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जर्मन एयरलांइस लुफ्थांसा की सबसे लंबी उड़ान

२ फ़रवरी २०२१

भारतीयों को एयर इंडिया की लंबी उड़ानों की आदत है, लेकिन जर्मन विमान सेवा लुफ्थांसा ने अपनी पहली सबसे लंबी उड़ान भरी. ये उड़ान किसी यात्री विमान की न होकर रिसर्चरों के लिए थी जो अंटार्टिका में रिसर्च करने गए हैं.

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Deutschland Lufthansa startet zu ihrem längsten Nonstop-Passagierflug
तस्वीर: Daniel Bockwoldt/dpa/picture-alliance

लुफ्थांसा के लिए ये रिकॉर्ड उड़ान थी, एयरबस 350-900 के साथ 13,600 किलोमीटर का सफर, जो 15 घंटे 36 मिनट में पूरा हुआ. ये विमान अलफ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट के रिसर्चरों को लेकर हैम्बर्ग से अर्जेंटीना के फॉकलैंड द्वीप के पोर्ट स्टैनली हवाई अड्डे तक गया. 92 रिसर्चरों के लेकर दक्षिण अटलांटिक के द्वीप तक ये नॉनस्टॉप उड़ान जर्मन विमानन कंपनी के इतिहास में सबसे लंबी नॉनस्टॉप उड़ान थी. विमान पर सवार रिसर्चर और शोध नौका पोलरस्टर्न के क्रू सदस्य फॉकलैंड द्वीप पर अपने जहाज में सवार होकर रिसर्च के लिए जाएंगे. वहां वे दो महीने तक अंटार्टिक के समुद्र में मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए आंकड़े जुटाएंगे.

ब्रेमेन के अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट के रिसर्चर पहले भी अपने आइसब्रेकर जहाज पोलरस्टर्न के साथ ध्रुवीय इलाकों में शोध करते रहे हैं. लुफ्थांसा के विशेष विमान से फॉकलैंड जाने की जरूरत कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई. इरादा रिसर्चरों को आम यात्रियों से अलग रखने का था ताकि वे संक्रमण लेकर उस इलाके में न पहुंचाएं. उड़ान से पहले सारे यात्रियों और लुफ्थांसा के पाइलट और अन्य क्रू सदस्यों को दो हफ्ते तक क्वारंटीन में रखा गया. उड़ान से पहले लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम लुफ्थांसा के एयरबस जहाज को फ्रैंकफर्ट से हैम्बर्ग लाया गया. हैम्बर्ग हवाई अड्डे के लिए भी ये उड़ान उसके इतिहास की सबसे लंबी उड़ान थी.

Forschungsschiff Polarstern auf Expeditionsreise im Nordpolarmeer
आइसब्रेकर पोलरस्टर्नतस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Horvath

दुनिया की सबसे लंबी उड़ान नहीं

ध्रुवीय रिसर्चरों के लिए लुफ्थांसा की यह उड़ान भले ही सबसे लंबी हो, लेकिन दुनिया में कई दूसरी एयरलाइंस भी हैं जो लंबी उड़ानें भरती रही हैं और इस समय भी सामान्य यात्री रूटों पर चल रही है. ऑस्ट्रेलिया की क्वांतास एयरलायंस ने अक्टूबर 2019 में न्यूयॉर्क से सिडनी की 16,200 किलोमीटर की उड़ान 19 घंटे 16 मिनट में पूरी की थी. सिंगापुर एयरलायंस की सिंगापुर से न्यूयॉर्क की सीधी फ्लाइट 15,255 किलोमीटर की है और उसके सफर में 18 घंटे 30 मिनट लगते हैं.

भारतीय विमान सेवा एअर इंडिया भी कई सालों से लंबी दूरी की उड़ानें चला रही है. नई दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को की 12,330 किलोमीटर की उड़ान में साढ़े 16 घंटे लगते थे, लेकिन अब वह अटलांटिक रूट का इस्तेमाल कर करीब दो घंटे बचा रहा है, हालांकि इसकी वजह से दोनों शहरों की दूरी करीब 1,600 किलोमीटर ज्यादा हो गई. हाल में एयर इंडिया ने बंगलुरू-सैन फ्रांसिस्को और हैदराबाद-शिकागो रूट शुरू किया है. पिछले महीने एयर इंडिया की सैन फ्रांसिस्को-बंगलुरू की 14,000 किलोमीटर लंबी फ्लाइट को कैप्टेन जोया अग्रवाल के नेतृत्व में पूरी तरह महिला क्रू ने संचालित किया.

नॉर्थ पोल के ऊपर से फ्लाइट उड़ाने वाली भारतीय पायलट

सब कुछ अस्त व्यस्त किया कोरोना ने

कोरोना महामारी ने जिंदगी के हर पहलू को अस्त व्यस्त कर रखा है. इससे अंटार्कटिक का शोध अभियान भी प्रभावित हुआ है. आम तौर पर रिसर्चर दक्षिण अफ्रीका या चिली होकर उस इलाके में पहुंचते हैं. इस समय कोरोना महामारी के कारण सामान्य विमान सेवाएं अस्तव्यस्त हैं. वापसी से पहले लुफ्थांसा का 16 सदस्यों वाला क्रू फॉकलैंड में दो दिनों तक क्वारंटीन में रहेगा और उसके बाद म्यूनिख लौटेगा. लुफ्थांसा का ये अभियान कर्मचारियों में इतना लोकप्रिय था कि कैप्टेन रॉल्फ उसाट के अनुसार 600 हॉस्टेसों ने साथ जाने के लिए अर्जी दी थी.

लुफ्थांसा के विशेष विमान से फॉकलैंड पहुंचने के बाद 50 पुरुषों और महिला वैज्ञानिकों की टीम अपने जहाज पोलरस्टर्न पर सवार होकर शोध के इलाके में जाएंगे और दो महीने तक डाटा जमा करेंगे. ये जगह दक्षिण सागर के अटलांटिक सेक्टर में दक्षिणी इलाके में है. पिछली बार रिसर्चर वहां 2018 में गए थे. तब से उनके द्वारा वहां लगाई गई मशीनें विभिन्न गहराइयों में समुद्र का तापमान मापती है. अब इन आंकड़ों को इकट्ठा कर वापस लाया जाएगा और वहां तैनात मशीनों में नई बैटरियां लगाई जाएंगी.

अभियान खत्म होने के बाद पोलरस्टर्न रिसर्चरों को इलाके से वापस लेकर फॉकलैंड पहुंचाएगा, जहां से वे वापस जर्मनी लौटेंगे. पोलरस्टर्न जहाज एक छोटे से रिसर्चर ग्रुप के साथ समुद्री मार्ग से अप्रैल के अंत में जर्मनी के गोदी नगर ब्रेमरहाफेन लौटेगा.

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