1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मन चुनावों में युवाओं के लिये नहीं मौका?

८ सितम्बर २०१७

जर्मनी की अगली चांसलर अंगेला मैर्केल होंगी या मार्टिन शुल्त्स इसका फैसला तो 24 सितंबर को होगा लेकिन हैरानी की बात है कि ये फैसला देश का युवा तबका नहीं बल्कि अनुभवी और बुजुर्ग मतदाता करेंगे... जानिए कैसे

https://p.dw.com/p/2jYou
Berlin Wahllokal Junger Wähler
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Kumm

जर्मन चुनावों की तैयारियां आखिरी चरण में हैं, सर्वेक्षणों में वर्तमान चांसलर मैर्केल का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. गठबंधन को लेकर तमाम कयास हैं लेकिन राजनीतिक दलों के अलावा यहां के बुजुर्ग और अनुभवी मतदाताओं पर भी सबकी नजर है जो इन चुनावों में किंगमेकर साबित हो सकते हैं.

इन चुनावों में उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला यही अनुभवी तबका करेगा क्योंकि यहां युवा और अनुभवी मतदाताओं की संख्या में दोगुने से भी अधिक का अंतर है. चुनाव आयोग के मुताबिक "यहां का अनुभवी और उम्रदराज तबका इतना बड़ा है कि इसे आसानी से "बहुमत प्राप्त दल" माना जा सकता है और 30 साल या इससे कम उम्र के मतदाताओं को ऐसा छोटा विपक्षी खेमा माना जा सकता है जिनके पास तय करने के लिये बहुत कुछ नहीं है." 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के मतदाताओं का कुल हिस्सा 36 फीसदी का है वहीं 30 साल से कम उम्र के मतदाताओं का हिस्सा महज 15 फीसदी का. 

Infografik Wähler in Deutschland Demografie Frauen Männer ENG

क्या है ट्रेंड

जर्मनी के जनसांख्यिकीय समीकरण इस अनुभवी पीढ़ी को अधिक लाभ देते नजर आते हैं. पिछले चुनावों में आधे से अधिक मतदाताओं की उम्र 50 वर्ष या इससे अधिक थी. इसके विपरीत 1980 के डाटा बताते हैं कि पहले युवा और अनुभवी मतदाताओं के बीच बेहतर संतुलन था. उस वक्त तकरीबन 26.8 फीसदी मतदाता 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के थे वहीं लगभग 22.3 फीसदी मतदाताओं की उम्र 30 साल से कम थी. लेकिन इस ट्रेंड में धीरे-धीरे बदलाव आया और आज कोई भी पार्टी केवल युवा मतदाताओं के बल पर चुनाव नहीं जीत सकती. वह बुजुर्ग मतदाताओं के भरोसे जीत की उम्मीद जरूर रख सकती है. 

साल 2005 के बाद 70 वर्ष और इससे अधिक उम्र के मतदाताओं की औसत भागीदारी में बढ़ोतरी हुई है. मतदाताओं के इस ट्रेंड को जर्मनी के पूर्व राष्ट्रपति रोमन हैर्सोत्ग की उस चिंता से भी समझा जा सकता है जो उन्होंने साल 2008 में पेंशन बढ़ोतरी पर सहमति बनने के बाद व्यक्त की थी. हैर्सोत्ग ने जर्मनी के एक दैनिक अखबार से बातचीत में कहा था "जर्मनी में बुजुर्ग लोगों की संख्या बढ़ रही है और राजनीतिक दल इनके साथ गलत तरीके से खेल रहे हैं." हैर्सोत्ग की इस टिप्पणी पर उनकी काफी निंदा हुई थी.

बुजुर्ग बनाम युवा

अब सवाल है कि क्या जर्मनी के बुजुर्ग मतदाताओं का वोट युवाओं के हितों को प्रभावित करता है. राइनगोल्ड इंस्टीट्यूट और बैर्टल्समन फाउंडेशन की एक स्टडी के मुताबिक बुजुर्ग और अनुभवी मतदाता, युवाओं की तुलना में भविष्य की तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं. हालांकि आम धारणा है कि बुजुर्ग पीढ़ी का जोर भविष्य की बजाय वर्तमान पर अधिक होता है.

स्टडी में शामिल क्रिस्टीना टिलमन कहती हैं, "हमने स्टडी में पाया कि जिनकी अपनी राजनीतिक विचारधारा मजबूत होती है उनके लिये भविष्य को देखते हुए निर्णय लेना आसान होता है." उन्होंने बताया कि 19-32 साल की उम्र वाले युवा चुनावों को लेकर ऐसी सोच नहीं रखते बल्कि वे अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर मतदान करते हैं.

Jugendliche am «Wahl-O-Mat» Du hast die Wahl
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Charisius

16 की उम्र मे मतदान

ऐसा भी नहीं है कि मौजूदा समीकरण ही युवा मतदाताओं की चुनावों में हिस्सेदारी सीमित कर रहे हैं. इतिहास पर नजर डालें तो युवा मतदाताओं की राजनीति और चुनावों में दिलचस्पी 1953 से ही लगातार घटती नजर आ रही है. इसलिए एसपीडी, ग्रीन और वामपंथी पार्टियों ने लगातार मतदान की उम्र को घटाने के पक्ष में बात की है. ग्रीन पार्टी के नेता अंटोन होफराइटर के मुताबिक "वर्तमान में लिये जाने फैसले युवा पीढ़ी को लंबे समय तक प्रभावित करेंगे, इसलिये जो भी मतदाता 16 साल की उम्र से वोट देना चाहते हैं उन्हें इसकी अनुमति मिलनी चाहिए."

रिपोर्ट: सैंड्रो श्रोएडर