जरूरी था इस फिल्म में काम
८ फ़रवरी २०१३भारतीय मूल की कनाडाई फिल्म निर्माता दीपा मेहता की यह फिल्म सलमान रुश्दी की 600 पन्नों की विवादित किताब 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' पर आधारित है. फिल्म की रिलीज से पहले भारत में वितरक मिलने में काफी दिक्कतें आई. लेकिन बाद में फिल्म रिलीज की गई और दर्शकों से फिल्म को मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है. इस किताब में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कुछ आपत्तिजनक फैसलों को लेकर कई उल्लेख हैं. फिल्म में भी उन बातों को खुले अंदाज में दिखाया गया है. भारत में इस समय भी कांग्रेस पार्टी का दबदबा है जिसके चलते वितरकों के मन में फिल्म को लेकर शंका थी.
मैं थक गई थी
फिल्म को बनाना जितनी बड़ी चुनौती खुद दीपा मेहता के लिए थी उतना ही यह काम अभिनेत्री शहाना गोस्वामी के लिए भी मुश्किल था. शहाना ने डॉयचे वेले को बताया कि वह छोटे छोटे पात्र करके थक गई थीं, ऐसे में इस फिल्म का प्रस्ताव ठुकराना मूर्खता होती. भारत में उन्होंने हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड, रॉक ऑन, रा.वन और हीरोइन जैसी बड़ी फिल्मों में छोटे छोटे पात्र निभाए हैं. उन्होंने कहा हम उस इंडस्ट्री का हिस्सा हैं जहां अच्छा दिखना कई बार अच्छे काम से ज्यादा अहमियत रखता है. लोग आपके काम की तारीफ तो खूब करते हैं लेकिन बड़े रोल देने में हिचकिचाते हैं. शहाना ने इस फिल्म में एक मुस्लिम महिला का पात्र निभाया है जिसे उम्र के अलग अलग पड़ाव पर अलग अलग हुलिए में दिखाया गया है. वह मानती हैं कि उनके लिए उनका किरदार किसी भी बात से ज्यादा मायने रखता है. उन्होंने कहा कि वह अब आगे भी छोटे पात्र स्वीकार नहीं करना चाहतीं.
शहाना ने कहा कि वह इस तरह टाइपकास्ट भी नहीं होना चाहतीं कि वह केवल बिना ग्लैमर वाले किरदार ही करती हैं. इसलिए वह कोशिश करती हैं कि पार्टियों में पर वह ग्लैमरस अवतार में ही जाएं ताकि लोगों को उनसे उम्मीद बनी रहे. उन्होंने बताया कि उनका ध्यान फिलहाल व्यवसायिक फिल्मों पर बिल्कुल नहीं है. वह अभी भी अपने काम के लिए जानी जाती हैं और आगे भी यही चाहेंगी.
शहाना ने बताया कि उनके दोस्तों में भी सबको फिल्म पसंद नहीं आई लेकिन जब कभी भी किसी किताब पर आधारित कोई फिल्म बनती है तो उसे लोग अलग ढंग से परखते हैं. ऐसे में कुछ को फिल्म पसंद आती है कुछ को नहीं. लेकिन वह खुश हैं कि लोगों ने ईमानदारी से उनके काम की बात की.
अंतरराष्ट्रीय फिल्में कैसे अलग
शहाना ने कहा, "इस फिल्म में काम करके मुझे जो बात सबसे ज्यादा अच्छी लगी वह यह कि सबके साथ बराबरी का व्यवहार देखने को मिला. कलाकार बड़ा हो या छोटा सबको एक जैसी एहमियत मिलती है. विदेशी फिल्मों में शायद यह बात खास होती है कि उनकी तैयारी में काफी समय जाता है और लम्बी रिसर्च के बाद फिल्म तैयार होती है." शहाना ने माना कि हिन्दी फिल्मों में भी पिछले एक दशक में काफी परिवर्तन देखने को मिला है. अब कई नए फिल्म निर्देशक प्रयोग करने को तैयार हैं. अभिनेत्रियां ग्लैमरस दिखे बगैर भी पर्दे पर आने में हिचकिचाती नहीं है. उनके अनुसार यह हिन्दी सिनेमा के लिए बेहद महत्वपूर्ण दौर है.
कौन हैं सत्या भाभा
फिल्म की कहानी भारत की आजादी के समय से शुरू होती है, फिर देश के बंटवारे और इंदिरा गांधी के शासन काल में लगे आपातकाल की तरफ बढ़ती है. शुरू से आखिर तक अपनी ओर ध्यान खींच कर रखता है सलीम. फिल्म में 'सलीम' नाम के लड़के का मुख्य पात्र निभाने वाले ब्रिटेन के अभिनेता सत्या भाभा की यह पहली फिल्म है जिसमें उन्होंने किसी भारतीय का किरदार निभाया है. सत्या के पिता भारतीय मूल के हैं जबकि सत्या ब्रिटेन में ही पैदी हुए और पले बढ़े हैं. शहाना ने बताया कि इस किरदार की तैयारी के लिए सत्या ने काफी समय भारत में बिताया जिसके दौरान उन्होंने लोकल ट्रेन में भी सफर करके अनुभव बढ़ाया. सत्या की तारीफ करते हुए शहाना कहती हैं कि उनमें अपने काम को लेकर बेहद लगन है और वह फिल्म में साफ दिखाई देती है.
दीपा की फिल्में और विवाद
दीपा की फिल्में आम तौर पर सामाजिक मुद्दों पर आधारित होती हैं और उनका कई बार विरोध भी होता है. इससे पहले दीपा की बाल वधू मुद्दे पर आधारित फिल्म 'वॉटर' की बनारस में शूटिंग पर भी लोगों ने विरोध किया था. जिसके बाद उन्हें श्रीलंका में शूटिंग करनी पड़ी जहां मिडनाइट्स चिल्ड्रन की शूटिंग भी हुई है. मिडनाइट्स चिल्ड्रन को रिलीज से पहले टोरंटो समेत कई फिल्म महोत्सवों में दिखाया गया जहां इसने तारीफें बटोरीं.
सलमान रुश्दी भारत में विवादित शख्सियत हैं. 1988 में आई उनकी किताब 'द सेटैनिक वर्सेस' पर भारत में बैन है. पिछले साल जयपुर साहित्यिक मेले में शामिल होने से पहले उन्हें मौत की धमकियां मिलीं जिसके बाद उन्होंने महोत्सव के लिए भारत जाने का फैसला रद्द कर दिया था.
रिपोर्ट: समरा फातिमा
संपादनः आभा मोंढे