉबिइंग करने का आरोप लगाया है. आरोप है कि जर्मन विदेश मंत्री ने 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद द्विपक्षीय यात्राओं के दौरान राइनमेटाल को काली सूची से बाहर निकलवाने के लिए दबाव बनाया. हालांकि मोदी सरकार ने इस दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया.

राइनमेटाल कंपनी रडार, फायर कंट्रोल सिस्टम, गोला बारूद और एयर डिफेंस गन जैसे साजोसामान बनाती है. 2009 में कंपनी भारत सरकार के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर किया और इसके बाद खुद के प्रचार के लिए लॉबिइस्टों को काम पर लगाया. 2012 में इस कंपनी को 10 साल के लिए काली सूची में डाल दिया गया.

राइनमेटाल का कहना है कि उसने कुछ गलत नहीं किया और वह काली सूची से बाहर आने की कोशिश कर रही है. जिग्मार गाब्रिएल 2014 में आर्थिक मामलों के मंत्री थे. दस्तावेजों के मुताबिक भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई की राइनमेटाल के खिलाफ जांच के दौरान अभिषेक वर्मा को काम काम पर रखने की बात सामने आई. इनके मुताबिक अभिषेक वर्मा को 5 लाख डॉलर की रकम बिना किसी करार के दिए गए. राइनमेटाल और अभिषेक वर्मा के खिलाफ सीबीआई के केस इसी बात पर टिकी है. हालांकि निचली अदालत ने सबूत ना होने के हवाला दे कर केस खारिज कर दिया फिलहाल यह मुकदमा दिल्ली हाईकोर्ट में है जिसकी अप्रैल में सुनवाई होनी है.

Deutschland Montage Panzerhaubitze 2000 Rheinmetall AG
तस्वीर: picture-alliance/dpa/U. Baumgarten

राइनमेटाल इस काम के लिए गाब्रिएल के पास भी गई और गाब्रिएल ने नई दिल्ली और बर्लिन में होने वाली बातचीत के दौरान अधिकारियों से इस मामले में मदद मांगी. जर्मनी के संसदीय सचिव उवे बेकमायर ने फरवरी 2015 में इस मामले को भारतीय रक्षा सचिव आर के माथुर के सामने उठाया जिसे उन्होंने खारिज कर दिया.

दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि जर्मन कंपनी ने काली सूची से बाहर आने के लिए भारत के "औद्योगिक सूत्रों" से भी सलाह ली. भारतीय सहयोगियों ने कंपनी को सुझाया कि भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर इस मामले में बात कर सकते हैं. हालांकि यह मुलाकात नहीं हुई.

2016 में राइनमेटाल ने भारतीय रक्षा मंत्रालय को पत्र लिख कर काली सूची में कंपनियों को डालने की नई नीति के आधार पर राहत मांगी. हालांकि रक्षा मंत्रालय ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया. इसके बाद से इस कंपनी का भारत में कारोबार न्यूनतम स्तर तक पहुंच गया है. क्योंकि यह लगभग साफ है कि जब तक कंपनी के काली सूची में रहने की अवधि खत्म नहीं होती इसे राहत नहीं मिलने वाली है.

निखिल रंजन